दिल्ली से हो रही नई करेंसी की कालाबाजारी

मेरठ में नहीं मिल रहे 100 रुपये के नए नोट

शादी के आगामी सीजन के चलते नए नोटों की डिमांड

Meerut। इन दिनों 100, 200 के नए नोट बाजार में नहीं है। नोटबंदी के बाद मार्केट में जहां नए नोट का क्रेज बढ़ा है वहीं अभी भी 100 का पुराना नोट ही चलन में है। हालत यह है कि लोग 100 रुपये के नए नोट के लिए 200 से 300 रुपये तक चुका रहे हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के स्टिंग में नए नोट की कालाबाजारी सामने आई है। मेरठ में नए नोटों का कारोबार कर रहे एक ब्रोकर ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। ब्रोकर की बातों पर यकीन करें तो नए नोट की तलाश में लोग मोटा कमीशन दे रहे हैं। दिल्ली से नया नोट कालाबाजारी कर मेरठ समेत देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंच रहा है। नए नोट की कालाबाजारी में दिल्ली की बैंक भी शामिल हैं।

दिल्ली में ब्लॉक नई करेंसी

सूत्रों से बातचीत और पड़ताल में निकलकर आया कि ज्यादातर नई करेंसी दिल्ली की बैंकों में ब्लॉक है। बात करें मेरठ की तो बैंक अधिकारियों ने खुद स्वीकारा है कि आरबीआई द्वारा मेरठ के लिए अभी 100 का नया नोट नहीं दिया गया है। त्योहारी सीजन और सहालग में नए नोट की डिमांड ने कालाबाजारी को बढ़ावा दे दिया है। मेरठ के कुछ युवाओं ने दिल्ली की बैंकों से संपर्क स्थापित कर खासकर 100 के नए नोट को ब्लैक करना शुरू कर दिया। नाम न छापने की शर्त पर ब्रोकर ने बताया कि मेरठ में 100 के नए नोट की बड़ी डिमांड है। त्योहारों के अलावा सहालग और शादी की मालाओं में नए नोट की जबरदस्त डिमांड है।

300 रुपये एक्स्ट्रा

पड़ताल में निकलकर आया कि 100 का नए प्रिंट के नोट के बाजार में 250 से 300 रुपये तक देने पड़ रहे हैं। हालांकि यह रेट्स कस्टमर टू कस्टमर वैरी करते हैं। नोट की मालाएं बनाने वालों को गड्डी पर 500 रुपये एक्स्ट्रा देने पड़ रहे हैं तो वहीं डिमांड पर गड्डी पर 1500 तक का कमीशन बन रहा है। शहर के घने इलाके जैसे-घंटाघर, वैली बाजार, सेंट्रल मार्केट, हापुड़ अड्डा आदि क्षेत्रों में धड़ल्ले से नोट की कालाबाजारी चल रही है तो वहीं पुलिस-प्रशासन इस ओर से आंख मूंदे है।

आरबीआई द्वारा अभी मेरठ शहर के लिये 100 का नोट देने के लिए आदेश जारी नही हुए है। दिवाली के आसपास शायद लोगो को बैंक की ब्रांच से मिलना शुरु हो जाएं।

कीर्ति दुगल, सीनियर मैनेजर, सिंडिकेट बैंक

जिन बैंकों का कैश दिल्ली से आता है उनको सौ का नया नोट दे दिया गया है। हालांकि मेरठ में ज्यादातर बैंकों में करेंसी दिल्ली चेस्ट से नहीं आती है। ऐसे में 100 के नए नोट की क्राइसिस बनी हुई है।

अविनाश तांती, लीड बैंक मैनेजर

हो सकती है सजा

एडवोकेट सुनीत राजपूत ने बताया कि करेंसी की कालाबाजारी एक गंभीर अपराध है। इसमें आईपीसी 420, 417 के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई का प्रावधान है। वहीं, धारा 420 में सात साल की सजा और 417 में दो साल की सजा का प्रावधान है।