समय- 15 साल

करेंसी- 1 लाख

नोट - 786 नंबर

- अपनी ख्वाहिशों को मार भाई-बहनों ने जोड़े थे 786 के नोट

- जुर्माने व परिजनों के दबाव में आकर बैंक में जमा किये रुपये

LUCKNOW :

आज के समय में लोग अपनी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए पैसा जोड़ते हैं, वहीं समाज में ऐसे लोग भी हैं जो अपनी इच्छाओं को खत्म कर एक-एक पैसा जोड़ते हैं। ऐसा ही एक मामला बुधवार को सामने आया। आलमबाग के वीआईपी रोड के पकरी पुल के पास स्थित फौजी कॉलोनी में सेना के रिटायर्ड सूबेदार मेजर बृजलाल मिश्रा का परिवार रहता है। परिवार के चार बच्चों आस्था, कुशाग्र, शांतनु व जीविका ने पांच सौ के करीब एक लाख रुपये एकत्र किये।

आठ नवंबर को लगा धक्का

बच्चों में सबसे बड़ी आस्था को बचपन से ही 786 के नोटों को इकट्ठा करने का शौक था। उसके इस शौक को देखकर अन्य भाई-बहनों ने भी यह आदत डाल ली। वह रिश्तेदारों व परिजनों से मिले पैसों को इकट्ठा कर लेते थे। उसके बाद वह 786 की संख्या वाली नोट को ढूंढने में लग जाते थे। इस काम में उन्हें दोस्तों, परिचितों, परिजनों व आसपास के दुकानदारों की भी मदद लेनी पड़ती थी। इस तरह उन्होंने एक लाख रुपये के 786 की संख्या वाली नोटों को इक्ठ्ठा कर लिया। मगर इनके इस सपने को आठ नवंबर की रात को काफी धक्का लगा जब प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा की।

जिद् पर अड़े रहे बच्चे

घोषणा के बाद बच्चे पहले तो इन्होंने ना जमा करने पर अड़े रहे। बाद में सोमवार को सरकार की ओर से जारी जुर्माने के नए फरमान को सुनकर बच्चों ने वर्षो की मेहनत से इकट्ठा किये गए 786 संख्या वाले रुपयों को बैंक में जमा कर दिया। नोटबंदी के 50वें दिन बृजलाल मिश्रा ने आशियाना स्थित ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स की शाखा में जाकर आस्था के खाते में पैसे जमा किये। करीब पंद्रह साल में इन बच्चों ने लगभग एक लाख रुपये एकत्र किये थे।

शाखा प्रबंधक ने सराहा

शाखा प्रबंधक रोमेश अग्रवाल के पूछने पर बच्चों ने बताया कि 786 संख्या वाले नोटों को इकट्ठा करने की शुरुआत बड़ी बहन आस्था ने की थी। उन्ही को देख हमने भी इन्हें इकट्ठा करना शुरू कर दिया। बच्चों की बात सुनकर शाखा प्रबंधक ने उन्हें शाबाशी दी और भविष्य में भी धन संचय की सलाह दी।