बिलासपुर के कानन पेंडारी स्मॉल ज़ू में इन चीतलों की मौत के कारणों के बारे में वन अधिकारी अपनी अनभिज्ञता ज़ाहिर कर रहे हैं.

भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले चीतल यानी चित्तिदार हिरण ऍक्सिस प्रजाति का एकमात्र जीवित प्राणी है. इसकी मौत से राज्य के वन महकमे में हड़कंप मचा हुआ है.

इससे पहले कानन पेंडारी के चीतलों को अचानकमार टाइगर रिज़र्व स्थानांतरित करने की कोशिश में बड़ी संख्या में चीतलों की मौत हुई थी.

मगर ताज़ा घटनाक्रम में चीतलों की मौत के कारणों को लेकर वन अधिकारी गोलमोल जवाब दे रहे हैं. यहां तक कि राज्य के मुख्य वन संरक्षक रामप्रकाश ने चीतलों की तस्वीर लेने से भी मीडिया को साफ़ तौर पर मना कर दिया.

बेहोशी की दवा

"चीतलों के मुंह और मलद्वार से रक्तस्राव हो रहा था. अनुमान है कि उनके शरीर में किसी तरह का ज़हर पहुंचा है. लेकिन इस बारे में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद ही कहा जा सकता है. मरने वाले चीतलों की कुल संख्या 22 है और सभी मादा हैं."

-रामप्रकाशः राज्य के मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी

हालांकि वनमंडलाधिकारी हेमंत पांडेय ने ऐसे किसी प्रतिबंध से  इंकार किया और मीडियाकर्मियों को तस्वीर लेने की इजाज़त दी.

चर्चा है कि मंगलवार की रात चीतलों को अचानकमार टाइगर रिज़र्व शिफ्ट किया जा रहा था. शिफ्टिंग के दौरान चीतलों को बेहोश करने के लिए जो दवा दी गई, उसकी ख़ुराक ज्यादा होने के कारण चीतलों की मौत हो गई

हालांकि वन अधिकारी इससे इंकार कर रहे हैं.

स्मॉल ज़ू के चिकित्सक का कहना है कि चीतलों की मौत के पीछे कोई ज़हरीला पदार्थ हो सकता है.

वहीं राज्य के मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी रामप्रकाश का कहना है कि- “चीतलों की मौत से हम ख़ुद अचंभित हैं. जब तक चीतलों का पोस्टमॉर्टम नहीं हो जाता, इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगी.”

कानन पेंडारी में दो महीने पहले ही तीन बाघ शावकों की मौत हो गई थी. उस समय मामले की जांच की बात कही गई थी. लेकिन आज तक कोई जांच नहीं की गई.

यही नहीं अवैध तरीक़े से ला कर रखे गये हाथी के बच्चे की भी कानन पेंडारी में मौत हो चुकी है.

अलग-अलग बयान

22 चीतलों की मौत,वन महकमे में हड़कंप

कानन पेंडारी स्मॉल जू में कुल 53 चीतल हैं.

ताज़ा मामले में चीतलों की मौत और उनकी संख्या को लेकर वन विभाग के अफ़सर अलग-अलग बयान दे रहे हैं.

राज्य के मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी रामप्रकाश के अनुसार कानन पेंडारी में कुल 53 चीतल हैं. इन्हें हर सुबह सात बजे खाने के लिए चारा दिया जाता है.

बुधवार की सुबह जब इन्हें खाना देने के लिये ज़ू का कर्मचारी गया तो उसने बाड़े में कई चीतलों को मरा हुआ पाया.

रामप्रकाश ने बताया, “चीतलों के मुंह और मलद्वार से रक्तस्राव हो रहा था. अनुमान है कि उनके शरीर में किसी तरह का ज़हर पहुंचा है. लेकिन इस बारे में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद ही कहा जा सकता है. मरने वाले चीतलों की कुल संख्या 22 है और सभी मादा हैं.”

कानन पेंडारी जू के चिकित्सक डॉक्टर पी के चंदन का कहना है कि कुल कितने चीतल की मौत हुई है, इस बारे में वे ठीक-ठीक नहीं बता सकते हैं.

वहीं बिलासपुर के वनमंडलाधिकारी हेमंत पांडेय का कहना है कि मरने वाले चीतलों की कुल संख्या 21 है और इन चीतलों की मौत की ख़बर सुबह चौकीदार ने दी.

प्रबंधन की लापरवाही

"चीतलों की अचानकमार टाइगर प्रोजेक्ट में शिफ्टिंग के लिये बेहोशी की दवा की ज्यादा खुराक देने से मौत की बात सही नहीं है. "

-हेमंत पांडेयः बिलासपुर के वनमंडलाधिकारी

हेमंत पांडेय के अनुसार चीतलों की अचानकमार टाइगर प्रोजेक्ट में शिफ्टिंग के लिए उन्हें बेहोशी की दवा की ज्यादा ख़ुराक देने के कारण मौत की बात सही नहीं है.

हेमंत पांडेय का कहना है कि इस बारे में जांच और पोस्टमार्टम के बाद ही कुछ कहना ठीक होगा.

बिलासपुर में काम करने वाली संस्था नेचर क्लब के प्रथमेश मिश्रा का कहना है कि यह पूरी तरह से कानन पेंडारी प्रबंधन की लापरवाही का मामला है.

प्रथमेश का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में चीतलों की मौत एकाएक नहीं हुई होगी. ऐसे में कानन पेंडारी का प्रबंधन अपनी ज़िम्मेवारी से बच नहीं सकता.

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