नौसेना की ओर से बताया गया है कि इन दोनों के शव पनडुब्बी के अंदर एक कंपार्टमेंट से बरामद किए गए.

हादसे का शिकार हुई पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरत्न गुरुवार सुबह तट पर लौट आई.

एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि पनडुब्बी पर सवार बाक़ी लोग सुरक्षित हैं. हादसे की पड़ताल के लिए रियर एडमिरल स्तर के एक अधिकारी के नेतृत्व में उच्च स्तरीय जांच दल बनाया गया है जिसने अपना काम शुरू भी कर दिया है.

पनडुब्बी पर सवार नौसेना के सात कर्मचारियों को इलाज के लिए बुधवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

आईएनएस सिंधुरत्न बुधवार को मुंबई समुद्रतट से लगभग 40-50 किलोमीटर दूर परीक्षण के दौरान तब हादसे का शिकार हुई जब उसमें से अचानक धुंआ निकलने लगा.

इसकी वजह से पनडुब्बी के दरवाज़े बंद हो गए थे.

हादसे

हादसे के बाद  दुर्घटना की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके जोशी ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. सरकार ने भी उनका इस्तीफ़ा तुरंत प्रभाव से स्वीकार कर लिया था.

नौसेना के उप-प्रमुख वाइस एडमिरल आरके धवन को कार्यवाहक नौसेना प्रमुख का कार्यभार सौंपा गया है.

रूस में बनी किलो क्लास की इस पनडुब्बी को वर्ष 1988 में नौसेना में शामिल किया गया था और साल 2003 में इसकी मरम्मत की गई थी.

पिछले सात महीने में भारतीय नौसेना के दस युद्धपोत और तीन पनडुब्बियां दुर्घटनाग्रस्त हो चुकी हैं.

पिछले साल अगस्त में भी एक पनडुब्बी, आईएनएस  सिंधुरक्षक में दो भारी धमाके हुए थे और आग लगने के बाद वह डूब गई थी. उस हादसे में नौसेना के 18 कर्मचारी मारे गए थे.

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