RANCHI: राज्य में क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम(सीसीटीएनएस) पर करोड़ों रुपए फूंके जा रहे हैं, फिर भी झारखंड के 150 थाने इस सिस्टम से जुड़ नहीं पाए हैं। अधिकारियों का कहना है कि इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं होने के कारण थानों को सीसीटीएनएस से नहीं जोड़ा जा सका है। ऐसे में सवाल उठता है कि इतने रुपए फूंकने का क्या फायदा? झारखंड के नक्सल प्रभावित 150 जिलों के सीसीटीएनएस से नहीं जुड़ने का असर उग्रवादियों के खिलाफ ऑपरेशन पर पड़ रहा है। गौरतलब हो कि देश भर के थानों को सीसीटीएनएस से जोड़ा जा रहा है। इसके तहत झारखंड के 450 थानों को सीसीटीएनएस से जोड़ा जा चुका है। सीसीटीएनएस में देश भर की रैकिंग में झारखंड 12वें पायदान पर है।

डीजीपी ने की समीक्षा पर नतीजा शून्य

झारखंड के डीजीपी डीके पांडेय ने पुलिस मुख्यालय में सीसीटीएनएस के जरिए थानों को जोड़ने के काम की कई बार समीक्षा की है, लेकिन नतीजा सिफर रहा है। उल्लेखनीय है कि नक्सल प्रभावित जिलों के थानों का सीसीटीएनएस से नहीं जुड़ने के कारण नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन में बड़ी सफलता हाथ नहीं लग रही है।

क्या है परेशानी

राज्य पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक, सीसीटीएनएस नेटवर्क के जरिए कई राज्यों को अबतक जोड़ा नहीं गया है। गृह मंत्रालय से इस संबंध में पत्राचार किया गया है और अधिकारियों के मुताबिक जल्द ही इस समस्या से निपट लिया जाएगा। राज्य में कुछ नए थाने भी हाल में अधिसूचित हुए हैं। इन थानों को भी इस नेटवर्क से जोड़ने का काम अब चल रहा है।

ट्रायल में दो थाने भी नहीं जुड़ पाए एयरटेल से

डीजीपी ने आदेश दिया है कि निजी सर्विस प्रोवाइडर एयरटेल की सहायता से इंटरनेट क्नेक्टिविटी लेकर थानों को सीसीटीएनएस से जोड़ा जाए। दो थानों को शुरुआती दौर में ट्रायल के तौर पर निजी सर्विस प्रोवाइडर के इंटरनेट लिंक से जोड़ने का काम भी लटका हुआ है। माना जा रहा है कि इस ट्रायल के पूरा होने के बाद शेष 148 थानों को भी इस नेटवर्क से जोड़ दिया जाएगा।

5000 वायरलेस ऑपरेटरों को पोस्टिंग का इंतजार

डीजीपी डीके पांडेय ने समीक्षा के दौरान आदेश दिया है कि ट्रेनिंग पूरा कर चुके 50 वायरलेस दारोगा और 5000 वायरलेस ऑपरेटरों की भी अब थाने में पोस्टिंग दी जाए, लेकिन आदेश के महीनों बाद भी ऑपरेटरों को पोस्टिंग का इंतजार ही है। वायरलेस दारोगा और ऑपरेटर भी थानों में सीसीटीएनएस व वायरलेस से जुड़े कामकाज देखेंगे।

पुलिस के रडार से कई अपराधी बाहर

सीसीटीएनएस के जरिए राज्य में सक्रिय अपराधियों व उनपर दर्ज मामलों की जानकारी एक क्लिक पर मिलने लगी है, लेकिन इससे दूसरे राज्यों के अपराधियों की जानकारी नहीं मिल पा रही। झारखंड में बिहार व आसपास के दूसरे राज्यों के अपराधी, उग्रवादी भी समय-समय पर सक्रिय होते रहे हैं, लेकिन उनकी गिरफ्तारी या उनके संबंध में जानकारी जुटाने के लिए पुलिस अब भी मैनुअल सिस्टम के भरोसे ही है। सीसीटीएनएस के जरिए दूसरे राज्यों के अपराधियों की सूचनाएं अभी तक नहीं मिल पा रहीं। ऐसे में अपराधियों के बारे में जानकारी के लिए पुलिस को संबंधित राज्य की पुलिस से संपर्क करना पड़ रहा है।

इन्हें जोड़ा जा रहा सीसीटीएनएस से

फिंगर प्रिंट ब्यूरो,

फोरेंसिक लैब,

सभी राज्यों के पुलिस मुख्यालय

एसपी कार्यालय

रेंज आफिस

डीएसपी ऑफिस

सभी थाने