MATHURA (30 Nov): कभी घी, दूध, माखन, मिश्री खाने वाले सेहतमंद ब्रज के छोरे आज ऐसी बीमारी की चपेट में हैं, जिससे वह चेहरे छुपाए रहते हैं। ताकि कोई उनकी तकलीफ के बारे में न जान सके। बीमारी का पता चलने पर चोरी छिपे अस्पताल आना और जांच कराके दवा लेने के बाद घर लौट जाना। तिल-तिल कर ¨जदगी जी रहे हैं। मथुरा जनपद में एचआइवी-एड्स तेजी से फैल रहा है। खास बात यह कि इससे ग्रसित रोगियों में युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है।

जागरूकता ही है बचाव

जिला एड्स नियंत्रण अधिकारी डॉ। प्रवीण भारती कहते हैं कि इस बार एड्स दिवस पर आदर्श वाक्य है 'शून्य न्यू एचआइवी संक्रमण, शून्य संक्रमण एवं शून्य एड्स से मृत्यु'। एचआइवी मरीजों की जांच आइसीटीसी सेंटर में होती है और इससे पीडि़त मरीजों को एआरटीसी से दवाएं उपलब्ध कराई जाती है। जनपद में एचआइवी का बढ़ता प्रकोप भावी पीढ़ी के लिए और भी भयावह हो सकता है, यदि इसके प्रभाव को जल्द ही न रोका गया तो। इससे बचने के लिए

इसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी रखना बेहद जरूरी है। इसके अलावा संक्रमित सि¨रज का इस्तेमाल न करें, न करने दें। जरूरत पड़ने पर मान्यता प्राप्त ब्लड बैंक से ही रक्त लें। जो गर्भवती महिलाएं एचआइवी ग्रसित हैं, उनसे होने चले बच्चों को इससे

बचाने के लिए उन्हें लगातार अपनी जांच करानी चाहिए। असुरक्षित यौन संबंध न बनाएं.जिला अस्पताल परिसर में स्थित एआरटीसी सेंटर में वर्तमान में 400 एचआइवी संक्रमित लोग अपना उपचार ले रहे हैं। ये रोगी समय-समय पर दवा लेकर अपनी ¨जदगी आगे बढ़ा रहे हैं। जिला चिकित्सालय और जिला महिला चिकित्सालय स्थित आइसीटीसी सेंटर पर काउस¨लग व जांच के बाद इन रोगियों को दवाओं के लिए एआरटीसी से ¨लक किया जाता है। हालांकि इन 400 मरीजों में कुछ मरीज बाहरी जनपदों के भी शामिल हैं।

संक्रमण के शिकार मरीजों की उम्र

20 से 29 वर्ष - 70 फीसदी

30 से 39 वर्ष - 20 फीसदी

40 से 49 वर्ष - 8 फीसदी

50 से ऊपर तक के - दो फीसदी

इस तरह बढ़ रहा बीमारी का ग्राफ

वर्ष पीडि़त

2005 28

2006 28

2007 75

2008 108

वर्ष पीडि़त

2009 124

2010 148

2011 120

2012 190

वर्ष पीडि़त

2013 131

2014 99

2015 60

(वर्ष 2015 के आकंड़े सिर्फ जिला अस्पताल स्थित आइसीटीसी के अप्रैल से नवंबर तक के ही हैं.)