15 घंटे चला सर्च ऑपरेशन, एनडीआरएफ ने खोज निकाले तीनों शव

- गणेश प्रतिमा विसर्जन के दौरान बुधवार शाम गोमती नदी में डूब गए थे चार युवक

- एनडीआरएफ के जवानों को कड़ी मशक्कत के बाद मिली सफलता

- एक और शव भी मिला, शिनाख्त नहीं

LUCKNOW

हसनगंज स्थित बैरल नंबर 2 के करीब गणेश प्रतिमा विसर्जन के दौरान बुधवार शाम गोमती नदी में डूबे तीनों युवकों के शव आखिरकार एनडीआरएफ की टीम ने बरामद कर लिये। करीब 15 घंटे तक चले सर्च ऑपरेशन में एक अन्य युवक का भी शव बरामद हुआ, लेकिन उसकी शिनाख्त नहीं हो सकी है। वहीं, हादसे के बाद पुलिस व प्रशासन की ओर से बरती गई लापरवाही से नाराज लोगों ने गुरुवार को सुबह से ही हंगामा शुरू कर दिया। जिसे काबू में करने में पुलिस के पसीने छूट गए।

एनडीआरएफ को बुलाना पड़ा

गणेश प्रतिमा विसर्जन के लिये बैरल नंबर 2 पहुंचे विशाल (17), राहुल (21), नरेंद्र (16) और राजा (20) नदी में नहाते वक्त डूब गए थे। जानकारी मिलने पर पहुंची पुलिस ने उनकी तलाश के लिये गोताखोरों को नदी में उतारा। दो घंटे की मशक्कत के बाद विशाल का शव बरामद कर लिया था। लेकिन, बाकी तीनों के शव गोताखोर बरामद नहीं कर सके। अंधेरा होने की वजह से गोताखोरों को शवों की तलाश में दिक्कत पेश आने लगी। जिसे देख आखिरकार रात करीब 11 बजे एनडीआरएफ को बुलाया गया। इंस्पेक्टर संजीव कुमार 20 सदस्यीय टीम के साथ पहुंचे। अत्याधुनिक उपकरणों से लैस जवान गोमती नदी में उतरे और शवों की तलाश शुरू की।

भड़क उठे परिजन

पूरी रात सर्च ऑपरेशन चलता रहा लेकिन, एक भी युवक का सुराग नहीं मिल सका। इधर, हादसे का शिकार हुए युवकों के परिजन व मोहल्ले वाले नदी किनारे ही पूरी रात डटे रहे। रात करीब तीन बजे तक युवकों का सुराग लगने से किनारे मौजूद परिजन व अन्य लोग भड़क उठे और प्रशासन व पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए हंगामा शुरु कर दिया। जानकारी मिलने पर एसपी ट्रांसगोमती हरेंद्र कुमार, सीओ महानगर संतोष सिंह मौके पर पहुंचे। बवाल बढ़ता देख कई थानों की फोर्स को मौके पर बुलाया गया। आखिरकार, नाराज लोगों को समझाबुझाकर शांत कराया जा सका। पूरी रात मिली नाकामी के बाद एनडीआरएफ ने बुधवार दोपहर करीब ढाई बजे तक राहुल, नरेंद्र और राजा के शव बाहर निकाल लिये। इस दौरान एक अन्य युवक का शव भी गोताखोरों ने नदी से निकाला। लेकिन, उसकी शिनाख्त नहीं हो सकी।

शव मिलने के साथ ही बढ़ती गई चीख-पुकार

बीती रात से गोमती नदी में लापता हुए युवकों के परिजनों का सब्र का बांध देररात ही टूटने लगा था। हालांकि, तट पर मौजूद परिजनों को मिल रहे दिलासों से यह उम्मीद बंध रही थी कि शायद उनके घर का चिराग जिंदा नदी से बाहर निकाल लिया जाएगा। पर, गुरुवार सुबह जैसे ही युवकों की लाशें बरामद होना शुरू हुई वहां पर चीख-पुकार मच गई। सबसे पहले नरेंद्र की लाश बरामद हुई। यह देख उसकी मां माया की हालत बिगड़ गई। मौके पर मौजूद लोगों ने किसी तरह उनके चेहरे पर पानी की बौछार मारकर उन्हें होश में लाया और दिलासा दिया। लेकिन, बेटे के बिछड़ने का गम माया को संभलने नहीं दे रहा था। उन्होंने बिलखते हुए बताया कि उनके पति विजय की पान की दुकान है। शाम करीब चार बजे जैसे ही उनके बेटे को पता चला कि गणेश प्रतिमा को विसर्जन के लिये ले जाया जा रहा है, वह भी दुकान बंद कर शोभायात्रा में शामिल हो गया। उन्होंने बताया कि नरेंद्र शिया कॉलेज से इंटर का छात्र था। इसके अलावा उसके दो भाई धर्मेद्र, जितेंद्र और बहन सुमन है। वहीं, राजा की मां ने बताया कि दो साल पहले बीमारी से उनके पति राकेश की मौत हो गई थी। वह किसी तरह से मजदूरी करके बच्चों को पाल रही थी। राहुल के चाचा अशोक सिंह ने बताया कि उनका भतीजा बीए तृतीय वर्ष का छात्र था। राहुल के पिता राजकुमार दर्जी हैं। परिवार में दो बहन रोली, शिवानी और भाई सौरभ हैं।