मैदान में हज़ारों की संख्या में लोग तिरंगों के साथ हैं. लोगों में जोश है जुनून है और जश्न का माहौल है.मंच से लोगों को संबोधित करते हुए अन्ना टीम के सदस्य अरविंद केज़रीवाल ने कहा कि वो सभी राजनीतिक दलों का धन्यवाद करते हैं और साथ ही लोगों का भी जिनके सड़कों पर आने के कारण सरकार पर दबाव बना.

केज़रीवाल ने कहा, '' पार्टियों के सहयोग के बिना ये प्रस्ताव पारित नहीं होता. हम उनका धन्यवाद करते हैं.'' अन्ना का अनशन टूटने से पहले केज़रीवाल ने लंबा भाषण दिया जिसमें उन्होंने कहा कि संविधान लोगों ने बनाया है और सबसे ऊपर लोग हैं जिसके बाद संविधान, संसद और सांसद आते हैं. उन्होंने कहा कि संसद में क़ानून जनता की इच्छा के अनुसार बने.

केज़रीवाल ने कहा कि अन्ना या अन्ना का आंदोलन संविधान के ख़िलाफ़ नहीं है जैसा कि टीम के बारे में प्रचारित किया जा रहा है. इससे पहले शनिवार को लोकसभा और राज्यसभा में अन्ना हज़ारे के तीनो मुद्दों पर सिद्धांत रुप से सहमति बनी थी और ये फ़ैसला किया गया था कि सभी सदस्यों की राय को लोकपाल विधेयक पर विचार कर रही स्थायी समिति को विचारार्थ भेज दिया जाए.

हालांकि पहले टीम अन्ना के सदस्य इन मुद्दों पर औपचारिक मतविभाजन की मांग कर रहे थे लेकिन सरकार के सदस्यों से हुई चर्चा के बाद वे ध्वनिमत से सदस्यों की मंज़ूरी के लिए राज़ी हो गए थे. दोनों ही सदनों के सदस्यों की इस सैद्धांतिक सहमति को स्थायी समिति को भेजा जा रहा है लेकिन नियमानुसार स्थायी समिति के लिए बाध्यकारी नहीं है. टीम अन्ना के सदस्यों और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच तीखी नोंकझोंक भी हुई अन्ना हज़ारे ने संसद की इस सहमति के लिए सभी संसद सदस्यों को धन्यवाद और शुभकामनाएँ दी है. हालांकि उन्होंने कहा है कि ये आधी जीत है और आधी अभी बाक़ी है.

उल्लेखनीय है कि अन्ना हज़ारे ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा था कि वे तीन मुद्दों पर संसद की सहमति चाहते हैं और अगर सहमति बन गई तो वे अपना अनशन ख़त्म करने पर विचार कर सकते हैं.जनलोकपाल के तीन अहम मुद्दों पर संसद में सहमति मांग अन्ना ने रखी थी, इसमें से एक यह था कि इसी क़ानून के ज़रिए लोकायुक्त भी बनाए जाएँ, दूसरा हर विभाग में जन समस्याओं के लिए सिटिज़न्स चार्टर बनाए जाए जिसे न मानने पर संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई हो और तीसरा ये कि केंद्र सरकार के ऊपर से नीचे तक सभी कर्मचारियों और राज्य के सभी कर्मचारियों को इसके दायरे में लाया जाए.

संसद के दोनों सदनों में अन्ना के तीन मुद्दों पर सहमति बन जाने के बाद 16 अगस्त से शुरु हुआ अन्ना हज़ारे का आंदोलन ख़त्म होने का रास्ता साफ़ हो गया था.हज़ारों प्रदर्शनकारी लगातार 12 दिन बिना किसी हिंसा के आंदोलन करते रहे अन्ना हज़ारे ने पहले पाँच अप्रैल को अनशन किया था जिसके बाद सरकार ने नागरिक समाज के सदस्यों के साथ मिलकर लोकपाल विधेयक का प्रारुप तैयार करने की सहमति दी थी.

लेकिन अगस्त के पहले हफ़्ते में जब सरकार ने लोकपाल विधेयक को संसद में पेश किया था तो अन्ना हज़ारे के समर्थकों ने इसे कमज़ोर विधेयक बताकर देश भर में इसकी प्रतियाँ जलाईं थीं और सख़्त विधेयक लाने की मांग की थी. इसके बाद अन्ना हज़ारे ने सख़्त लोकपाल विधेयक को इसी सत्र में पारित करने की मांग को लेकर 16 अगस्त से अनिश्चितकालीन अनशन करने की घोषणा की थी.

पहले तो अनशन के स्थल को लेकर खींचतान रही फिर जगह मिली तो शर्तों को लेकर खींचतान रही और आख़िर अन्ना हज़ारे ने दिल्ली पुलिस की शर्तें मानने से इनकार कर दिया तो दिल्ली पुलिस ने अनशन के लिए जगह देने से इनकार कर दिया था. अपनी ज़िद पर अड़े अन्ना हज़ारे को अनशन स्थल पर जाने से पहले दिल्ली पुलिस ने 16 अगस्त की सुबह गिरफ़्तार कर लिया तो उन्होंने तिहाड़ जेल में ही अनशन शुरु कर दिया. वे तिहाड़ से तभी निकले जब दिल्ली पुलिस ने उन्हें रामलीला मैदान में अनशन की अनुमति दे दी.

पिछले 12 दिनों में अन्ना के हज़ारों समर्थक रामलीला मैदान में डटे रहे और देश भर में जगह-जगह प्रदर्शन होते रहे. इस बीच सरकार से बातचीत का सिलसिला चलता रहा और साथ में आरोप प्रत्यारोप का. इस बीच अन्ना का स्वास्थ्य लगातार गिर रहा था और संसद ने एकमत से उनसे अनशन ख़त्म करने की अपील की लेकिन वे नहीं माने. आख़िर 12वें दिन शाम को संसद में उनके तीन मुद्दों पर सहमति के साथ अनशन ख़त्म करने की घोषणा हुई है.

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