आगरा। भूकंप के इतिहास में 12 मई काला दिवस बन चुकी है। चीन में 12 मई 2008 को सिर्फ दो मिनट के लिए धरती हिली और 69,195 लाशें बिछ गई थीं। इस हादसे में 18,000 से अधिक लोग लापता हो गए थे। चीन के शिचुआन प्रांत में आए भूकंप को इसकी विनाशकारी लीला को देखते हुए ग्रेट शिचुआन भूकंप का नाम दिया गया था।

मारे गए थे हजारों

इस भूकंप में 69,195 लोग मारे गए, जबकि तीन लाख 74 हजार लोग घायल हो गए थे। रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 8.0 नापी गई थी। भूकंप का केन्द्र जमीन से मात्र 12 मील नीचे था। एक बार फिर 12 मई ने अपना इतिहास दोहराया है। 12 मई वर्ष 2015 को नेपाल समेत उत्तर भारत की धरती हिली। दोपहर तकरीबन एक बजकर 10 मिनट पर यूपी-बिहार समेत दिल्ली एनसीआर की धरती थर्रा उठी। ताबड़तोड़ भूकंप के दो झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र बना नेपाल का कोडारी। नेपाल में मंगलवार को आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.4 थी। 14 लोगों की जान चली गई जबकि 300 लोग घायल हो गए हैं। वहीं आगरा समेत देश के कई हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। लोग शायद ही 12 मई को भुला पाएंगे।

आगरा में 5.6 की तीव्रता से हिली धरती

भूकंप एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक आगरा में भूकंप की तीव्रता 5.6 महसूस की गई है। आगरा में कई बहुमंजिला इमारतों में दरारें देखने को मिली हैं। वहीं पुरानी इमारतों के झज्जे भी गिर गए। आगरा में अब भूकंप का भय सताने लगा है। यही नहीं जो लोग फ्लैट्स में रह रहे हैं वे अब उन्हें बेचना चाहते हैं। और प्लॉट लेकर घर बनवाना चाहते हैं।

8 की तीव्रता से आया भूकंप, तो मच जाएगी तबाही

आगरा में 90 हजार जिंदगियां रेत के टापू पर रह रही हैं। अगर आगरा में आठ की तीव्रता से भूकंप आया तो तबाही मंच जाएगी। यमुना किनारे बने फ्लैट किसी रेत के टापू से कम नहीं है। बिल्डरों ने खुद के मुनाफे के चक्कर में यमुना किनारे बहुमंजिला इमारतें तो खड़ी कर दीं हैं, लेकिन भूकंपरोधी के नाम पर महज औपचारिकता भर है। जानकारों के मुताबिक यमुना किनारे खड़ी कीं गई बहुमंजिला इमारतें किसी भी दृष्टि से सुरक्षित नहीं हैं।