-नीतू कुमारी पिछले कई महीनों से भटक रही, घर में टेंशन होने के बाद घर छोड़ गई थी

-सिर में चोट लगने की वजह से वह घर का अड्रेस और पैरेंट्स का नाम ठीक से बता नहीं पा रही है

-को-ऑपरेटिव कॉलेज से 2002 में बॉटनी से पीजी किया है नीतू ने, कॉलेज में खोजा गया अड्रेस, लेकिन नहीं मिला

JAMSHEDPUR : वह घर के आस-पास ही थी, लेकिन अड्रेस याद नहीं था। उसकी आंखें अपनों को ढ़ूंढ रही थीं, पर दिमाग साथ नहीं दे रहा था। उसे घर का पता बताने वाला कोई नहीं था। वह इधर-उधर भटक रही थी। अपने माता-पिता की खोज में, अपने घर की तलाश में। पर नहीं मिला कोई। नतीजा, उसे हावड़ा स्थित मरियम किनारा मेंटल होम वापस ले जाना पड़ा जहां लगभग चार महीने पहले वह भटकते हुए पहुंची थी। हम उस नीतू की बात कर रहें जिसे आप थोड़ा मेंटली वीक कह सकते हैं, लेकिन उसने को-ऑपरेटिव कॉलेज से ख्00ख् में बॉटनी से पीजी किया। उस नीतू की जो दूसरी लड़कियों की तरह पढ़ लिखकर कुछ बनना चाहती थी। जिसकी अपनी एक फैमिली होती और खुशहाल जिंदगी भी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

घर से क्यों िनकली नीतू?

वैसे तो नीतू अपने घर का अड्रेस ठीक से नहीं बता पा रही थी, पर कई बातें उसे याद थीं। घर से निकलने का कारण हमने पूछा, तो उसने बताया कि किसी बात पर पापा के साथ उसका टेंशन हुआ था। पापा ने उसके सिर पर मारा था। उसी के बाद उसने घर छोड़ा। सिर पर लगी उस चोट ने उसकी यादास्त पर असर डाला। नीतू बता रही थी कि उसके पिता का नाम प्रवेश सिंह और मां का नाम सीता देवी है। उसने कहा कि उसके पिता टिस्को में काम करते हैं। मरियम किनारा की टीम मेंबर्स ने बताया कि इसी साल ख्ख् मई को हावड़ा पुलिस ने नीतू को मेंटल होम पहुंचाया था।

को-ऑपरेटिव कॉलेज में अपने टीचर को तुरंत पहचान लिया

नीतू ने अपना अड्रेस एग्रीको स्थित क्वार्टर नंबर-77, टाइप- एल भ् बताया था। वहां जाने के बाद पता चला कि उस अड्रेस पर कोई और रह रहा है। इसके बाद उसने बताया कि ख्00ख् में उसने को-ऑपरेटिव कॉलेज से बॉटनी से पीजी किया। फिर हावड़ा से आई टीम और सीतारामडेरा के एक एएसआई उसे साथ लेकर को-ऑपरेटिव कॉलेज पहंची। को-ऑपरेटिव कॉलेज में बॉटनी डिपार्टमेंट में रजिस्टर खंगाला गया, लेकिन जिस साल नीतू वहां पढ़ाई कर रही थी उस साल का रजिस्टर ही नहीं मिला। नीतू ने बॉटनी डिपार्टमेंट के टीचर देखते ही कहा कि ये ब्रजेश सर हैं। आश्चर्य इस बात का है कि जो टीचर को सालों बाद पहचान सकती है वह घर का पता कैसे भूल गई। ऐसे में एक सवाल जरुर उठता है कि क्या उसके पैरेंट्स ने घर बदल लिया?

कर दें थोड़ी सी मदद

नीतू को अगर आप जानते हैं, उसके पैरेंट्स को पहचानते हैं, तो आप नीतू को उसके घर तक पहुंचाने में हमारी हेल्प कर सकते हैं। हम हावड़ा स्थित उस संस्था से लगातार संपर्क में हैं जहां नीतू को ठहराया गया है। आप हमारे नंबर पर कॉल कर नीतू के घर का अड्रेस, उसके पैरेंट्स का नाम और नंबर बता सकते हैं। तो आइए, आप भी इस लाचार लड़की को उसके घर तक पहुंचाने में हमारे सहयोगी बनें।

आप हमें मोबाइल नंबर - 9भ्70क्क्म्8भ्9 पर कॉल कर नीतू के बारे में कुछ भी पता चलने पर बता सकते हैं।

नीतू जब हमारे पास आई तो उसके सिर में चोट लगी थी। उसका ट्रीटमेंट भी कराया गया। वह पढ़ी-लिखी है, इंटेलिजेंट भी है, लेकिन उसकी मेमोरी ठीक से काम नहीं कर रही। उसे कुछ बातें याद हैं, पर कुछ भूल जाती है। हालांकि वह अब काफी ठीक हो गई है और हम चाहते हैं कि वह अपने घर में रहे।

- डॉ मो कमरुद्दीन, प्रेसिडेंट यूनाइटेड ब्रदर्स एसोसिएशन हावड़ा (मरियम किनारा मेंटल होम इसी संस्था की एक यूनिट है)