MATHURA (30 Nov): पारा गिरना शुरू ही हुआ है, इसी के साथ यमुना के पानी की गुणवत्ता धीरे-धीरे गिरने लगी है। इसका असर खत्म करने के लिए ट्रीटमेंट में शामिल दवाओं की मात्रा बढ़ानी पड़ रही है। इसी तरह ग्राफ बढ़ता रहा तो दिसंबर और जनवरी की सर्दी में एलम एवं क्लोरीन की मात्रा डेढ़ गुना तक बढ़ सकती है।

यमुना में गिर रहे नाले

जीवनदायक सूर्य की किरणें यमुना के प्रदूषण जल को काफी हद तक प्राणवान बनाए रखती हैं। तीन दिन से देर रात से सुबह तक कोहरा छाया रहता है। जाड़े के मौसम में वैसे भी कोहरे आदि के कारण पानी में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया धीमी पड़ जाती है। यमुना में भारी प्रदूषण पहले से ही है। दिल्ली के नालों का आ रहा पानी मथुरा-वृंदावन में और प्रदूषण कर रहा है। सीवेज पं¨पग स्टेशनों से नाले सीधे यमुना में प्रवाहित हो रहे हैं।

दवाओं से होती है सफाई

ऐसे में यमुना जल आचमन लायक

भी नहीं रह गया है। गोकुल बैराज पेयजल परियोजना में स्थापित संयंत्र से नगर को 13 (मिलियन लीटर डिस्चार्ज) एमएलडी पानी की सप्लाई होती है। यहां इनटेक वैल में कच्चा पानी लेने के बाद उसकी सफाई दवाओं से की जाती है। क्लोरीन जहां प्रदूषण को खत्म करती है, वहीं एलम पानी की टरबिटी को सैटल करती है।

पानी की गिरेगी गुणवत्ता

15 दिन पहले तक एलम का स्तर 60 पीपीएम (पार्टस पर मिलियन) तक बना हुआ था, जो अब बढ़कर 80 पीपीएम हो चुकी है। इसी तरह क्लोरीन जो 37 पीपीएम डाली जा रही थी, अब बढ़कर 40 पीपीएम तक पहुंच गयी है। अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले दो महीने में पानी की गुणवत्ता गिरेगी, तो इन दोनों की मात्रा में और बढ़ोत्तरी हो सकती है, जिससे पानी का जायका भी बिगड़ेगा और यह ज्यादा कसैला लगेगा। बैराज प्लांट के केमिस्ट गिरीश सक्सेना के अनुसार अभी तो स्थिति नियंत्रण में है। पानी के हरे-पीलेपन को खत्म करने के लिए एलम की कुछ मात्रा बढ़ाई गई है।