दूर-दूर तक मशहूर

हाल ही में उत्तर प्रदेश के सीएम की कुर्सी संभालते ही योगी आदित्यनाथ यहां के हालातों को सुधारने के लिए एक्टिव हो गए हैं। जिसमें उनके बड़े फैसलों में रोमियो स्क्वायड, ध्रूमपान करने पर बैन के साथ अवैध बूचड़खानों पर भी रोक भी शामिल है। ऐसे में प्रदेश में भर में अवैध बूचड़खाना संचालकों के साथ ही कबाब बेचने व खाने वाले भी परेशान हो गए हैं। जिसका बड़ा असर प्रदेश की राजधानी यानी कि नवाबो की नगरी लखनऊ में देखने को मिला है। लखनऊ के 'टुंडे कबाबी' दूर-दूर तक मशहूर हैं।

जो सौ साल में नहीं हुआ वो यूपी सीएम योगी की वजह से हो गया

भैंस के मांस का कबाब

यहां की शान शौकत बने 'टुंडे कबाबी' को लेकर कहा जाता है कि जो स्वाद यहां पर है वह कहीं और नहीं है। ऐसे में बूचड़खाने बंद होने के आदेश से अब 'टुंडे कबाबी' संचालक के साथ ही इसके ग्राहक भी परेशान है। बीते एक दिन तो यहां पर 'टुंडे कबाबी' कबाब की कई दुकाने बंद रही। इसके बाद दुकानें जब खुली भी तो भैंसे के गोश्त के कबाब की जगह मीट और चिकन के कबाब मिल रहे। खाने वालों को मजा नहीं आ रहा है। जिससे दुकानों पर सन्नाटा होने से कारोबार धीमा हो गया है। ऐसे में इस संबंध में टुंडे कबाबी के मैनेजर अबु बकर का कहना है कि आज जो हालात हैं वह कभी नहीं रहे हैं। यहां पर हमेशा ग्राहकों की लंबी लाइन रहती थी। यहां पर हर रोज करीब 25 किलो भैंस के मांस इस्तेमाल हुआ करता था।

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ग्राहकों की लंबी लाइन

इसके पीछे वजह यह है भैंसे का कबाब सस्ता होने से एक आम आदमी भी 30 रुपये में में खा लेता था। ऐसे में ग्राहकों की भीड़ की वजह से ही उनकी दुकान सिर्फ कर्फ्यू या प्राकृतिक आपदा में ही बंद होती थी। इसके अलावा यह कभी नहीं बंद होती थी। यहां लखनऊ में दूसरे शहरों से आने वाले लोग भी एक बार स्वाद चखने जरूर आते थे। ऐसे में ग्राहकों को वापस लौटता देख वह काफी दुखी हैं। हालांकि उनका कहना है कि वह सरकार के फैसले के साथ हैं, लेकिन हां थोड़ा सा समय तो देना चाहिए। जिससे लोग अपने काम को पटरी पर ला सकें। वैध व्यवसाइयों को नुकसान न उठाना पड़े।

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