निशाने पर ज़्यादातर शहर के शिया इलाके थे, लेकिन बग़दाद के मुख्यत: सुन्नी इलाके अज़ामिया में भी एक धमाका हुआ.

सबसे ज़्यादा ताक़तवर हमला केंद्रीय सदरिया ज़िले में हुआ, जहां भीड़ भरे बाज़ार में एक कार बम धमाका किया गया. धमाके स्थानीय समयानुसार सुबह क़रीब साढ़े सात बजे हुए.

हाल के महीनों में इराक़ में सांप्रदायिक हिंसा में तेज़ी आई है और साल 2008 के बाद से यह अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर है.

6500 से ज़्यादा मौत

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़ इस साल अक्तूबर में 979 लोग हिंसा में मारे गए. इनमें 158 पुलिसकर्मी और 127 सैन्य बल शामिल हैं. इस साल जनवरी से अब तक 6,500 से ज़्यादा नागरिक मारे जा चुके हैं.

अप्रैल में एक सुन्नी अरब सरकार विरोधी शिविर पर सेना के छापे के बाद इराक़ में हिंसा शुरू हुई. प्रदर्शनकारी शिया प्रधानमंत्री नूरी मलिकी के इस्तीफ़े की मांग कर रहे थे.

प्रदर्शनकारियों का कहना था कि प्रधानमंत्री नूरी मलिकी ने अल्पसंख्यक सुन्नी समुदाय की अनदेखी की है और उन्हें निशाना बनाया गया है.

इराक़ में हिंसा में आई तेज़ी की एक वजह सीरिया का संघर्ष भी है, जहां सुन्नी चरमपंथी गुटों के संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक़ ने काफ़ी प्रभाव पैदा कर लिया है.

अधिकारियों को आशंका है कि अगले साल 30 अप्रैल के संसदीय चुनाव से पहले चरमपंथी इराक़ में और अस्थिरता पैदा करने की कोशिश करेंगे. चुनाव में प्रधानमंत्री नूरी मलिकी तीसरी बार दावेदारी पेश करेंगे.

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