RANCHI : छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले से सटे दलधोवा घाट में एक बस के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से 17 यात्रियों की मौत हो गई, जबकि दो दर्जन लोग गंभीर रुप से घायल हैं। बुधवार की रात 10.20 बजे के करीब यह हादसा हुआ। यह बस गढ़वा से रायपुर जा रही थी। यह बस गढ़वा से रायपुर जा रही थी। मृतकों में ज्यादातर यात्री झारखंड और बिहार के हैं। इधर, झारखंड सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार के सामंजस्य से मृतकों व घायलों को वाहन द्वारा गढ़वा भेजा गया है। मृतकों में 11 झारखंड के हैं।

30 फीट गढ्डे में जा गिरी

महेंद्रा नाम की बस तेज रफ्तार से जा रही थी। जैसे ही यह बलरामपुर के दलधोवा घाट के पास पहुंची, अनियंत्रित होकर तीन बार पलटते हुए 30 फीट नीचे गढ्डे में जा गिरी। इस बस में 66 यात्री सवार थे, जिनमें चार महिलाएं व तीन बच्चे थे। इस घटना के बाद स्पॉट पर कोहराम मच गया। घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोगों ने पुलिस की मदद से घायलों को बचाने की मुहिम शुरु कर दी। इस दौरान जहां 13 लोग मौके पर ही मौत के शिकार हो गए, वहीं गंभीर रुप से घायल 18 यात्रियों को अंबिकापुर अस्पताल में ले जाया गया, जहां चार घायलों ने दम तोड़ दिया।

हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह के निर्देश पर घायलों को बेहतर इलाज के लिए रायपुर ले जाने के लिए भारतीय वायुसेना के दो हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया गया। सीआरपीएफ के जवान 15 घायलों को रायपुर ले गए, लेकिन एक की बीच रास्ते में मौत हो गई।

मृतकों में 8 गढ़वा जिले के

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में बुधवार की देर रात महेंद्रा बस दुर्घटना में गढ़वा जिले के विभिन्न प्रखंडो के आठ लोगों की मौत हो गई। वहीं तीस लोग घायल हो गए हैं। इस दुर्घटना में मारे गए लोगों का शव गुरुवार की देर शाम तक इनके घर नहीं पहुंच सका था।

गुजरात जा रहे थे मजदूरी करने

जानकारी के अनुसार दवनकारा गांव से करीब 17 मजदूर एक साथ बुधवार को छत्तीसगढ़ के रायपुर से होकर बडोदरा गुजरात के लिए निकले थे जो गढ़वा से 7 मजदूर रॉयल बस पर रायपुर के लिए सवार हुए। जबकि 10 मजदूर महेंद्रा बस पर सवार हुए थे जो बस दुर्घटनाग्रस्त हो गया। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि पहली बार प्रदेश कमाने गये चार चार लोगों का शव गांव पहुंच रहा है दो असहनीय व दुखद घटना है। एक हजार आबादी वाला दवनकारा गांव में पिछले दो दिन सालों से मेहनत के बल से 20 लड़के पुलिस में बहाल में हुए थे। जिससे गांव में काफी बदलाव हुआ था। लेकिन चार साल से पड़ रहे सुखाड़ अकाल के कारण ही मजदूर पलायन कर रहे हैं जो असयम काल कवलित हो रहे है।