चीन की सरकारी मीडिया के अनुसार उत्तर-पश्चिम  चीन के शिनजियांग प्रांत में ऑनलाइन अफ़वाह फैलाने के आरोप में क़रीब 400 लोगों से पूछताछ की गई.

शिनजियांग डेली नामक अख़बार के अनुसार इस साल 26 जून से 31 अगस्त के बीच 110 लोगों को हिरासत में लिया गया. 164 अन्य लोगों को दोबारा ऐसा नहीं करने की चेतावनी दी गई.

अख़बार के अनुसार इन अभियुक्तों पर धार्मिक चरमपंथ को बढ़ावा देने और स्थिरता को भंग करने वाली सामाग्री के वितरण का आरोप है.

शिनजियांग प्रांत मुस्लिम बहुल क्षेत्र है जहां ज़्यादातर यूग़ेर क़बीले के मुसलमान रहते हैं. मुसलमान चीन में अल्पसंख्यक हैं और चीनी प्रशासन से उनका टकराव होता रहता है.

शिनजियांग डेली को स्थानीय कम्यूनिस्ट पार्टी कमेटी का मुख्यपत्र माना जाता है.

इंटरनेट का बढ़ता प्रयोग

अख़बार के अनुसार शिनजियांग में इंटरनेट के प्रयोग में आई तेज़ी के कारण इंटरनेट पर धार्मिक चरमपंथ के प्रसार में भी बढ़ोत्तरी हुई है.

अख़बार ने बताया है कि शिनजियांग में इंटरनेट पर हिंसा को बढ़ावा देने, अफ़वाहें फैलाने जैसी आपराधिक गतिविधियों में भी इज़ाफ़ा हुआ है.

चीनी सरकार ऑनलाइन अफ़वाहों के प्रसार को रोकने की कोशिश कर रही है. सरकार का मानना है कि इस तरह की अफ़वाहों से अस्थिरता बढ़ती है.

हालाँकि अख़बार ने लोगों को हिरासत में लिए जाने की तो बात कही है लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि क्या किसी संदिग्ध को पुलिस की हिरासत से रिहा किया गया है या नहीं.

अख़बार में पुलिस हिरासत में लिए गए कुछ लोगों का विवरण भी दिया गया है. हिरासत में लिए गए लोगों में काशगर निवासी एक प्राइमरी स्कूल अध्यापक और होतान निवासी एक किसान शामिल हैं.

अख़बार के अनुसार प्राइमरी स्कूल अध्यापक ने मई में अपनी वेबसाइट पर चार वीडियो क्लिप बनाकर अपलोड किया था.

अख़बार ने स्थानीय पुलिस के हवाले से बताया कि इन वीडियो में धार्मिक चरमपंथ को बढ़ावा देनी वाली सामाग्री थी.

हालाँकि अख़बार ने इस वीडियो की सामाग्री के बारे में कोई विस्तृत विवरण नहीं दिया है.

वीडियो और ई-बुक्स

"इन लोगों को इसलिए गिरफ्तार किया गया है क्योंकि यह लोग शिनजियांग में चीन के दमन को सच को सामने लाने के लिए इंटरनेट का प्रयोग किया जिसे चीन सरकार छिपाना चाहती है."

-दिलशैट रेशिट, वर्ल्ड यूझर कांग्रेस के प्रवक्ता

टीचर ने अपनी वेबसाइट के लिंक चीन की सोशल मीडिया वेबसाइट वाइबो पर भी पोस्ट कर दिया था. ट्वीटर जैसा ही सोशल वेबसाइट वाइबो चीन में लोकप्रिय है.

पुलिस द्वारा वीडियो हटाने से पहले इसे 1500 लोग देख चुके थे और इसे 11,000 बार वाइबो पर पोस्ट किया जा चुका था.

अख़बार के अनुसार होतान के किसान ने अपनी वेबसाइट पर दो जीबी ई-बुक्स अपलोड की थीं जिनमें अलगाववादी सामाग्री थी.

उसकी वेबसाइट पर 30,000 से ज़्यादा लोग आए थे और इन्हें 600 बार पोस्ट किया गया था. इस सामाग्री को 14,000 लोगों ने डाउनलोड किया था.

अख़बार के अनुसार इस किसान पर अलगाववाद को बढ़ावा देने का आरोप है.

असंतुष्टि का प्रदर्शन

यूग़ेर समूहों के संगठन वर्ल्ड यूग़ेर कांग्रेस के प्रवक्ता दिलशैट रेशिट ने बीबीसी से कहा कि ये लोग केवल चीन सरकार के प्रति असंतुष्टि ज़ाहिर करना चाहते थे.

रेशिट का कहना था, "इन लोगों को इसलिए गिरफ्तार किया गया है क्योंकि यह लोग शिनजियांग में चीन के दमन की सच्चाई को सामने लाने के लिए इंटरनेट का प्रयोग किया जिसे चीन सरकार छिपाना चाहती है."

रेशिट ने कहा कि इन लोगों को हिरासत में लेना चीन सरकार द्वारा शिनजियांग में किए जाने वाले दमन का ही हिस्सा है.

माना जा रहा है कि इस साल इस इलाक़े में हुई झड़पों में कम से कम 100 मारे गए हैं.

शिनजियांग के यूग़ेर मुस्लिम लंबे समय से चीन सरकार द्वारा सांस्कृतिक और धार्मिक दमन के आरोप लगाते रहे हैं. दूसरी तरफ़ चीन सरकार कहती है कि उसने व्यापक स्वतंत्रता दे रखी है.

पिछले महीने  चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अलगाववाद, आतंकवाद और धार्मिक चरमपंथ के ख़िलाफ़ लड़ाई जारी रखने की शपथ ली थी.

लेकिन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि चीन सरकार अपनी दमनात्मक कार्रवाई को जायज़ ठहराने के लिए आतंकवाद के ख़तरे को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करती है.

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