99 से चले आ रहे मैसूर के रियासत को नया राजा मिल गया है. नए राजा यदुवीर वडियार का बेंगलुर से 150 किलोमीटर दूर अंबा विला पैलेस में भव्य राजतिलक समारोह आयोजित किया गया. अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मेसाचुएट्स से इंग्लिश और इकॉमिक्स की डिग्री लेकर लौटे 23 वर्षीय यदुवीर मैसूर के ऐसे पहले राजा हैं जो विदेश से पढ़ कर आए हैं. वे मैसूर राजघराने के 27वें राजा बने हैं. एक निजी समारोह में यदुवीर का राजतिलक किया गया, जिसमें राजपरिवार के सदस्यों के साथ-साथ पुरोहित और महल के कर्मचारी शरीक हुए. राजा बनते ही यदुवीर कृष्णदात्ता चामराजा वाडियार कहलाने लगे. तृषिका कुमारी नाम की एक लड़की के साथ उनकी सगाई हो चुकी है.

Mysore prince

पिछले दो साल से थी गद्दी के वारिस की प्रतीक्षा

गौरतलब है कि वाडियार राजघराने ने 1399 से मैसूर पर राज करना शुरू किया था. तब से राजा की घोषणा होती आई है. पिछली बार 1974 में राजतिलक हुआ था. तब यदुवीर के चाचा श्रीकांतदत्ता नरसिम्हा वाडियार को गद्दी पर बैठाया गया था. 2013 में उनका निधन हो गया था. तब से राजा का पद खाली था. श्रीकांतादत्ता नरसिम्हा राजा वाडियार और रानी गायत्री देवी की कोई संतान नहीं है. आज राजपरिवार में 1200 से अधिक सदस्य हैं.

खत्म हो चुकी है राजशाही
भारत अब एक लोकतांत्रिक देश है और यहां राजवंश खत्म हो गया है. राजवंशों में राजतिलक एक निजी कार्यक्रम माना जाता है. अब शासन चलाने में भले ही राजवंशों की कोई भूमिका न बची हो, लेकिन अब भी मैसूरवासी महल में होने वाली गतिविधियों पर चाव से नजर रखते हैं.

yaduveer gopalraj wodeyar

यदुवीर का सफर
अमेरिका के पूर्वी किनारे पर स्थित एक यूनिवर्सिटी से लेकर अंबा विलास पैलेस मैसूर में राज्याभिषेक तक, 23 साल के यदुवीर का सफर बेहद दिलचस्प है. इस साल मैसूर में दशहरा समारोह की अगुवाई यदुवीर करेंगे और साथ-साथ कर्नाटक सरकार के साथ लंबे समय से चल रहे राजपरिवार की संपत्ति विवाद की कानूनी लड़ाई भी अब उनकी ही देख रेख में होगी. यदुवीर का कहना है कि वह भारत में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए काम करना चाहते हैं.

जाने मैसूर पैलेस के बारे में
मैसूर शहर के बिल्कुल केंद्र में स्थित मैसूर का महाराजा पैलेस मैसूर शहर का आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र है. इस किले में सात दरवाजे हैं. इसका निर्माण मैसूर राज्य के वाडियार महाराजाओं ने कराया था. पहली बार यहां लकड़ी का महल बनवाया गया था. जब लकड़ी का महल जल गया था, तब इस महल का निर्माण कराया गया.
मैसूर के महाराजा के महल का निर्माण कई बार किया गया. वर्तमान महल का निर्माण 1992 में किया गया था. इस महल का नक्शा ब्रिटिश आर्किटैक्ट हेनरी इर्विन ने बनाया था. कल्याण मंडप की कांच से बनी छत, दीवारों पर लगी तस्वीरें और स्वर्णिम सिंहासन इस महल की खासियत हैं.  बहुमूल्य रत्नों से सजे इस सिंहासन को दशहरे के दौरान जनता दर्शन के लिए रखा जाता है.

Hindi News from India News Desk

National News inextlive from India News Desk