- बेहतरीन ट्रेनिंग नहीं दिला पा रहा है विभाग

- खेल विभाग का योगदान न के बराबर

16 खेलों का प्रशिक्षण दिया जा रहा

44 खेल हॉस्टल्स है पूरे प्रदेश में

32 ब्वायज हॉस्टल्स

12 ग‌र्ल्स हॉस्टल्स

890 खिलाड़ी रह रहे हॉस्टल में 670 ब्वायज प्लेयर्स की संख्या

220 ग‌र्ल्स प्लेयर्स ले रही हैं ट्रेनिंग

LUCKNOW :

एशियन गेम्स भारतीय खिलाडि़यों के साथ ही यूपी के खिलाड़ी भी जकार्ता में चमक बिखेरने में कामयाब रहे, लेकिन इस चमक में उत्तर प्रदेश खेल विभाग के उन खिलाडि़यों का कहीं नामों निशान नहीं है जो इनकी विभिन्न स्कीमों में रह कर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। खेल विभाग के अधिकारियों के अनुसार खेल विभाग खिलाडि़यों को कोचिंग नहीं दे रहा है। तदर्थ प्रशिक्षक की देखरेख में भी कैम्प का संचालन किया जाता है और वहां बहुत से खिलाड़ी आते हैं, लेकिन उनका रिकॉर्ड हमारे पास नहीं होता है।

फ्री किट की व्यवस्था

उप्र खेल विभाग की देखरेख में 16 खेलों का संचालन किया जाता है। इन खेलों में प्रोफेशनल ट्रेनिंग देने के लिए खेल विभाग की देखरेख में 44 हॉस्टल संचालित किए जाते हैं। इनमें 32 हॉस्टल ब्वॉयज के तो 12 हॉस्टल ग‌र्ल्स के हैं। इनमें 670 ब्वॉयज और 220 ग‌र्ल्स शामिल हैं। इन खिलाडि़यों को हॉस्टल में रहने के साथ ही खेल की ट्रेनिंग की व्यवस्था और उसके उपकरण नि:शुल्क दिए जाते हैं। इन खिलाडि़यों की पढ़ाई की व्यवस्था भी सरकारी स्कूलों में फ्री की जाती है। लेकिन यहां के खिलाड़ी नेशनल लेवल तक पहुंच रहे हैं, लेकिन इससे आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।

ट्रेनिंग का स्तर खराब

विभागीय अधिकारियों के अनुसार यहां पर प्रशिक्षण का लेवल बहुत अच्छा नहीं है। प्रशिक्षकों को ना तो नए कोर्सेज के बारे में पता होता है और ना ही ट्रेनिंग के लिए हाइटेक होते शेड्यूल के बारे में जानकारी होती है। वहीं हॉस्टल में रहने वाले खिलाडि़यों के सेलेक्शन पर भी लगातार अंगुलियां उठती रही है। सिर्फ इतना ही नहीं खिलाडि़यों को ट्रेनिंग देने के लिए बने सेंटर आधे-अधूरे हैं। राजधानी के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में ही हॉकी और एथलेटिक्स हॉस्टल बना है। हॉकी खिलाडि़यों के लिए जहां अब टर्फ पर ट्रेनिंग अनिवार्य की जा रही हैं वहीं ये खिलाड़ी अभी भी यहां पर ग्राउंड में प्रैक्टिस करते हुए देखे जा सकते हैं। इसी तरह से एथलेटिक्स के खिलाडि़यों के लिए सिंथेटिक ट्रैक बिछाए जा रहे हैं, यहां के खिलाडि़यों को अभी भी ग्राउंड में ही ट्रेनिंग कराई जा रही है।

कोट

खिलाडि़यों को एडवांस ट्रेनिंग दिए जाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। राजधानी के खिलाड़ी इंटरनेशनल लेवल पर प्रदर्शन भी कर रहे हैं। हमारे यहां एडहॉक कोचिंग कैम्प में भी बहुत से खिलाड़ी प्रैक्टिस करते हैं। उनका रिकार्ड तभी तक रहता है जब तक वे प्रैक्टिस करते हैं।

- अनिल बनौधा, कार्यकारी निदेशक

उप्र खेल विभाग

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निर्माण कार्यो पर अधिक ध्यान

विभागीय अधिकारियों की मानें तो खेल विभाग निर्माण कार्यो पर अधिक ध्यान दे रहा है। हर शहर में खिलाड़ी भले ना हो, लेकिन स्टेडियम बनाए जाने पर जोर दिया जा रहा है। राजधानी में ही चार स्टेडियम है, लेकिन इनकी हालत बहुत खराब है। केडी सिंह बाबू स्टेडियम हो या चौक स्टेडियम रखरखाव के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। वहीं गोमती नगर मिनी स्टेडियम और पद्मश्री मो। शाहिद स्टेडियम में प्रशिक्षकों का अभाव है।

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इन खेलों के हॉस्टल

खेल विभाग की देखरेख में हॉकी, तैराकी, वॉलीबाल, जिम्नास्टिक, एथलेटिक्स, क्रिकेट, फुटबाल, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, बास्केटबाल, कबड्डी, कुश्ती, बॉक्सिंग, हैंडबाल, जूडो और तीरंदाजी के हॉस्टल संचालित किए जाते हैं। एक हॉस्टल में दस से लेकर 30 खिलाड़ी मौजूद हैं।