प्रचीन शनि देव मंदिर में चल रहे महायज्ञ का हुआ समापन

21 दिनों तक चले महायज्ञ की पूर्ण आहूति डालने को उमड़ी भीड़

ALLAHABAD: सिविल लाइंस के प्राचीन शनि देव मंदिर में 21 दिवसीय महायज्ञ का गुरुवार को समापन हो गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर पूर्ण आहूति डाली और अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए आर्शिवाद मांगा। इससे पहले श्री नवग्रह पीठाधीश्वर महंत तुलसी गिरी नागा सन्यासी फलहारी महाराज ने पूरे विधि विधान के साथ नवग्रहो का पूजन किया। उन्होंने बताया कि नवग्रहों से ही समस्त सृष्टि का संचालन होता है। इनके प्रसन्न होने से सुख शांति रहती है और इनके नाराज होने से सूखा, भूकंप जैसी दैवीय आपदाएं आती है।

आठ अप्रैल से चल रहा था महायज्ञ

नवग्रह महायज्ञ प्रचीन शनिदेव मंदिर में 8 अप्रैल से निरंतर चल रहा था। मंदिर के पीठाधीश्वर महंत तुलसी गिरी नागा सन्यासी महाराज के निर्देशन में चल रहे महायज्ञ में प्रतिदिन सुबह सात से 12 बजे तक व दोपहर तीन बजे से शाम सात बजे तक सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु यज्ञ में शामिल हुए और आहूतियां डाली। मंदिर के पीठाधीश्वर ने बताया कि इस महायज्ञ का उद्देश्य जन व राष्ट्र का कल्याण था। शुक्रवार को विशाल भंडारे का आयोजन किया गया है।

कर्मो के अधीन होता है जन्म

श्री निम्बार्क आश्रम रामबाग में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के चौथे दिन विधि विधान से पूजन के बाद कथा व प्रवचन की शुरुआत हुई। इस अवसर पर प्रवचन करते हुए डॉ। गिरजा कांत शुक्ल ने मनुष्य जीवन के गूढ़ रहस्य को लोगों के सामने विस्तार से रखा। उन्होंने कहा कि मनुष्यों का जन्म कर्म के अधीन होता है। परमात्मा का अवतरण निज इच्छा से होता है। मनुष्य का जन्म दिव्य नहीं है। परंतु कर्म दिव्य हो सकते है। सतसंग की प्राप्ती प्रभु कृपा पर आधारित है। कामी का संग तो मनुष्य के अपने ऊपर आधारित है। उन्होंने कहा कि जो मनुष्य भगवान की भक्ति करता है, वह वैष्णव है। वरन् जिसके संग में आने पर भगवान की भक्ति का रंग लग जाए, वह महान वैष्णव होता है।

वेशभूषा का नाम नहीं

उन्होंने कहा कि संत किसी वेश भूषा का नाम नहीं है। अंदर का वैराग्य ही संत लक्षण है। संत ढूंढे नहीं जाते वह तो परमात्मा की कृपा से ही प्राप्त होते है। जब मनुष्य भगवान से मिलने की इच्छा करता है, तो भगवान की कृपा से संत मिल जाते है। संत संसार के जीवों को पाप से पुण्य की तरफ, असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की तरफ व अश्वरता से शाश्वत की ओर ले जाते है। प्रवचन में बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।