(1) आसन बैराज

देहरादून जाएं,तो ये 10 जगहें जरूर देखें

उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को जोड़ती आसन झील का अपना ही एक अलग इतिहास है. देहरादून से 28 किलो मीटर की दूरी पर स्थित आसन बैराज साइबेरियन बर्ड के लिए फेमस स्पॉट है. इन विदेशी मेहमानों को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में टूरिस्ट आसन बैराज का रुख करते हैं. यहां दिखने वाले पक्षी आईयूसीएन की रेड डाटा बुक (प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ) द्वारा लुप्त प्रजातियों के रूप में सूचीबद्ध किए गए हैं. आप यहां मल्लाड्र्स, रेड क्रेस्टेड पोचाड्र्स, कूट्स, कोर्मोरंट्स, एग्रेट्स, वाग्तैल्स, पोंड हेरोंस, पलस फिशिंग ईगल्स, मार्श हर्रिएर्स, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल्स, ऑसप्रे और स्टेपी ईगल्स को देख सकते हैं. सर्दियों के मौसम में विभिन्न प्रवासी पक्षियों की आमद ज्यादा रहती है. अक्टूबर से नवंबर और फरवरी से मार्च तक यहां पक्षियों को देखने का सबसे अच्छा समय है.

(2) बुद्धा टेंपल

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राजधानी दून की आईएसबीटी (इंटर स्टेट बस टर्मीनल) महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही तिब्बती समुदाय धार्मिक स्थल स्थित है. जिसे बुद्धा मॉनेस्ट्री या बुद्धा गॉर्डन के नाम से जाना जाता है. तिब्बती समुदाय द्वारा मंदिर की स्थापना 1965 ई. में की गई थी. मंदिर का अदभुत दृश्य टूरिस्ट को अपनी ओर अट्रैक्ट करता है. जानकारों की माने तो मंदिर को गोल्डेन कलर देने के लिए पचास कलाकारों को तीन साल का लंबा वक्त लगा.

(3) एफआरआई

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देहरादून क्लॉक टॉवर से महज सात किलोमीटर की दूरी स्टेट का एक मात्र सबसे ओल्डेस्ट इंस्टीट्यूट स्थित है. एफआरआई के इतिहास बारे में बात की जाए तो ब्रिटिश काल में 1878 में ब्रिटिश इंपीरियल वन स्कूल स्थापित किया गया. फिर 1906 में ब्रिटिश इंपीरियल वानिकी सेवा के तहत इंपीरियल वन अनुसंधान संस्थान (आईएफएस) के रूप में पुनस्र्थापना हुई. 450 हेक्टेअर में फैला एफआरआई में कुल सात म्यूजियम हैं. जिसमें वनस्पति विज्ञान से तत्वों को संग्रह किया गया है. वैसे तो एफआरआई का बॉलीवुड कनेक्शन भी गजब है. कई बड़े फिल्म निर्माता एफआरआई कैंपस में फिल्म की शूटिंग कर चुके हैं. जैसे धर्मा प्रोडक्शन के तहत स्टूडेंट ऑफ द ईयर, तिग्मांशू धूलिया की पान सिंह तोमर जैसी बड़ी फिल्में एफआरआई में शूट हो चुकी हैं

(4) गुच्चुपानी या रावर्स केव

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दून सिटी के कैंट एरिया से कुछ ही दूरी पर पहाड़ों की बीच बसा एक प्राकृतिक स्पॉट. जहां गर्मियों के मौसम सैंकड़ों की संख्या सैलानी पिकनिक मनाने आते हैं. पहाड़ों की बीच बसे इस गुफा के बीच से गिरता झरनों का पानी सैलानियों को बहुत अट्रैक्ट करता है.

(5) मालसी डीयर पार्क

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देहरादून मसूरी मार्ग पर मालसी डीयर पार्क स्थित है. मालसी डीयर पार्क को मिनी जू के नाम से भी जाना जाता है. पार्क में मौजूद जानवर जैसे हिरण, चीतल, मोर तेंदूआ और भी कई कई ऐसे जानवरों की प्रजातियां हैं जो टूरिस्ट को काफी अट्रैक्ट करती है. पार्क में पिकनिक मनाने के लिए भी काफी अच्छा माहौल और स्पेस है. जिसमें आप विद फैमिली अपनी वेकेशंस को एंज्वॉय कर सकते हैं.

(6) सहस्त्रधारा

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प्रकृति के गोद में बसा सहस्त्रधारा की एक अपनी अलग पहचान है. कोई सैलानी यहां पिकनिक सेलिब्रेट करने तो कोई प्रकृति के नजारों का आनंद लेने जाता है. वैसे सहस्त्रधारा में एक तरफ जहां छोटे-छोटे झरने, पहाड़ के उपर मौजूद मंदिर तो दूसरी तरफ बुद्धा मॉनेस्ट्री टूरिस्ट को खूब अट्रैक्ट करती है. सहस्त्रधारा वैसे तो सल्फर वाटर के लिए फेमस है. कहते हैं सल्फर वाटर में नहाने से स्कीन से रिलेटेड कोई भी प्रॉब्लम हो वो दूर हो जाती है.

(7) टपकेश्वर मंदिर

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टपकेश्वर महादेव मंदिर एक लोकप्रिय गुफा मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. यह देहरादून शहर के बस स्टैंड से 5.5 किमी दूर स्थित एक तमसा नदी के तट पर स्थित है. मंदिर गुफा में एक शिवलिंग है और गुफा की छत से पानी टपकता रहता है, जो सीधे शिवलिंग पर गिरता है. मंदिर के चारों ओर सल्फर वाटर का झरना गिरता है. सल्फर वाटर स्किन से रिलेटेड बीमारी के लिए काफी लाभदायक होता है. हिंदू त्योहार शिवरात्रि के अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में आते हैं.  इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का शुभ विवाह समारोह भी आयोजित किया जाता है.

(8) राजाजी नेशनल पार्क

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राजाजी नेशनल पार्क देहरादून से 23 किमी की दूरी पर स्थित है. यह पार्क 1966 में स्थापित किया गया था. राजाजी पार्क 830 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में फैला हुआ है. अपने शानदार पारिस्थितिकी तंत्र के कारण पार्क लोगों को खासा प्रभावित करता है. राजाजी, मोतीचूर और चिल्ला रेंज से घिरा हुआ है, जिस कारण यहां की प्राकृतिक छटा बरबस ही लोगों को अपनी ओर अट्रैक्ट करती है. 1983 में इन तीनों पार्कों को मिला कर एक कर दिया गया था. जिसे राजाजी नेशनल पार्क का नाम दिया गया. यह पार्क हाथी की आबादी के लिए जाना जाता है. यहां स्तनधारियों की 23 और पक्षियो की 315 प्रजातियां पाई जाती हैं.

(9) माल देवता

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प्रकृति के गोद में बसा माल देवता दृश्य देखते ही बनता है. यहां की प्राकृतिक सौंदर्य सैलानियों का मन मोह लेती है. कहते हैं कि देहरादून आए और माल देवता का विजिट नहीं किया तो आपने बहुत कुछ मिस कर दिया. माल देवता में पहाड़ों से गिरने वाले छोटे-छोटे झरने टूरिस्ट को अट्रैक्ट ही नहीं बल्कि उन्हें वहां वक्त गुजारने पर मजबूर कर देता है.

(10) गुरु राम राय दरबार साहिब

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देहरादून शहर के सेंटर में स्थित दरबार श्री गुरु राम राय जी महाराज महान स्मारक का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है. वास्तव में देहरादून शहर का नाम भी इसी गुरु राम राय जी बदौलत ही है. श्री गुरु राम राय जी, सातवीं सिख गुरू हर राय जी के ज्येष्ठ पुत्र, दून (घाटी) में अपना डेरा डाला था.  1676. में डेरा और दून के बाद में देहरादून बन गया. दरबार साहिब की अपनी अलग मान्यता है. यहां साल लगने वाले झंडा जी मेले में हजारों की संख्या संगतें देश व विदेश आती हैं. झंडा जी मेला दून का सबसे बड़ा लगने वाला मेला है. झंडा जी की भी अपनी अलग मान्यता है. झंडा जी पर शनील के के गिलाफ चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं सालों पहले आवेदन करना पड़ता है. तब जाकर 20 या 25 साल बाद किसी श्रद्धालु को झंडा जी पर गिलाफ चढ़ाने का मौका मिलता है.

देहरादून से कैमरामैन अरुण कुमार के साथ सुनील कुमार inextlive के लिए.

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