- यूपी पुलिस ने प्रदेश में नहीं जमने दी जैश ए मोहम्मद की जड़ें

- दो एनकाउंटर के बाद यूपी में आने से खौफ खाने लगे थे आतंकी

- 16 साल बाद देवबंद में पकड़े गये कश्मीर निवासी जैश के आतंकी

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LUCKNOW : पाकिस्तान की सरपरस्ती में पनपने वाले आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद को खाकी के जाबांजों ने यूपी में अपनी जड़ें जमाने नहीं दी थीं। करीब 16 साल बाद देवबंद में कश्मीर से आए जैश के आतंकी भी यूपी पुलिस की नजरों से बच नहीं पाए। उनसे पूछताछ में जैश के उन मंसूबों का भी पता चला जिसके जरिए वे देश में अस्थिरता पैदा करना चाहते थे। दरअसल दो दशक पहले जैश ने यूपी में आतंक फैलाने की कोशिश की थी। राजधानी को सबसे पहले उन्होंने अपना निशाना बनाया था। यूपी पुलिस ने उनको ठिकाने लगाकर आतंकी संगठनों को यह संदेश दे दिया था कि यूपी की सरहद में आने पर उनका यही हश्र होगा।

गोमतीनगर में हुआ था एनकाउंटर
बताते चलें कि 18 अप्रैल 2001 को राजधानी लखनऊ में पहली बार जैश के आतंकियों का यूपी पुलिस से सामना हुआ था। प्रदेश में बड़ी आतंकी वारदात करने के इरादे से आए जैश के तीन आतंकियों सलीम उर्फ बाबर, राशिद उर्फ फैजान और सज्जाद उर्फ तलहा को एसटीएफ ने गोमतीनगर इलाके में हुए एनकाउंटर में मार गिराया था। उनके पास से दो किलो आरडीएक्स, दो एके-47 राइफल, गोला बारूद और तमाम अन्य हथियार बरामद किए गये थे। इसके बाद नौ मार्च 2003 को मुजफ्फरनगर में जैश के दो आतंकियों इजाज हुसैन जान निवासी बारामूला व मेराज हसन निवासी कुपवाड़ा को पकड़ा गया था। उनके कब्जे से पुलिस ने संसद का एक स्केच, दिल्ली का एक नक्शा, एक टेलीफोन डायरी और एक मोबाइल बरामद किया था। इसके तीन दिन बाद 12 मार्च को एसटीएफ ने फिर एक ऑपरेशन अंजाम दिया जिसमें नोएडा के सेक्टर 34 में छिपे उनके एक साथी को मार गिराया गया। उसके पास से एक एके-47, गोला बारूद और विस्फोटक बरामद किए गये थे।

पकड़े गये थे जैश के 12 आतंकी
लंबे समय के बाद देवबंद में अपनी जड़े जमा रहे जैश के आतंकी मॉड्यूल का खुलासा वर्ष 2016 में हुआ था। दिल्ली पुलिस ने देवबंद से 12 संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया था और अपने साथ लेकर चली गयी थी। इस मामले के बाद देवबंद में जैश की गतिविधियां बढ़ने का पता चला जिसके बाद सुरक्षा एजेंसियां ज्यादा सतर्कता बरतने लगी। वहीं वर्ष 2017 में जैश के सरगना के एक नए रिकॉर्डेड टेप के जरिए पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को धमकी दी गई थी। जैश के सरगना मसूद अजहर के इस टेप में मोदी और योगी आदित्यनाथ पर बारूद के बजाए दवा और केमिकल से हमला करने का जिक्र था हालांकि सुरक्षा एजेंसियों ने इसे फर्जी करार दिया था।

अयोध्या दहलाने की रची थी साजिश
5 जुलाई 2005 को जैश के आतंकियों ने अयोध्या के राम जन्म भूमि परिसर पर आतंकी हमले की साजिश रची थी। करीब सवा नौ बजे आतंकियों ने फैजाबाद के अयोध्या स्थित रामजन्मभूमि परिसर की बैरिकेडिंग के पास और परिसर में ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए बम धमाका किया था। इसमें ड्यूटी में तैनात सुरक्षा बल के कई जवान जख्मी हो गए थे। जवाबी कार्रवाई में सीआरपीएफ के जवानों ने पांच आतंकियों को ढेर कर दिया था। बाद में पांच और आरोपी पकड़े गए थे। दो आम नागरिक भी इस हमले में मारे गए थे जबकि सात अन्य लोग घायल हुए थे। घटना के बाद सहारनपुर निवासी डॉ। इरफान, जम्मू निवासी आसिफ इकबाल उर्फ फारुख व शकील अहमद, पुंछ निवासी मो। नसीम और मो। अजीज को भी दबोच लिया गया था।

देवबंद की क्यों बना ठिकाना
जैश के आतंकियों द्वारा देवबंद को अपना ठिकाना बनाने की खास वजह है। देवबंद में दारुल उलूम के स्टूडेंट्स के साथ आसानी से घुलमिल कर रहने की वजह से उन पर जल्दी किसी का शक नहीं जाता है। वहीं दिल्ली नजदीक होने से वह आसानी से उसे निशाना बना पाते है। यूपी में सख्ती बढ़ने पर उनके पास नजदीक सीमा पार करके उत्तराखंड में छिपने का विकल्प मौजूद रहता है। दरअसल लश्कर के साथ दोस्ती बढ़ाने के बाद जैश ने पहले नेपाल सीमा को घुसपैठ के लिए चुना था। सशस्त्र सीमा बल और यूपी पुलिस की मुस्तैदी की वजह से उनको मुश्किलें आने लगी तो कश्मीर से यूपी आना उनको ज्यादा मुफीद लगने लगा।

यूपी पुलिस ने अपने साथ बाकी प्रदेशों में हुई बड़ी आतंकी घटनाओं का खुलासा कर तमाम कुख्यात आतंकियों को गिरफ्तार किया है। यूपी में एनकाउंटर के डर से उन्होंने आना बंद कर दिया था। बीते पांच साल की सपा सरकार में एटीएस को निष्क्रिय करने की कोशिश की गयी जिससे आतंकी संगठनों को स्लीपिंग मॉड्यूल बनाने का मौका मिला। कचहरी ब्लास्ट के आरोपी खालिद मुजाहिद की बीमारी से मौत होने पर दो डीजी समेत 42 पुलिसकर्मियों पर सपा सरकार में मुकदमा दर्ज हो गया जिससे पुलिस का हौसला टूटा। यह मुकदमा योगी सरकार आने पर ही खत्म हो पाया.
बृजलाल, पूर्व डीजीपी एवं उप्र एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष

बीते 10 सालों में यूपी से पकड़े गये आतंकी

2008- 6 इंडियन मुजाहिदीन और सिमी

2009- 0

2010- 4 सिमी और बब्बर खालसा

2011- 1 आईएम आतंकी

2012- 0

2013- 0

2014- 0

2015- 0

2016- 4 आईएस

2017- 13 आईएस, आईएम, एबीटी

2018- 7 आईएस, जेएमबी, लश्कर