-बाजार में चना 130 तो बेसन 150 रुपए प्रति किलो पहुंचा

-पहली बार अरहर की दाल से आगे निकली चने की दाल

- आम लोगों के लिए चने खाकर गुजारा करना भी संभव नहीं

Meerut। चना जोर गरम बाबू मैं लाया मजेदार 35 साल पहले 1981 में रिलीज हुई मनोज कुमार की फिल्म क्रांति का यह गीत काफी हिट रहा था। अब चना और चने की दाल 'क्रांति' पर उतर आए हैं। भाव आसमान चढ़ रहा है। या कहें कि इतिहास बना रहा है। चना 130 रुपए किलो है तो चने की दाल और बेसन 150 रुपए किलो। ये पहला मौका है, जब भाव के मामले में चने की दाल ने अरहर को मात दी है।

बाय प्रोडक्ट भी प्रभावित

पिछले काफी समय से दालें भाव खा रही हैं। अरहर, मूंग, उड़द आदि सभी तेजी के दौर से गुजर चुकी हैं। अब चने की दाल में गजब की तेजी देखने को मिल रही है। अरहर की दाल 200 रुपए किलो तक बिकी है। लोगों ने इसे खरीदना कम कर दिया। अरहर की तेजी घर की रसोई तक सीमित थी। चने की दाल में 'गरमी' दूर तक महसूस की जा रही है। बेसन, बूंदी, नमकीन, लड्डू, कढ़ी-चावल आदि प्रभावित हुए हैं।

फसल की कमी से बढ़े दाम

चने की नई फसल अप्रैल में आती है। 2015 में चने की बुवाई की रकबा कम रहा, इस कारण 2016 में फसल कम रही। भाव ने तेजी पकड़ी तो व्यापारियों ने जमाखोरी शुरू कर दी और देखते ही देखते चने का भाव आसमान पर पहुंच गया। जानकार बताते हैं कि अब नई फसल के लिए बुवाई शुरू हो गई है। अगर ये खबर पुख्ता हो गई कि इस बार चने का रकबा पिछली बार की अपेक्षा अधिक है तो जल्द चने की कीमतों में गिरावट आएगी।

ये मुंह और चने की दाल

ये मुंह और मसूर की दाल ये कहावत शायद उस वक्त बनी होगी, जब मसूर की दाल महंगी होगी। अरहर में तेजी आई तो लोग कहने लगे, ये मुंह और अरहर की दाल अब चूंकि चने की दाल महंगी हो रही है, इसलिए पब्लिक को कहना पड़ रहा है कि ये मुंह और चने की दाल

गरीब का गुजारा नहीं

दाल रोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ जीवन में संतोष का संदेश देने वाला फिल्म ज्वार भाटा (1973) का यह नगमा भी अब बेमानी लगने लगा है। दाल-रोटी की बात दूर, अब तो चने चबाकर भी गुजारा नहीं है।

ये हो रहा असर

-ट्रेन के सफर में अब नहीं मिल रही है प्याज, टमाटर, नीबू, हरी मिर्च के साथ चटपटी चने की दाल या चना।

- बाटी बनाने के लिए सत्तू चाहिए तो वह भी मुश्किल से मिलेगा। कुछ यही हाल भुने हुए चने का है।

- भेलपूरी में नमकीन सेव की मात्रा कम हो गई है तो हाईवे के ढाबों का 80 रुपए प्लेन वाले चना मसाला के ग्राहक कम हो गए हैं।

आटे में भी तेजी

चने की तेजी लोगों को परेशान कर रखा था कि आटे की कीमतों ने भी रफ्तार पकड़ ली। दस किलो आटे पर 20 से 40 रुपए बढ़ गए हैं, वहीं इसमें और तेजी की आशंका भी जाहिर की जा रही है।

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चने की कीमतें बढ़ने से हमारा सारा कारोबार प्रभावित हुआ है। बेसन से संबंधित सभी चीजों पर प्रति किलो 20 रुपए की वृद्धि करनी पड़ी है और इसके बावजूद लागत निकालना मुश्किल हो रहा है।

-राजेश अग्रवाल

नमकीन विक्रता, सदर

कढ़ी-चावल की कीमतें बढ़ाना फिलहाल संभव नहीं है और न प्लेट में इसकी मात्रा कम की जा सकती है। उम्मीद है कि बेसन की कीमतें नीचे आएंगी। अगर दाम कम नहीं हुए तो हम भी दाम बढ़ाने पर विचार करेंगे।

-डिंपी

कढ़ी-चावल विक्रेता, खैरनगर

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अगर कीमतें बढ़ानी हैं तो लग्जरी चीजों की बढ़ाई जाएं। खाने-पीने की चीजों पर पैसे बढ़ते हैं तो आम लोगों पर काफी असर पड़ता है। सरकार को जरूरी वस्तुओं की कीमतों पर लगाम कसनी चाहिए।

-रीना सिंघल

जरूरी चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं, जो आम जनता के लिए बेहद नुकसानदायक है। लोग क्या कमाएं और क्या खाएं। आगे-आगे क्या हालात होने वाले हैं, ये सोचकर भी डर लगता है।

-एंजिला तिवारी

महंगाई काफी बढ़ रही है, लेकिन ये सब व्यापारियों की किया धरा है। किसी भी चीज की थोड़ी-बहुत कमी होने पर वे उसे स्टॉक करना शुरू कर देते हैं, जिस कारण कीमतें बढ़ने लगती हैं। जमाखोरी करने वालों पर लगाम कसनी चाहिए।

-डॉ। अनुभूति चौहान

सरकारें महंगाई की अनदेखी कर रही हैं। नेता आपसी झगड़ों में उलझे हुए हैं और पब्लिक महंगाई तले पिस रही है। लोगों की थाली से दाल और सब्जी दोनों ही गायब हो रहे हैं। महंगाई से निपटने को सख्त कदम उठाने चाहिए।

-प्राची मिश्रा

दाल भाव

मलका मसूर काली 90

मलका मसूर लाल 100

अरहर 130

मूंग धुली 110

मूंग छिलका 100

उरद धुली 150

उरद छिलका 140

काला चना 130

सफेद चना 150

बेसन 150

(रेट प्रति किलो। बाजार के अनुसार कीमतों में कुछ फर्क हो सकता है.)