2014 एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती में फर्जीवाड़े की फिर से होगी जांच

-करीब आधा दर्जन अभ्यर्थियों ने फर्जीवाड़ा करके हासिल की थी नौकरी

ALLAHABAD: राजकीय विद्यालयों में एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती 2014 में हुए फर्जीवाड़े की जांच रिपोर्ट पर मौजूदा सरकार को भरोसा नहीं है। यही कारण है कि फर्जीवाड़े की जांच रिपोर्ट आने के एक साल से अधिक का समय हो गया है, लेकिन दोषियों के ऊपर बोर्ड की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे में मौजूदा सरकार पूरे मामले में फिर से जांच कराने की तैयारी में है। इसके लिए बोर्ड की सचिव नीना श्रीवास्तव ने तीन सदस्यीय अधिकारियों को कमेटी गठित कर दी है। इसमें अपर सचिव प्रशासन शिवलाल, अपर सचिव पाठ्यपुस्तक विनोद सिंह ओर उप सचिव प्रशासन सुधीर कुमार शामिल है। जो पूरे फर्जीवाड़े की फिर से जांच करेंगे। बोर्ड की सचिव का कहना है कि अधिकारियों के निर्देश पर फिर से जांच करायी जा रही है। जिसमें दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी। ऐसे में जांच करने में कितना समय लगेगा और दोषियों पर कब तक कार्रवाई होगी। इसको लेकर फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं है।

बदल दिए बोर्ड के गोपनीय दस्तावेज

राजकीय विद्यालयों में शिक्षक भर्ती के लिए वर्ष 2014 में एलटी गे्रड शिक्षक भर्ती के 6645 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई। इसमें एकेडमिक मेरिट के आधार पर शिक्षकों की भर्ती होनी थी। सपा शासन काल में भर्ती पूरी होने और शिक्षकों के अपने-अपने विद्यालयों में ज्वॉइन करने के करीब पांच महीने बाद बड़ा खुलासा हुआ, जिसमें करीब आधा दर्ज ऐसे अभ्यर्थी थे। जिन्होंने यूपी बोर्ड के इलाहाबाद क्षेत्रीय कार्यालय के कुछ कर्मचारियों के साथ मिलकर अपनी मार्कशीट में ही गड़बड़ी कर दी थी। इतना ही बोर्ड के गोपनीय दस्तावेज के साथ भी छेड़छाड़ करते हुए उसे बदल दिया गया था। मामला प्रकाश में आने और तूल पकड़ने के बाद ऐसे अभ्यर्थियों के खिलाफ तत्कालीन जेडी महेन्द्र कुमार सिंह की तरफ से बर्खास्तगी की कार्रवाई के साथ ही उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करायी गई थी।

तत्कालीन सचिव ने करायी थी जांच

अक्टूबर 2016 में मामला खुलने के बाद यूपी बोर्ड की तत्कालीन सचिव शैल यादव ने प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच के लिए अधिकारियों की टीम गठित कर दी थी। जिसमें तत्कालीन जेडी महेन्द्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में क्षेत्रीय सचिव यूपी बोर्ड बरेली कार्यालय के साथ ही बोर्ड के एक अन्य अधिकारी सत्येन्द्र सिंह को जांच सौंपी गई थी। कई महीनें तक की जांच के बाद जांच समिति ने बोर्ड के सामने अपनी रिपोर्ट पेश की। जिसमें बोर्ड के कई कर्मचारियों की संलिप्तता संदिग्ध पायी गई थी। उसके बाद कार्रवाई के बोर्ड की सचिव ने तत्कालीन डायरेक्टर अमर नाथ वर्मा को रिपोर्ट भेज दी। उसके बाद से कार्रवाई को लेकर मामला अटका पड़ा था। सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद फर्जीवाड़े में कार्रवाई की उम्मीद बनी थी, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।

फैक्ट फाइल

-अक्टूबर 2014 में सूबे के राजकीय विद्यालयों में 6645 एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के लिए शुरू हुई प्रक्रिया

-एक साल के अंदर एकेडमिक मेरिट के आधार पर शिक्षकों की हुई नियुक्ति

-अक्टूबर 2016 में शिक्षक भर्ती में फजीवाड़े का हुआ खुलासा

-करीब पांच अभ्यर्थियों के लिए खिलाफ तत्कालीन जेडी ने दर्ज करायी एफआईआर

-यूपी बोर्ड की तत्कालीन सचिव शैल यादव ने गठित की जांच टीम

-टीम की रिपोर्ट आने के बाद भी अभी तक नहीं हो सकी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई

- जांच के लिए फिर से बोर्ड की तरफ से टीम गठित की गई है। जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई होगी।

नीना श्रीवास्तव, सचिव यूपी बोर्ड