- 3 हजार चालान नो इंश्योरेंस पर शहर में हर माह

- 50 लाख से अधिक का सरकार को भुगतान करना पड़ रहा एक्सीडेंटल क्लेम पर हर साल

- 100 में 20 लोग ही कराते हैं इंश्योरेंस

- 1 सितंबर से लागू होनी है इंश्योरेंस की नई पॉलिसी

- 5 साल के लिए दो पहिया वाहन के लिए इंश्योरेंस जरूरी

- 3 साल के लिए चार पहिया वाहन के लिए इंश्योरेंस जरूरी

- राजधानी में डीलर्स के परिवहन विभाग की जल्द होगी बैठक

- परिवहन विभाग को आईडीआरए की गाइडलाइन का इंतजार

- थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अनिवार्य होने से निपटाए जा सकेंगे एक्सीडेंटल क्लेम वाले मामले

LUCKNOW: एक्सीडेंट क्लेम के लिए कोर्ट पहुंचने वाले विवाद अब कम हो जाएंगे। एक सितंबर से वाहनों के इंश्योरेंस के लिए लागू होने वाली नई पॉलिसी से इसमें खासी कमी आएगी। तीन साल और पांच साल के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अनिवार्य करने से पब्लिक पर भी बोझ कम पड़ेगा। परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार जल्द ही इंडियन रेग्यूलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटीज (आईडीआरए) के साथ मिलकर यह भी प्लान किया जा रहा है कि वाहनों के इंश्योरेंस की चेकिंग ऑनलाइन की जा सके। इसके बाद आरटीओ ऑफिस जिन वाहनों का इंश्योरेंस नहीं होगा, ऐसे लोगों को एसएमएस भेज कर एलर्ट कर सकेगा और उनका चालान भी काट सकेगा।

पांच लाख रुपए दिए जाने का नियम

एक सितंबर से शोरूम से निकलने वाली गाडि़यों का बीमा तीन साल और पांच साल के लिए किया जाना है। दो पहिया वाहनों का बीमा पांच साल के लिए और चार पहिया वाहनों का बीमा तीन साल के लिए अनिवार्य कर दिया जाएगा। वाहन मालिक को थर्ड पार्टी इंश्योरेंस इतने सालों के लिए कराना होगा। परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार रोड सेफ्टी सेल और अधिकांश राज्यों को अपने यहां एक्सीडेंट क्लेम में हर साल लाखों का नुकसान उठाना पड़ता है। राजधानी में ही हर साल एक्सीडेंट क्लेम में 50 लाख रुपए से अधिक का भुगतान करना पड़ रहा है। नियमों के तहत यदि एक्सीडेंट में किसी व्यक्ति की जान चली जाती है तो क्लेम करने वाले व्यक्ति को पांच लाख रुपए दिए जाने का नियम है। यदि कोई व्यक्ति इससे अधिक का क्लेम करता है तो भी उसे मुआवजा देना पड़ता है।

हर महीने तीन हजार चालान नो इंश्योरेंस के

परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार अधिकांश वाहन मालिक शोरूम से गाडि़यां निकालते समय ही अपने वाहनों का बीमा कराते हैं। इसके बाद बीमे को लेकर उनकी गंभीरता खत्म हो जाती है। आरटीओ ऑफिस के अनुसार राजधानी में हर माह तीन हजार से अधिक चालान इंश्योरेंस न होने के काटे जाते हैं। दोपहिया और चार पहिया वाहनों के शोरूम से जुड़े लोगों ने बताया कि बीमा खत्म होने से दो-चार दिन पहले ही वाहन मालिकों को फोन कर बताया जाता है कि उनके वाहन का बीमा खत्म हो रहा है, कृपया नवीनीकरण करा लें। इसके बावजूद 100 में 20 लोग ही इंश्योरेंस कराने के लिए आते हैं।

कोट

आईडीआरए के साथ समझौता होना है। उसके बाद आरटीओ और वहां के प्रवर्तन दस्ते इंश्योरेंस की जांच भी ऑनलाइन कर सकेंगे। ऐसे में जिनके इंश्योरेंस खत्म हो जाएंगे, उन्हें एसएमएस से एलर्ट किया जाएगा या फिर ऑनलाइन उनकी चेकिंग कर चालान काट कर भेज दिया जाएगा। थर्ड पार्टी इंश्योरेंस होने से एक्सीडेंट क्लेम के लिए विवादों में कमी आएगी।

पी गुरु प्रसाद, ट्रांसपोर्ट कमिश्नर

परिवहन विभाग यूपी

बाक्स

तो बढ़ जाएंगे वाहनों के दाम

परिवहन विभाग के अनुसार अभी 60 हजार रुपए तक वाले दो पहिया वाहन पर दो हजार रुपए सालाना इंश्योरेंस लगता है। छूट के बाद 1500 रुपए लिए जाते हैं, लेकिन अब 3 साल का इंश्योरेंस एक साथ करने से लगभग 4500 रुपए दो पहिया वाहनों को खरीदने के लिए ज्यादा देने पड़ेंगे। पहली बार वाहनों का फुल इंश्योरेंस होता है, जिसमें गाड़ी मालिक, गाड़ी और थर्ड पार्टी तीनों शामिल रहते हैं। इसी तरह चार पहिया वाहन जिनकी कीमत 10 लाख रुपए है उस पर सालाना लगभग 40 हजार का इंश्योरेंस खर्च आता है। अब जब तीन साल का बीमा एक साथ कराना होगा तो 1 लाख 20 हजार रुपए ज्यादा देने होंगे।