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LUCKNOW :

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी <किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी ((केजीएमयू<केजीएमयू) ) के भी खेल निराले हैं। यहां के नर्सिग संकाय में फर्जी तरीके से एडमिशन हो गया। वह क्भ् दिन क्लास करती भी रही। लेकिन कॉलेज के टीचर्स और अन्य अधिकारियों को खबर तक नहीं लगी। केजीएमयू की बड़ी लापरवाही पर मामला खुला तो यूनिवर्सिटी में हड़कंप मच गया और स्टूडेंट के कैंपस में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।

 

रोज लगती थी अटेंडेंस

केजीएमयू के नर्सिग में बकायदा एंट्रेंस एग्जाम के द्वारा ही एडमिशन किया जाता है। केजीएमयू का प्रतिष्ठित नाम होने के कारण सभी स्टूडेंट चाहते हैं कि उनका एडमिशन यहां पर हो जाए। इसके लिए वे खूब मेहनत करते हैं। ऐसे ही अनम खान ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए एंट्रेंस एग्जाम (रोल नं। 7क्ख्0क्70फ्ब्0) दिया था। मेरिट लिस्ट में उसकी रैंक फ्फ्79 आई थी। उसने एडमिशन लेकर क्7 अक्टूबर से क्लासेज भी शुरू कर दी। ड्रेस भी खरीद ली और क्भ् दिन पढ़ाई भी की, लेकिन बीते शुक्रवार को अचानक केजीएमयू प्रशासन ने उनके यूनिवर्सिटी कैंपस में प्रवेश पर रोक लगा दी है। नर्सिग संकाय के अधिकारियों की पड़ताल में पता चला है कि उसका एडमिशन केजीएमयू में हुआ ही नहीं था।

 

बिना काउंसलिंग एडमिशन

केजीएमयू में एडमिशन होने पर स्टूडेंट्स की लिस्ट बाकायदा क्लास में जाती है। उस आधार पर ही अटेंडेंस लगती है, लेकिन इस स्टूडेंट की अटेंडेंस बिना किसी लिस्ट के ही शुरू कर दी गई। पता चला कि रजिस्ट्रार ऑफिस से एडमिशन पाने वाले स्टूडेंट्स की जानकारी ही नर्सिग संकाय को पहले से नहीं दी गई। टीचर रोजाना अटेंडेंस लेती थी और ये लगातार क्भ् दिन ऐसे चलता रहा। बाद में एडमिशन पाने वाले स्टूडेंट्स की लिस्ट पहुंची तो अनम का नाम ही गायब था। जिसके बाद बाबू ने अनम को बुलाकर एडमिट कार्ड मांगा तो उसने कहा कि उसका एडमिशन हुआ है, लेकिन उसने काउंसलिंग में भाग नहीं लिया। जिसके बाद उसे प्रिंसिपल के पास ले जाया गया। सूत्रों के अनुसार अनम ने प्रिंसिपल को बताया कि उसके भाई ने एडमिशन कराकर क्लास करने को कहा था। सूत्रों के मुताबिक डीन नर्सिग प्रो। मधुमति गोयल ने मामले में केजीएमयू प्रशासन को इसकी जानकारी भेज दी थी, लेकिन केजीएमयू प्रशासन ने मामले में कोई कार्रवाई नहीं की।

 

80 हजार में एडमिशन

नर्सिग संकाय के अधिकारियों के मुताबिक पूछताछ में अनम खान ने बताया कि उसके भाई ने उसका 80 हजार रुपए में एडमिशन कराया था। उसके भाई शैफ ने बताया कि उसकी रैंक ठीक नहीं आई थी इस कारण वह काउंसलिंग के लिए एलिजिबल नहीं थी। प्रवेश परीक्षा के दौरान ही एलयू का कर्मचारी बताने वाले अनिल सिंह ने उससे कहा था कि एडमिशन न हो पाए तो बताना। इसके बाद उसे हनुमान सेतु मंदिर के पास 80 हजार रुपए लिए थे और उसके डॉक्यूमेंट भी अपने पास जमा करा लिए और कहा था कि डॉक्यूमेंट केजीएमयू से ही मिलेंगे। केजीएमयू में यही नियम भी है स्टूडेंट के सभी डॉक्यूमेंट जमा करा लिए जाते हैं और कोर्स पूरा होने पर वापस किया जाता है। अंदेशा है कि केजीएमयू का भी कोई कर्मचारी इसमें मिला हो सकता है।

 

केजीएमयू प्रशासन ने नहीं की कार्रवाई

सूत्रों के मुताबिक केजीएमयू के अधिकारियों ने दबाव में आकर न तो स्टूडेंट के घरवालों के खिलाफ एफआईआर कराई और न ही मुख्य आरोपी अनिल सिंह के खिलाफ कुछ किया। डॉक्यूमेंट न मिलने के डर से छात्रा के परिवार ने भी अब तक कोई मामला दर्ज नहीं कराया। अनम खान गरीब परिवार से उसके पिता दर्जी का काम करते हैं। उनके बेटे शैफ ने अपनी बहन का एडमिशन कराने के लिए उसका भविष्य दांव पर लगा दिया। आरोप है कि लखनऊ यूनिवर्सिटी का कर्मचारी बताने वाले अनिल सिंह ने उसकी मार्कशीट भी रख ली और रुपए भी वापस नहीं कर रहा है।

 

आरोपी हो गया गायब

जिस दिन से अनम खान को क्लास करने से रोका गया उसी दिन से आरोप के घेरे में आए तथाकथित अनिल सिंह (8009ब्क्08भ्फ्) का नंबर लगा तार स्विच ऑफ जा रहा है। खुद अनम ने बताया कि उनके डॉक्यूमेंट अनिल के पास हैं और उनका नंबर बंद है। अब उसे समझ नहीं आ रहा कि वह क्या करे, फिलहाल केजीएमयू ने उसके कैंपस में प्रवेश पर रोक लगा दी है।

 

नहीं हो सका संपर्क

मामले बात करने के लिए वीसी प्रो। एमएलबी भट्ट, डीन नर्सिग प्रो। मधुमति गोयल से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी। नर्सिग की प्रिंसिपल रश्मि पी जॉन ने मामले में कोई जानकारी देने से इनकार कर दिया।

 

मुझे भाई ने बताया था कि एडमिशन हो गया है और मैं क्लास में बैठने लगी। पिछले वेडनेसडे को बाबू ने बताया कि मेरा एडमिशन ही नहीं है और मुझे प्रिंसिपल के पास ले जाया गया। उस दिन से क्लास में बैठने नहीं दिया गया। जिसने एडमिशन कराया उनका मोबाइल लगातार स्विच ऑफ जा रहा है। मेरे हाईस्कूल व इंटर की मार्कशीट उन्होंने ले रखी हैं।

अनम खान, स्टूडेंट

 

 

मुझे विषय की जानकारी नहीं दी गई है। यह बहुत बड़ी लापरवाही है। मामले की जानकारी की जाएगी। ऐसा कोई है तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।

- प्रो। नरसिंह वर्मा, प्रवक्ता, केजीएमयू

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