30 युवाओं को आईएस में शामिल होने से रोकने में मिली सफलता
भारतीय युवाओं को आईएस के दुष्प्रचार से रोकने में एजेंसियों को बड़ी सफलता मिली है और अब तक 30 युवाओं को आईएस में शामिल होने से रोका जा चुका है। हालत यह है कि बढ़ती असहिष्णुता की बहस के बावजूद केवल 23 भारतीय युवा ही आईएस में शामिल हुए हैं, इनमें से एक वापस लौट चुका है। इस्लामिक स्टेमट के खतरे से निपटने के लिए भारतीय एजेंसियोंं की तैयारियों का हवाला देते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पूरे देश में केवल 150 युवाओं में आतंकी संगठन के प्रति लगाव देखने को मिल रहा है। वैसे इनमें से कोई भी सीधे आईएस के संपर्क में नहीं है। वे वेबसाइटों पर आईएस के बारे में जानकारी हासिल करते देखे गए हैं। सुरक्षा एजेंसियां इन युवाओं की गतिविधियों पर नजर रखे हुए है। इनमें से अधिकांश युवा दक्षिण भारत से हैैं। सुरक्षा एजेंसियों की इस मुस्तैदी का नतीजा है कि अभी तक 30 युवाओं को आईएस में शामिल होने से रोका जा चुका है।
सीरिया में लड़ रहे 23 भारतीयों में छह मारे गए, एक वापस लौटा
आईएस की ओर से इराक और सीरिया में लड़ाई करने गए 23 भारतीयों में से छह मारे जा चुके हैं, जिनमें मुंबई के कल्याण से गया एक युवक भी शामिल है। जबकि कल्याण का एक युवक पहले ही वापस आ चुका है। जो भारतीय युवा आइएस में शामिल भी हुए हैं, उनमें से अधिकांश पहले से विदेशों में रह रहे हैं। इनमें आस्ट्रेलिया से एक, सिंगापुर से एक और ओमान से एक युवा शामिल हैं। जबकि पहले से पाकिस्तान में रहे इंडियन मुजाहिद्दीन के कुछ आतंकी भी आइएस में शामिल हुए हैं। इनमें सुल्तान अजमेर शाह और बड़ा साजिद प्रमुख हैं। गौरतलब है कि आइएस के लिए यूएई से भर्ती अभियान चलाने वाली हैदराबाद की महिला को वापस भारत लाया गया है। इसके साथ ही केरल के चार अन्य युवाओं को भी यूएई भारत भेज चुका है। वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि फिलहाल भारत में आइएस के किसी माड्यूल के सक्रिय होने की कोई खुफिया जानकारी नहीं है।
भारत को भी मिल रही चुनौती
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