अब नहीं बिकेगी मारुति 800

मारुति 800. इस नाम ने लोगों के कार के सपने को हकीकत में बदल दिया था। मारुति सुजुकी ने भले ही अपनी सबसे पहली कार को बनाना बंद कर दिया हो पर ओनर्स के दिलों में ये हमेशा बनी रहेगी। जिससे भी पूछा उसके चेहरे के भावों ने खुद ही सब कुछ बयां कर दिया। कार ओनर्स से बात करके एक पल भी ऐसा नहीं लगा कि हम किसी कार या व्हीकल की बात कर रहे हैं। बात तो फैमिली के मेंबर की हो रही थी।

ये तो फै मिली मेंबर है

अरे इसी कार में तो मेरा बेटा दूल्हा बना था। इसी कार से बहू घर तक आई थी। मेरी बेटी ने भी इसी कार से ड्राइविंग सीखी थी। एक बार कार में डेंट लगाकर लाई थी तो मैंने बहुत डांटा था। तुरंत ही मैकेनिक को देकर कहा था, एकदम चकाचक कर दो। कार में डेंट बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होता था। पता नहीं और कितनी यादें जुड़ी हैं इस कार से।

मारुति सुजुकी 800 के 84 मॉडल की ओनर प्रमिला सेठी ने एक्साइटेड होकर ये बातें कहीं। इनके लिए यह कार वास्तव में कार नहीं परिवार का एक सदस्य है। फिलहाल उनकी कार मैकेनिक के पास ही है। पुराने समय को याद करते हुए वह कहती हैं कि इसे उन्होंने दीवाली के मौके पर खरीदा था। बड़ी खुशी से घर लाए थे घर। उसके बाद बेटी ने भाई दूज पर भाई का टीका भी कार में ही किया था। बड़ी यादें संजोई हैं मारुति के साथ। अब तो इस कार से एक रिश्ता सा लगता है। इतना जरूर है कि बच्चों के सेटेलमेंट के बाद इस कार में पति-पत्नी ही बैठते हैं। पर हर कदम पर इस कार की कोई न कोई याद जरूर जुड़ी है।

मुझे गर्व है

इस समय यह कार मिशन हॉस्पिटल के एडमिनिस्ट्रेटर अनिल गुलाटी चला रहे हैं। अनिल कहते हैं, यह एक ऐतिहासिक कार है। इसे हैंडल करने का मौका मिला है, मुझे इसका गर्व है। कार 86 मॉडल की होने बावजूद इसका पिकअप, माइलेज सब कुछ बहुत अच्छा है। वास्तव में इसे चलाने का अनुभव ही कुछ और है। यह कार मैं छह साल से चला रहा हूं और अब मुझे इसकी आदत हो चुकी है। हालांकि, पत्नी ने कई

बार मुझे नई कार लेने को कहा है पर मैं इसका मोह छोड़ नहीं पा रहा हूं।

Facts about car

-मारुति सुजुकी 800 भारत में लांच हुई पहली छोटी कार थी।

-इसे सिटी कार का भी नाम दिया गया था।

-इसे 1984 में इंडिया में लांच किया गया था।

-इसका प्रोडक्शन व्यापक रूप से 2010 से टाइटर इमीशन नाम्र्स की वजह से बंद किया गया।

-मारुति 800 ईयर 2004 तक बेस्ट सेलिंग कार रही है।

 

क्या है टाइटर एमिशन नॉम्र्स ?

ये नॉम्र्स वास्तव में व्हीकल्स से होने वाले एअर पॉल्यूशन को रोकने के लिए बनाए गए हैं। इसके तहत यूरो-1, यूरो-2, यूरो-3 और अब यूरो-4 मानक भी आते हैं। भारत में इसे भारत स्टेज -1, भारत स्टेज-2 और भारत स्टेज -3 के नाम से जाना जाता है। इसे सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल ब्यूरो की ओर से जारी किया गया है। इन्हें सबसे पहले 1989 में इंट्रोड्यूस किया गया था।

यह तो धरोहर है

क्लैरा स्वेन मिशन हॉस्पिटल के चेयरपर्सन उमेश गौतम के पास 86 मॉडल की मारुति सुजुकी 800 कार है। ये उन्हें हॉस्पिटल के साथ धरोहर के रूप में मिली है। अब जबकि कंपनी ने ही इस कार का निर्माण बंद कर दिया है तो इसे रखने वालों के लिए कार की इंपार्टेंस और भी बढ़ गई है। उमेश गौतम कहते हैं कि यह कार उनके लिए धरोहर के जैसी है। अभी तो बिल्कुल ठीक चल रही है। जब तक यह ठीक से काम करती रहेगी, इसे चलाते रहेंगे। फिर जब कभी इसके पाट्र्स मिलना बंद हो जाएंगे या इसे ठीक करना मुश्किल होगा तो भी इसे छोड़ेंगे नहीं बल्कि एंटीक आइटम के रूप में सहेज कर रखेंगे।

मारुति सुजुकी 800 ओल्ड मॉडल में जापानी इंजन होने की वजह से यह जल्दी खराब नहीं होता। वर्तमान कार की बजाय ये ज्यादा स्ट्रांग होती है। इसकी चादर मसाले से बनी होने की वजह से गलती नहीं है। जबकि आजकल की कारों में सादे जस्ते की चादर यूज की जाती है, जिससे यह जल्दी गल जाती है। एसी ऑन करने के बाद भी इसका पिकअप कम नहीं होता, जबकि इंडिया मेड इंजन में एसी ऑन करने पर पिकअप कम हो जाता है। मारुति 800 1.5 से 2 लाख किलोमीटर तक आराम से चल जाती है जबकि अन्य कारों में एक लाख किलोमीटर के बाद स्पेयर पाट्र्स चेंज करने की जरूरत पड़ती है। अगर अब भी कार के स्पेयर पाट्र्स मार्केट में मिलते रहें तो कार को आसानी से यूज किया जा सकता है।

-अली हसन, कार मैकेनिक

Report by: Nidhi Gupta