- मुखबिरों की तर्ज पर इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर लेगा सेवाएं

- हाईटेक गैजेट्स से लैस युवा देंगे कई गोपनीय सूचनाएं

- नये सिरे से बार्डर इंटेलिजेंस का भी खाका होगा तैयार

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ashok.mishra@inext.co.in

LUCKNOW: दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू युनिवर्सिटी में पढ़ने वाले तमाम यंगस्टर्स अगर नक्सलियों के मददगार बन सकते हैं तो यूपी पुलिस भी उनमें से कुछ को अपना दोस्त बनाने में अब गुरेज नहीं करेगी। शर्त केवल यह होगी कि उनके भीतर देश के लिए कुछ करने का जज्बा हो। उन्हें बस ऐसे तत्वों के बीच रहकर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की साजिश की सूचना अपने लेटेस्ट गैजेट्स के जरिए यूपी पुलिस को मुहैया करानी होंगी। इसके बदले में उन्हें भुगतान भी किया जाएगा और उनका नाम पुलिस के मददगारों में शामिल होगा। यूपी पुलिस का इंटेलिजेंस मुख्यालय कुछ ऐसी ही सोच के साथ आगे कदम बढ़ा रहा है। सोशल मीडिया पर राष्ट्र विरोधी तत्वों की अति सक्रियता ने यह करने को मजबूर कर दिया है।

भीम आर्मी से लिया सबक

दरअसल सहारनपुर में भीम आर्मी के सोशल मीडिया पर बढ़ते प्रभाव को देखते हुए सबक लिया गया है कि जब कोई संगठन युवाओं को ऐसी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के लिए आसानी से बरगला सकता है तो क्यों न उसका इस्तेमाल करके पुलिस भी अपने खुफिया तंत्र को मजबूत करने में करें। फिर चाहे वह किसी जिले में अशांति फैलाने के प्रयास का मामला हो या फिर नक्सल अथवा आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने का। इन युवाओं की मदद से इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर समय रहते ऐसी जानकारियां बटोर सकता है जो सालों पुराने उनके स्ट्रक्चर से जुटा पाना आसान नहीं है। यह कवायद बार्डर एरिया में भी की जानी है क्योंकि बदले परिवेश में नेपाल सीमा पर सुरक्षा को लेकर चुनौतियां बढ़ी हैं। माना जा रहा है कि प्रदेश की इंटरनल सिक्योरिटी को फुलप्रूफ बनाने के लिए यंगस्टर्स की मदद पुलिस की चुनौतियों को कम कर सकती है।

अब ऑपरेशन का काम नहीं

यूं तो पहले इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर का काम पहले खुफिया जानकारी बटोरने के साथ ऑपरेशंस को भी अंजाम देना था लेकिन एंटी टेररिस्ट स्क्वायड के गठन के बाद ऑपरेशन का पार्ट उसके जिम्मे चला गया। लिहाजा इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर को अब नये सिरे से अपग्रेड करने की तैयारी चल रही है। राज्य सरकार की मंशा भी कुछ ऐसी ही है जिसे देखते हुए जल्द ही पुलिस की इस सबसे अहम शाखा का आमूलचूल परिवर्तन किया जाना है। कोशिश है कि इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर को कुछ तरह अपग्रेड किया जाना है जिससे सिविल पुलिस को जरूरत के समय हर तरह की खुफिया जानकारी तुरंत मुहैया करायी जा सके। यही वजह है कि मुखबिर तंत्र के खत्म होने के बाद इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर इस नये आइडिया के साथ कदमताल करने को तैयार है।

ये है इंटेलिजेंस का वर्तमान ढांचा

- हर जिले में स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच

- हर जिले में लोकल एलआईयू यूनिट

- नेपाल बार्डर के लिए अलग से यूनिट

- नक्सल एक्टिविटी के लिए तीन यूनिट

- राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए विंग

- पॉलिटिकल एक्टिविटी के लिए विंग

कोट

इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर का जल्द ही कायाकल्प किया जाना है। मुखबिर तंत्र को दोबारा मजबूत बनाने के लिए ऐसे यंगस्टर्स की मदद भी ली जा सकती है जो आधुनिक तकनीक से वास्ता रखते हो और उनके अंदर पुलिस की मदद करने का जज्बा हो।

भवेश कुमार सिंह, एडीजी, इंटेलिजेंस