आगरा। किसानों के नाम पर हर दल राजनीति कर रहा हैं और उनके संसाधनों को मुहैया कराने के नाम पर घोटाले। ऐसा ही एक कारनामा नहरों की सफाई का सामने आया है। इसकी जांच भी तारीखों की भेंट चढ़ रही है।

486 किमी। क्षेत्र में सफाई

किसानों को टेल तक पानी मिल सके, इसके लिए नहरों की सफाई के लिए वर्ष 2017-18 में करीब 12 करोड़ रुपये का बजट का प्रावधान किया गया। नहरों का एक हिस्सा भी साफ नहीं हुआ और पूरा बजट खर्च हो गया। इस गोलमाल के खुलासे पर अधिकारी गुपचुप तरीके से जांच करा रहे हैं। खासबात यह है कि डीएम के आदेश पर आठ महीने बाद भी जांच पूरी नहीं हो सकी है। आगरा टर्मिनल, रजवाह एफएस ब्रांच फतेहपुरसीकरी करीब पचास-साठ माइनरों का क्षेत्रफल 610 किमी क्षेत्रफल है। इसमें से लगभग 486 किमी क्षेत्र में सफाई दर्शायी गई। सिल्ट सफाई नहीं की गई। लेकिन दस्तावेजों में सिल्ट सफाई दिखाकर पूरे बजट को साफ कर दिया गया।

डीएम ने आक्टूबर में दिए थे आदेश

सिल्ट सफाई की शिकायत जिलाधिकारी गौरव दयाल से किसान नेता श्याम सिंह चाहर ने दर्ज कराई थी। जिलाधिकारी ने 12 अक्टूबर 2017 को सीडीओ को जांच के आदेश दिए थे। सीडीओ ने जांच कमेटी गठित कर एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी थी। लेकिन जून 2018 तक जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है। ये नहर घोटाला पहला मामला नहीं है। पूर्व में भी नहर विभाग सफाई के नाम पर विवादों में रहा है।

किसान दिवस में दिखेगा असर

नहर सफाई के नाम पर हुए गोलमाल का असर 22 जून को आयोजित होने वाले किसान दिवस में देखने को मिल सकता है। किसानों ने इसकी रूपरेखा तैयार कर ली है। किसान नेता श्याम सिंह चाहर ने बताया कि आगरा टर्मिनल और सिकंदरा माइनर की तो सफाई भी नहीं की गई है। वहीं सीडीओ रविंद्र कुमार मांदड़ का कहना है कि यह प्रकरण मेरे संज्ञान में आते ही कमेटी का गठन कर दिया गया है। एक सप्ताह में जांच रिपोर्ट दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं। रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।