Lucknow: लखनऊ में शिया वक्फ में 47 कब्रिस्तान दर्ज हैं, लेकिन 31 कब्रिस्तान रिहायशी मकानों में तब्दील हो चुके हैं. यानी लोगों के घरों में कभी कब्जे की बात हुआ करती थी अब कब्रिस्तान भी नहीं छूट रहे हैं. इन कब्रिस्तानों के कब्जे की जांच के आदेश तो वक्फ मंत्री आजम खां ने दे दिये हैं, लेकिन अभी भी बचे हुए कब्रिस्तान खतरे में हैं.
कब्रों को बेचे जाने और कब्रों पर अस्पताल बनाए जाने के मुद्दे को आई नेक्स्ट ने प्रमुखता से उठाया. मंगलवार को शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी बताया कि जांच के दौरान एक बड़ा घोटाला सामने आया है और हमने इसके लिए सरकार से सीबीआई जांच की सिफारिश की है.
मुतवल्लियों की मिली भगत से होता है खेल
वक्फ कर्बला बाग मिसरी ठाकुरगंज, मकबरा राजिया बेगम, तकय्या बैगम जैसे 31 कब्रिस्तान जिनका निशान भी मिट चुका है वो कर्बला के मुतवल्लियों की मिली भगत का ही नतीजा है. कहां कब निमार्ण हुआ बोर्ड को कोई जानकारी ही नहीं है. इस बारे में वसीम रिजवी ने कहा कि कुछ ऐसा ही इमामबाड़ा गुफरान मुआब में भी हुआ है.
हजारों में कब्रों को बेचा गया है, डोनेशन के नाम पर पैसा लिया गया है, लेकिन उसका कोई ब्योरा बोर्ड को नहीं दिया गया है. अस्सी कब्रों के ऊपर अस्पताल बनवा दिया गया और  वो भी मुतवल्ली के ही आदेश पर. दुख की बात तो यह है कि अस्पताल से आने वाली गंदगी के कारण कब्रों का अपमान हो रहा है लेकिन उसके लिए भी मुतवल्ली या उनके अधीन कार्य करने वालों ने कुछ नहीं किया.
करोड़ों कमाए हैं कब्र बेच कर
बोर्ड ने इस सम्बंध में जांच कराई गई तो गुफरान मुआब में एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है. वसीम रिजवी ने बताया कि साल 2006 से 2010 तक 59,82700 रुपए कब्रों को बेच कर वसूल किये गये हैं. अगर पिछले दो साल में अनुमान लगाया जाए तो यह राशि एक करोड़ रुपए के आसपास पहुंच सकती है.
जब बोर्ड लोगों को बिना पैसे कब्र देने की बात कह रहा है तो फिर कब्रें अभी भी क्यों बेची जा रही हैं. अगर किसी के घर में किसी की मौत होती है तो लोग गम के साथ इस फिक्र में भी रहते हैं कि कब्र के लिए पैसों का इंतजाम भी करना है ऐसे में लोगों को एक सुविधा बोर्ड द्वारा दी जा रही है तो उसका पालन हर कब्रिस्तान को करना चाहिए.
कल्बे जव्वाद के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग
जब सरकार और बोर्ड इसके खिलाफ कदम उठा सकते हैं तो फिर सीबीआई जांच की सिफारिश क्यों? इस सवाल पर वसीम रिजवी कहते हैं कि मौलना कल्बे जव्वाद जो गुफरान मुआब के मुतवल्ली हैं उनके दबाव के चलते यहां से कोई कार्रवाई सम्भव नहीं है. बोर्ड में इतनी क्षमता नहीं है कि उनके खिलाफ कार्यवाई करे.
जब नोटिस भेज गये वो रिसीव नहीं किये गये, जो चस्पा कराए गये वो फाड़ दिये गये. उनके कुछ करीबी कह रहे हैं कि हम तो बोर्ड का आदेश नहीं मानेंगे. इसी लिए हमने सीबीआई जांच की सिफारिश की है.