जापान में तब परमाणु संकट एक बार फिर खड़ा हो गया जब एक विस्फोट से एक रिएक्टर में आग लग गयी और हवा में रेडियोधर्मी सामग्री की बड़ी मात्रा फैल गयी. जापान में आई इस मुसीबत के बाद दुनिया भर के देशों में परमाणु ऊर्जा के सुरक्षित विकल्पों पर बहस तेज हो गयी है. जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्कल ने कहा है कि जर्मनी के पुराने हो चुके एटामिक रियेक्टर्स के लाइफ पीरियड को एक्सटेंट करने के निर्णय पर पुनर्विचार किया जाएगा.

दक्षिण कोरिया और ताइवान भी अब अपने परमाणु कार्यक्रमों की पूर्ण समीक्षा करने की बात कह रहे हैं.

इटली में भी एटामिक एनर्जी के विरोध में प्रदर्शन बढ़ गये हैं. वहां सरकार इसी हफ्ते भविष्य में बनने वाले परमाणु संयंत्रों के स्थान पर विचार के लिए बैठक करने वाली है.

स्विट्ज़रलैंड ने एटामिक रिएक्टरों की सुरक्षा की समीक्षा करने का फ़ैसला किया है और तब तक नए परमाणु संयंत्र बनाने पर रोक लगा दी है.

भारत में भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक बयान जारी कर कहा है कि भारत यह निर्धारित करेगा कि परमाणु संयंत्र ऐसे क्षेत्रों में न हो जहां भूकंप आने की संभावना अधिक हो.

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