फोटो: केरीकेचर लगाएं

- पहले चरण में प्रदेश की 10 जेलों में लगेंगे जैमर

- कारागार मुख्यालय ने 73 करोड़ का प्रपोजल भेजा

- कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही शुरू हो जाएगा काम

आगरा। जेल में बंद कुख्यात अपराधी अब मोबाइल संचालित नहीं कर पाएंगे। इस पर अंकुश लगाने के लिए कारागार मुख्यालय ने एक प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है। इसके तहत पहले चरण में 10 जिलों की जेलों में जैमर लगाए जाएंगे। कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा।

73 करोड़ का प्रपोजल

कारागार मुख्यालय ने 73 करोड़ का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा है। गृह विभाग की मंजूरी मिलते ही इस प्रस्ताव पर काम शुरू कर दिया जाएगा।

पहले चरण में 137 जैमर लगेंगे

प्रपोजल के अनुसार पहले चरण में प्रदेश की 10 प्रमुख जेलों में 137 जैमर लगाए जाएंगे। इसके सफल होने के बाद दूसरे चरण में उत्तर प्रदेश की अन्य जेलों को इसमें शामिल किया जाएगा।

इन जेलों में लगेंगे जैमर

पहले चरण में जिन जेलों में जैमर लगाए जाएंगे, उनमें नोएडा की निर्माणाधीन जेल, लखनऊ, इलाहाबाद की नैनी जेल, गाजियाबाद की डासना, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बरेली, आदि शामिल हैं.प्रत्येक जेल में 10 से ज्यादा जैमर लगाने पर विचार किया जा रहा है।

पहले भी बनी थी योजना

पहले भी ऐसी योजना बनाई गई थी। कुछ जेलों में जैमर लगाए भी गए थे, लेकिन योजना असफल रही। जिन जेलों में जैमर लगे थे, उन्होंने काम नहीं किया।

प्रदेश में जेलों की स्थिति पर एक नजर

जेल संख्या

कुल सेंट्रल जेल 05

जिला जेल 55

मॉडल जेल 1

छोटे कारागार 3

नारी बंदी गृह 1

किशोर बंदी गृह 1

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नोट: प्रदेश की जेलों में 87261 बंदी निरुद्ध हैं। इनमें से कुछ अंडर ट्रायल सजायाफ्ता हैं। इनमें से 25648 पर दोष सिद्ध हो चुका है, जबकि 61613 अंडर ट्रायल हैं।

सुरक्षा शाखा से लेनी होगी अनुमति

जेलों में जैमर लगाने के लिए संसद की सुरक्षा शाखा से अनुमति लेनी पड़ती है। वर्ष 2011 में जेलों में जैमर लगाने के लिए अनुमति ली गई थी, लेकिन जेलों में जैमर नहीं लग सके थे।

देश में दो कंपनी हैं अधिकृत

देश में दो कंपनी ही जैमर लगाने के लिए अधिकृत हैं। इनमें एक इलेक्ट्रॉनिक कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लि। और दूसरी भारत हेवी इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड है। दुनिया में अमेरिका और इजरायल में ही जैमर बनाए जाते हैं।

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बॉक्स

पूर्व में उत्तर प्रदेश की कई जेलों में अधिकारियों के निरीक्षण के निरीक्षण के दौरान कुख्यात अपराधियों के पास मोबाइल मिल चुके हैं। इससे वे जेल में कैद रहकर भी बाहर अपना गैंग आसानी से संचालित करते रहे हैं।

वर्जन

इस प्रपोजल पर अभी विचार-विमर्श चल रहा है। प्रपोजल को मंजूरी मिलने के बाद ही प्रक्रिया की जानकारी हो पाएगी।

एसके रघुवंशी, गृह सचिव उप्र। सरकार लखनऊ