ब्रह्ममुहूर्त में जगना:
अक्सर पुराने लोग नए लोगों को समझाते हैं कि ब्रह्ममुहूर्त में जगना काफी फायदेमंद है। इसके पीछे माना जाता है कि इस मुहूर्त में पढ़ना अच्छा होता है क्योंकि इस समय का वातावरण लगभग शांत होता है और हवा में ऑक्सीजन की मात्रा भी अधिक होती है।
सोना-चांदी खरीदना:
शुभअवरों पर सोना व चांदी खरीदना काफी शुभ माना जाता है। सोने-चांदी की कीमत हमेशा बाजार के हिसाब से घटती बढती रहती है। इससे परिवार को आर्थिक-स्थिरता मिलती है।
तिल-गुड़ खाना:
गुड़ और तिल खाना मकरसंक्रांति पर शुभ माना जाता है। वैज्ञानिक कारणों पर नजर डालें तो काला तिल बदलते मौसम में अधिक फायदेमंद होता है। इसके अलवा तिल और गुड़ के सेवन से रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
होली में रंग:
होली में रंग खेलना कम पसंद करते हैं। लोगों को लगता है कि रंग खेलने से त्वचा को काफी नुकसान पहुंचता है, लेकिन यह लोगों की भूल है। गीला व सूखा अबीर रोम छिद्रों से जाकर बॉडी के Ions को मज़बूत करता है। इससे त्वचा और ज्यादा खिल जाती है।
मांग में सिंदूर:
हल्दी, चूना और मरकरी से बनने वाला सिंदूर मांग में भरने से रक्तचाप नियंत्रित रहता है। मरकरी इसमें अहम भूमिका निभाता है और यह यौन इच्छा को भी बढ़ाने में सहायक होता है। जिसकी वजह से ही विधवाओं को सिंदूर लगाने की मनाही होती है।
रमज़ान में व्रत:
व्रत रखने से पाचन क्रिया ठीक रहती है। इसीलिए रमजान का व्रत रखा जाता है। रमजान में सूरज निकलने से पहले हल्का भोजन और सूरज छिपने के बाद मीठा भोजन खाया जाता है। इससे शरीर में रक्त-चाप और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल रहता है।
नमाज़ पढ़ना:
नमाज़ की 5 मुद्राएं होती हैं। ऐसे में साइंटिस्ट का मानना है कि इससे शरीर का व्यायाम आसानी से हो जाता है। इसके अलावा इससे मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन बेहतर बना रहता है।
मंदिर जाना:
मंदिरों में मैग्नेटिक और इलेक्ट्रिक वेव से शरीर को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। इसके अलावा केंद्र में स्थापित मूर्तियों की दक्षिणावर्त परिक्रमा करने से शरीर शरीर को ऊर्जा मिलती है।
लहसुन प्याज:
कई धर्मों में लोग मांस, मदिरा, प्याज़, लहसुन खाना जरूरी मानते हैं, जबकि कई में इसकी मनाही होती है। विज्ञान के मुताबिक मदिरा से काम-वासना बढ़ती और संकोच कम हो जाता है। वहीं प्याज़, लहसुन खाने से क्रोध की बढ़ोत्तरी होती है।
दही खाना:
किसी शुभ काम के लिए जाने से पहले दही खाने को कहा जाता है। यह काफी पुरानी परंपरा है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि इससे पाचन-शक्ति बेहतर होती है और लोग काफी अच्छा फील करते हैं।
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