महत्वपूर्ण हैं गुप्त नवरात्र

महाकाल संहिता के अनुसार कलयुग में आश्रि्वन नवरात्र की प्रमुखता है। लेकिन इसके साथ ही भाक्त ग्रंथों में चारों नवरात्रों में भक्ति पूजा का अपना अलग महत्व है। इसलिए गुप्त नवरात्र में पूजन से लाभ मिलता है। इसमें मां दुर्गा के नौ रूपों का पूजन होता है।

 

18 से 26 जनवरी तक नवरात्र

इस माह 18 जनवरी से 26 जनवरी तक माघ नवरात्र हैं। इन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। इन नवरात्रों में शुंभ निशुंभ का वध करने वाली महासरस्वती की उपासना प्रमुखता से होती है। इस नवरात्र में सभी प्रकार की गुप्त साधनाएं फलदायी होती हैं।


 

मां के नौ रूपों का पूजन

18 जनवरी : शैलपुत्री देवी पूजन

- शनि प्रकोप से बचाव और धन धान्य के लिए पूजन

 

19 जनवरी : ब्रह्माचारिणी देवी पूजन

- दिमागी परेशानियों और राहु के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए पूजन

 

20 जनवरी : चंद्रघंटा देवी का पूजन

- सांसारिक कष्टों को दूर कर ऊंची स्थिति का पूजन

 

21 जनवरी : कुष्मांडा देवी पूजन

- चंद्रा के दुष्प्रभाव और भौतिक जगत की सुविधा के लिए पूजन

 

22 जनवरी : स्कंद माता या शीतला माता का पूजन

- मंगल और शुक्र के कुप्रभाव के साथ दुखों से मुक्ति के लिए पूजन

 

23 जनवरी : कात्याणिनी या वैष्णों देवी पूजन

- कन्याओं के विवाह में अड़चन दूर करने के लिए पूजन

 

24 जनवरी : कालरात्रि देवी का पूजन

- शनि केतु कुप्रभावों समेत रोग विरोग मुकदमें निपटाने के लिए पूजन

 

25 जनवरी : महागौरी महा पार्वती का पूजन

- गुरु के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए पूजन

 

26 जनवरी : सिद्धिदात्री देवी का पूजन

- धन धान्य में वृद्धि में वृद्धि के लिए पूजन

 

कलयुग में सभी प्रकार की गुप्त साधनाओं का पूजन व नमन शुरु हो गया है। यह साधनाएं इस युग में सभी के लिए लाभप्रद हैं इसलिए गुप्त नवरात्रों में पूजा अर्चना का उतना ही महत्व है जितना आश्रि्वन नवरात्र का होता है।

- पंडित भारत ज्ञान भूषण