17 स्कूलों का हो रहा निर्माण

2 जुलाई से स्कूलों में पढ़ाई होना मुश्किल

69.51 लाख हर स्कूल का बजट

- केंद्र सरकार की योजना से बन रहे 17 स्कूल

- जुलाई से नए राजकीय हाईस्कूलों में पढ़ाई मुश्किल

LUCKNOW :

कहीं छत का प्लास्टर अधूरा है तो कहीं बाकी निर्माण। न तो बिजली का कनेक्शन हुआ है और न ही बच्चों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था की गई है। जो रैम्प बनाए गए, वह भी मानक पर खरे नहीं हैं। स्कूल भवन के अंदर कमरों के खिड़की-दरवाजेतक गायब हैं। यहां तक बिजली कनेक्शन के लिए की गई वायरिंग भी खुली है। वहीं एक स्कूल में तो अब तक सिर्फ नींव ही डाली गई है। राजधानी में बन रहे 17 राजकीय हाईस्कूलों के भवनों की तस्वीर कुछ ऐसी ही है। ऐसे में दो जुलाई से इन स्कूलों में पढ़ाई शुरू होना मुश्किल है। इन स्कूलों की रिपोर्ट डीआईओएस ने तैयार कर डीएम को भेजी है।

आरएमएसए के तहत बन रहे 17 स्कूल

दरअसल, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) के अंतर्गत साल 2015-16 में राजधानी में 17 राजकीय हाईस्कूलों के निर्माण कराने को मंजूरी दी गई थी। प्रत्येक स्कूल के निर्माण के लिए 69.51 लाख रुपए का बजट दिया गया। साल 2015-16 में निर्माण कार्य की जिम्मेदारी ग्रामीण अभियंत्रण विभाग को दी गई। साथ ही संस्था को बजट की पर्याप्त धनराशि भी उपलब्ध कराई गई। लेकिन फिर भी अब तक निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका। स्थिति यह है कि राजकीय हाईस्कूल उतरावां में नींव स्तर के बाद निर्माण बंद कर दिया गया।

डीआईओएस ने तैयार की रिपोर्ट

राजकीय हाईस्कूल बीबीपुर, बीकेटी- यहां न तो पीने के पानी की व्यवस्था है और न ही लैब में बेसिन बनाया गया। वायरिंग खुली है। स्विच की क्वालिटी भी घटिया है। बिजली कनेक्शन भी नहीं किया गया है। समरसेबिल की वायरिंग भी खुले में है। रैम्प मानक के विपरित हैं। टॉयलेट के बगल की मिट्टी धंस गई है जिससे टैंक खुल गए हैं।

राजकीय हाईस्कूल मवई, सरोजनीनगर - भवन में पंखे और लाइट नहीं लगाई गई हैं। खिड़कियों में कांच, बाथरूम में दरवाजे के साथ फायर सेफ्टी उपकरण भी नहीं हैं। टॉयलेट की पुताई, सेनेट्री, पेयजल सहित कई प्रमुख काम अधूरे हैं।

राजकीय हाईस्कूल, थरी - टॉयलेट में छत, प्लास्टर एवं फिनिशिंग का काम अधूरा है। कमरों में दरवाजे नहीं हैं। बिजली कनेक्शन से लेकर दीवारों की रंगाई-पुताई एवं सेनेट्री वर्क भी अधूरा है।

राजकीय हाईस्कूल सिंघरवा, मलिहाबाद - यहां समरसेबिल नहीं लगा है। टॉयलेट भवन एवं सेनेट्री का काम भी अधूरा है। बिजली कनेक्शन नहीं है। कमरों में पंखे, टयूबलाइट एवं स्विच बोर्ड भी नहीं लगाए गए हैं। अग्निशमन यंत्र भी नहीं हैं।

राजकीय हाईस्कूल रतियामऊ, मस्तेमऊ - भवन में स्लैब, प्लास्ट, फर्श फिनिशिंग का काम अधूरा है। निर्माण की गति धीमी है। राजकीय हाईस्कूल मस्तेमऊ में निर्माण की स्थिति अच्छी नहीं है। यहां रैम्प, बरामदे की फर्श नहीं बनी है। छत पर काम अधूरा है। खिड़की, दरवाजे तक नहीं लगवाए गए हैं। पीने के पानी से लेकर, पुताई, पंखे, बल्ब, सेफ्टी टैंक का काम भी अधूरा है।

इन स्कूलों का निमार्ण भी अधूरा

राजकीय हाईस्कूल, बेहटा

राजकीय हाईस्कूल, रसूलपुर सादात

राजकीय हाईस्कूल, पलेहन्दा

राजकीय हाईस्कूल, जौरिया

राजकीय हाईस्कूल, ससपन

राजकीय हाईस्कूल, मलहा

राजकीय हाईस्कूल, मस्तीपुर

राजकीय हाईस्कूल, सुरियामऊ

राजकीय हाईस्कूल, धनुवासांड

राजकीय हाईस्कूल, उतरावां