- 24 जून 2015 को चकराता थाने में 14 साल की किशोरी ने कराया था मुकदमा दर्ज

- विशेष न्यायाधीश पोक्सो रमा पांडेय की अदालत ने सुनाई दो दोषियों को दस-दस साल की कठोर कैद

देहरादून,

शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश पोक्सो रमा पांडेय की अदालत ने मानव तस्करी मामले में दो दोषियों को दस-दस साल की कठोर कैद की सजा सुनाई। किशोरी ने पुलिस को बताया कि उसे बेचने में उसकी मां समेत कुल नौ लोग इसमें शामिल थे।

मां और मामा ने ही कर दिया सौदा

विशेष लोक अभियोजक भरत सिंह नेगी ने अदालत को बताया कि 24 जून 2015 को चकराता थाने में 14 साल की किशोरी ने मुकदमा दर्ज कराया। उसने पुलिस को बताया कि आज से तीन साल पहले उसकी मां और रिश्ते में लगने वाले मामाओं ने उसे सुभाष (45) पुत्र तिलक राम निवासी खेड़ी छाछड़ी थाना सूरजपुर गौतमबुद्ध नगर को दो लाख रुपये में बेच दिया था। सुभाष ने उसके साथ कई बार जबरन शारीरिक संबंध बनाए। कुछ समय बाद आरोपी ने उस से वेश्यावृत्ति कराने की भी कोशिश की।

पीडि़ता ने बताया कि एक रोज वह सुभाष के चंगुल से छूटकर भाग निकली और वापस आकर अपनी मां को पूरी बात बताई। लेकिन, उसकी मदद करने के बजाए कुछ ही महीने बाद उसकी माँ ने उसको दोबारा दीवान सिंह पुत्र रतीराम निवासी बरार तहसील कालसी को 50 हजार रुपये में बेच दिया। दीवान ने भी उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। इस दौरान उसे एक बच्चा भी हुआ। पांच-छह महीने दीवानी के पास रहने के बाद वह दोबारा अपनी मां के पास पहुंची। इस दौरान सुभाष दोबारा उसके घर आया और दो लाख का हवाला देकर उसको फिर अपने साथ लेगया ़ सुभाष के चंगुल से छूट कर भगी किशोरी चकराता थाने पहुंची और पुलिस को पूरी बात बताई। मामले में मां और रिश्ते में लगने वाले मामाओं समेत कुल नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। लेकिन उसकी माँ और एक मामा की सुजवाई के दौरान ही मौत हो गई ़ अदालत ने दीवान को अलग से पीडि़ता को एक लाख रुपये देने का आदेश दिया है। साथ ही, दोनों दोषियों पर 1.45-1.45 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माने की राशि न देने पर छह-छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।