RANCHI: बारिश के आते ही मौसमी बीमारियों का कहर बढ़ गया है। इन सबके बीच डेंगू और मलेरिया के मरीज भी काफी संख्या में रिम्स पहुंच रहे हैं। हर साल स्वास्थ्य विभाग इसको लेकर अभियान चला रहा है, फिर भी इस पर काबू नहीं पाया जा सका है। वहीं, रिम्स के पेडियाट्रिक वार्ड में सेरेब्रल मलेरिया से ग्रसित बच्चे भी काफी संख्या में आ रहे है। पिछले 12 दिनों में ही सेरेब्रल मलेरिया से ग्रसित 17 बच्चे रिम्स आ चुके हैं।

सांस लेने में तकलीफ

सेरेब्रल मेलरिया होने के बाद मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। इसके अलावा मरीज का प्लेटलेट्स भी गिर जाता है। इस स्थिति में मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। कई बार मरीज को इंटरनल और एक्सटर्नल ब्लीडिंग भी होने लगती है। वहीं बुखार के दिमाग पर चढ़ जाने से मरीज कोमा में भी चला जाता है।

इलाज में देरी से किडनी डैमेज

पिछले दिनों रिम्स में सेरेब्रल मलेरिया से ग्रसित बच्चों की किडनी डैमेज होने का मामला भी आया। इसमें डॉक्टरों ने बताया था कि इलाज में देरी के कारण बच्चों की किडनी डैमेज हो गई थी। उस समय बच्चों को डायलेसिस कराने की सलाह डॉक्टरों ने दी थी। साथ ही डॉक्टर ने यह भी बताया कि गांवों में बुखार होने पर लोग तत्काल डॉक्टर से इलाज नहीं कराते हैं। मेडिकल स्टोर से दवा लेकर खाने से बीमारी ठीक नहीं होती, बल्कि और बढ़ ही जाती है।

आसानी से पचने वाला खाना

मलेरिया के ट्रीटमेंट के दौरान जब मरीज को दवा दी जाती है, तो उसे अच्छा डाइट भी दिया जाना चाहिए। खाने में मरीज को आसानी से पचने वाला खाना देना चाहिए। चूंकि मलेरिया की दवा खाने से मरीज को एसीडिटी हो जाती है। इसके अलावा पानी भी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए।