हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने बुधवार को वित्त वर्ष 2011-12 के लिए राज्य का बजट प्रस्तुत किया। बजट में 16,708.47 करोड़ रुपये के खर्च का प्रवाधान रखा गया तथा कोई नया कर नहीं लगाया गया है।

धूमल ने लगातार चौथी बार बजट प्रस्तुत करते हुए कहा कि खर्च होने वाले हर 100 रुपये की एवज में राज्य को 84.35 रुपये की आय होगी। शेष 15.65 रुपये के खर्च की पूर्ति कर्ज लेकर की जाएगी। धूमल राज्य का वित्त मंत्रालय भी संभाल रहे हैं।

धूमल ने कहा कि राज्य को होने वाली हर 100 रुपये की आय में 28.67 रुपये राज्य के अपने कर से, 14.15 रुपये गैर-कर राजस्व से और 14.62 रुपये केंद्रीय कर में राज्य की हिस्सेदारी से आएंगे, जबकि केंद्र सरकार से 42.56 रुपये का अनुदान प्राप्त होगा।

खर्च होने वाले हर 100 रुपये में वेतन पर 35.20 रुपये, 12.87 रुपये ब्याज चुकाने में, 5.75 रुपये कर्ज की अदायगी में, 13.23 रुपये पेंशन में और बाकी 32.95 रुपये विकास तथा अन्य कार्यो में खर्च होंगे।

धूमल ने कहा कि कर की चोरी और अपव्यय रोकने के लिए उत्पाद कर तथा कर विभाग का कम्प्यूटरीकरण किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि ई-रीटर्न और ई-पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी तथा दूसरे राज्यों से माल मंगवाने वाले डीलरों और उद्यमियों के लिए ई-घोषणा की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।


उन्होंने कहा कि लोक निर्माण विभाग, सिंचाई, लोक स्वास्थ्य, आदि विभागों में खरीददारी और निविदा जारी करने के लिए ई-खरीद प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

उन्होंने कहा कि वर्तमान गैर-न्यायिक स्टाम्प पेपर की जगह राज्य में ई-स्टाम्पिंग प्रणाली की शुरुआत की जाएगी।

सेब का उत्पादन राज्य में कुल फसल उत्पादन का 93 फीसदी होता है। इसे देखते हुए बजट में सेब पुनर्विकास परियोजना का दायरा बढ़ाकर 1,000 हेक्टेयर करने का प्रस्ताव रखा गया है।

जलविद्युत क्षमता का दोहन करने के लिए बजट में 2,106 मेगावाट अतिरिक्त जलविद्युत उत्पादन का प्रस्ताव रखा गया।

धूमल ने आईएएनएस से कहा कि उन्होंने प्रदेश के सभी तबकों के लोगों का ध्यान रखा है। वित्तीय कठिनाई के बावजूद आवश्यक वस्तुओं पर सब्सिडी जारी रखी गई है, जिससे 11 लाख से अधिक राशन कार्ड धारकों को लाभ मिल रहा है।

विपक्ष की नेता विद्या स्टोक्स ने हालांकि बजट को आम आदमी विरोधी और किसान विरोधी कहा है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि बजट में कुछ भी नया नहीं है। सिर्फ तथ्यों की हेरा-फेरी की गई है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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