- ओल्ड एज के साथ अब युवा भी बन रहे डायबिटीज का शिकार

-आरएसएसडीआई यूपी कॉन 2018 का इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजन

LUCKNOW:

पहले डायबिटीज ओल्ड एज वालों की ही समस्या थी लेकिन बदलती लाइफ स्टाइल और तनाव से अब युवा भी इसका शिकार हो रहे हैं। रिसर्च सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया के यूपी चैप्टर की ओर से आयोजित 7वीं एनुअल कांफ्रेंस में यह जानकारी डॉ। जलीस फातिमा ने दी। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में इस कांफ्रेंस का शुभारम्भ डॉ। अब्बास अली मेंहदी, वीसी एरा यूनिवर्सिटी और आईएएस डॉ। अमरेश बहादुर सिंह ने किया।

पढ़ाई के साथ खेल भी जरूरी: डॉ जलीस

कांफ्रेंस की आर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ। जलीस फातिमा ने कहा कि स्कूलों में पढ़ाई के साथ खेल भी जरूरी हों। इससे भविष्य में डायबिटीज होने के खतरे से बचाव होगा। ध्यान रखें कि बच्चा ओवरवेट तो नहीं हो रहा है। बच्चों को 12 वर्ष की उम्र तक मोबाइल न दें। उन्हें मैदान में खेलने दें। घर का खाना भी पौष्टिक हो जिसमें हरी सब्जियां और ताजे फल की मात्रा अधिक हो।

8 से 9 घंटे की नींद जरूरी: डॉ। अनुज महेश्वरी

डॉ। अनुज महेश्वरी ने बताया कि आजकल 80 फीसद बच्चे पूरी नींद नहीं सो पा रहे हैं। देर रात तक वे जागते हैं। मोबाइल पर गेम खेलते हैं। यदि आगे चलकर बच्चों को बीमारियों से बचाना है तो उन्हें 8 से 9 घंटे तक की नींद पूरी करने दें। रात में जल्दी सो नहीं पा रहा है तो सुबह देर तक सोने दें। लेकिन नींद पूरा होना जरूरी है। स्कूल से आने पर पढ़ाई के साथ खेल के बारे में भी पूछें।

पैरों का भी रखें ध्यान : डॉ। वरेश

डॉ। वरेश नागरथ ने कहा कि डायबिटीज को नियंत्रित रखना जरूरी है। क्योंकि ग्लूकोज लेवल नियंत्रित न रहने पर किडनी, लिवर, हार्ट आदि पर असर पड़ता है। यदि शुगर बढ़ी है और कोई दिक्कत नहीं हो रही है तो इसका मतलब यह नहीं है कि सब ठीक है। इसलिए ग्लूकोज लेवल मेनटेन रखें। डायबिटिक मरीजों को पैरों का खास ध्यान रखना जरूरी है। स्नान करने के बाद अच्छे से पोछे। जूते खरीदने शाम को जाएं और कोई घाव हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

मरीज साथ में रखें टॉफी : डॉ। समीर गुप्ता

डॉ। समीर गुप्ता ने बताया कि डायबिटीज के मरीजों को अक्सर ग्लूकोज लेवल कम होने (हाइपोग्लाइसीमिया) की समस्या होती है। जिसमें घबराहट, बेचैनी, पसीना आना, हाथ कांपने आदि की प्रॉब्लम होती है। ऐसी समस्या होती है तो तुरंत ग्लूकोज की टेबलेट, टॉफी या चीनी खाएं। उसके बाद डॉक्टर को दिखाएं। बार बार हाइपोग्लाइसीमिया की समस्या होना खतरनाक है। इसमें हार्ट अटैक का खतरा होता है।

डायबिटीज से खराब हो रही किडनी: डॉ। अनुपमा

एसजीपीजीआई की नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट की डॉ। अनुपमा ने बताया कि डायबिटीज कंट्रोल में न होने से मरीजों की किडनी खराब हो रही है। करीब 60 फीसद की किडनी सिर्फ डायबिटीज से खराब होती है। लगातार शुगर लेवल बढ़ा होने का सीधा असर किडनी पर पड़ता है। जब तक मरीज को पता चलता है देर हो चुकी होती है। इसलिए अपना ग्लूकोज लेवल नियंत्रित रखें।

48 घंटे तक चलेगी इंसुलिन: डॉ। ऋतु

डॉ। राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट की डॉ। ऋतु करोली ने बताया कि अब मार्केट में ऐसी इंसुलिन उपलब्ध हैं जिससे 24 से 48 घंटे दोबारा इंसुलिन नहीं लेनी पड़ती। हालांकि ये काफी महंगी हैं। निकट भविष्य में हफ्ते में एक बार ही इंसुलिन लेनी होगी। जिनका ब्लड ग्लूकोज लेवल सामान्य नहीं है वे हर तीन माह में अपना एचबीए1सी जांच जरूर कराएं। इससे उनके ब्लड में ग्लूकोज लेवल की सही जानकारी मिलेगी और सही दवा दी जा सकेगी।

यूपी में जेस्टेशनल डायबिटीज अधिक

डॉ। ऋतु करोली ने बताया कि हाल में हुए एक सर्वे से सामने आया है कि यूपी की महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या अधिक है। करीब 17 फीसद प्रेगनेंट महिलाएं इसकी चपेट में हैं। देश में करीब 6.5 करोड़ लोगों को यह बीमारी है। जबकि यूपी की करीब 10 फीसद इसका शिकार हैं। जिसमें शहरी लोगों अधिक हैं।

डायबिटीज के लक्ष्ण

अचानक वजन कम होना

हाथ पैर में दर्द होना

आंखों से धुधला दिखना

यूरीन अधिक होना

भूख ज्यादा लगे

हाथ पैर में झुनझुनाहट होना