चीनी मिल घोटाला: योगी सरकार ने की सीबीआई जांच की सिफारिश
-आठ महीने से घोटाले के सुराग तलाश रही सीबीआई
- सुप्रीम कोर्ट ने मांगा था जवाब तो हरकत में आई थी सीबीआई
- राज्य सरकार ने दो बोगस कंपनियों के खिलाफ दर्ज कराया था मुकदमा
LUCKNOW :
बसपा सरकार के कार्यकाल में 21 सरकारी चीनी मिलों को निजी कंपनियों को बेचे जाने में अंजाम दिए गये करीब 1100 करोड़ के घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश योगी सरकार ने कर दी है। हालांकि सीबीआई मामले के सुराग पिछले आठ महीनों से तलाश रही है। दरअसल, सितंबर माह में सुप्रीम कोर्ट ने चीनी मिलों की बिक्री में हुई वित्तीय अनियमितताओं पर राज्य सरकार और सीबीआई से जवाब दाखिल करने को कहा था। इसके बाद जहां सीबीआई ने चीनी मिलों की बिक्री से जुड़ी जानकारियां एकत्र करने की कवायद शुरू कर दी थी तो राज्य सरकार ने चीनी मिल खरीदने वाली दो बोगस कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी थी। अब यदि सीबीआई मामले को दर्ज करती है तो चीनी मिल खरीदने वाली कंपनियों के अलावा तमाम राजनेताओं और ब्यूरोक्रेट्स की मुश्किलें बढ़ना तय है।
डीजे आईनेक्स्ट ने किया था खुलासा
दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट ने अपने 13 अप्रैल 2017 और 19 सितंबर 2017 को प्रकाशित अंक में खुलासा किया था कि योगी सरकार बसपा राज में हुए चीनी मिल बिक्री घोटाले की जांच सीबीआई के सुपुर्द करने की तैयारी में है। दरअसल मई 2017 में न्याय विभाग ने इस घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति की थी। वहीं राज्य सरकार ने अपने छह माह का कार्यकाल पूरा होने पर जारी श्वेत पत्र में भी चीनी मिलों की बिक्री के घोटाले का जिक्र किया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जवाब मांगे जाने के बाद यह मामला फिर सुर्खियों में आया। नई दिल्ली स्थित सीबीआई मुख्यालय ने लखनऊ स्थित अपने जोनल कार्यालय से घोटाले से जुड़े दस्तावेज एकत्र कर भेजने के निर्देश दिए तो चीनी मिलें खरीदने वाली दो बोगस कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। अब राज्य सरकार ने इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश का पत्र मुकदमे की जानकारी के साथ केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को भेज दिया है। सूत्रों की मानें तो जांच की की जद में दो पूर्व मुख्य सचिव और एक दर्जन से ज्यादा आईएएस भी आ रहे हैं जिन्होंने बिक्री प्रक्रिया को अमली जामा पहनाया था।
दो कंपनियों के खिलाफ दर्ज हुआ था मुकदमा
राज्य चीनी निगम लिमिटेड ने चीनी मिलें खरीदने वाली दो बोगस कंपनियों के खिलाफ नौ नवंबर 2017 को गोमतीनगर थाने में एफआइआर दर्ज कराई थी। यह रिपोर्ट सीरियस फ्रॉड इंवेस्टीगेशन विंग की जांच के बाद दर्ज हुई थी। दरअसल चीनी निगम की 21 चीनी मिलों को वर्ष 2010-11 में बेचा गया था। इस दौरान नम्रता मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड ने देवरिया, बरेली, लक्ष्मीगंज (कुशीनगर) और हरदोई इकाई की मिलें खरीदने को ईओआई कम आरएफक्यू प्रस्तुत किया था। यही प्रक्रिया गिरियाशो कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ने भी अपनाई थी। वहीं समिति ने दोनों कंपनियों को नीलामी प्रक्रिया के अगले चरण के लिए योग्य घोषित कर दिया। एसएफआईओ की जांच में धांधली पता लगी तो दिल्ली निवासी राकेश शर्मा, गाजियाबाद निवासी धमर्ेंद्र गुप्ता, सहारनपुर निवासी सौरभ मुकुंद, सहारनपुर निवासी मोहम्मद जावेद, दिल्ली निवासी सुमन शर्मा, सहारनपुर निवासी मोहम्मद नसीम अहमद एवं मोहम्मद वाजिद अली के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गयी थी। जावेद नसीम और वाजिद पश्चिम उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े खनन माफिया मो। इकबाल के करीबी परिजन हैं। ध्यान रहे कि मो। इकबाल के खिलाफ देश की 14 एजेंसियां जांच कर रही हैं।
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कैग की रिपोर्ट में हुआ था खुलासा
चीनी मिलों की बिक्री में करीब 1100 करोड़ रुपये का घोटाला होने का खुलासा सीएजी की रिपोर्ट में हुआ था। सीएजी ने रिपोर्ट में सूबे में सक्रिय एक बड़े सिंडीकेट की ओर भी इशारा किया था जिसने राजनेताओं और अफसरों की मदद से चीनी मिलों की बिक्री करवाने में सफलता हासिल की थी।
- 2007 में उप्र राज्य चीनी निगम लि। की मिलों के निजीकरण व विक्रय का फैसला
- 21 मिलों को 2010 और 2011 में निजी कंपनियों को सस्ते में बेच दिया गया
- 1100 करोड़ रुपये का है चीनी मिल बिक्री घोटाला
- 90 करोड़ रुपये चार चीनी मिलों की कीमत आंकी गयी
- 128.41 करोड़ रुपये के औसत बाजार मूल्य की कमी की गयी
- 43.20 करोड़ सलाहकार द्वारा बताए प्लांट एवं मशीनरी के स्क्रैप मूल्य में कम किए
- 291 करोड़ के मुकाबले केवल 166 करोड़ तीन चीनी मिलों की बिक्री से
- 11 चीनी मिलों के अनुमानित मूल्य 173.63 करोड़ के मुकाबले महज 91.65 करोड़ मिले
- 01 मई 2017 को न्याय विभाग ने घोटाले की सीबीआई जांच की सहमति दी
- 12 अप्रैल 2018 को राज्य सरकार ने सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की
इन कंपनियों ने खरीदी थी चीनी मिलें
- वेव इंडस्ट्रीज लिमिटेड
- इंडियन पोटाश लिमिटेड
- गिरासो कंपनी प्राइवेट लिमिटेड
- एसआर बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड
- नीलगिरी फूड्स प्राइवेट लिमिटेड
- त्रिकाल फूड एंड एग्रो प्रोडक्टस प्राइवेट लिमिटेड
- नम्रता मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड
सीनियर फ्रॉड इंवेस्टीगेशन विंग की जांच के बाद वर्ष 2010 और 2011 में बेची गयी 21 सरकारी चीनी मिलों में हुई वित्तीय अनियमितताओं की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय से की गयी है। फिलहाल केंद्र सरकार ने अभी तक इस बाबत कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है।
अरविंद कुमार
प्रमुख सचिव गृह