आगरा। होटल के नीचे लगी आग में कई जिंदगियां भी फंस गई थीं। आग ने होटल को अपनी चपेट में ले लिया था। धुआं कमरों में घुस चुका था, तो आग रेस्टोरेंट में फर्नीचर तक पहुंच चुकी थी। रूम की खिड़की के रास्ते आनन-फानन में होटल में ठहरे व्यापारियों को बाहर निकाला गया।

धुएं से बंद किया दरवाजा, खिड़की से निकले

होटल में कुल 19 कमरे व दो हॉल बताए गए हैं। इनमें से 10 फुल थे। कुल 22 लोग होटल में ठहरे थे। इनमें अधिकतर व्यापार के सिलसिले में आगरा आए हुए थे। मार्केट की आग ने होटल के रेस्टोरेंट को चपेट में ले लिया। फर्नीचर व कुर्सियां आदि सामान जल गए। धुआं होटल के कमरों तक गया। धुआं जब कमरों में ठहरे व्यापारियों ने देखा तो दहशत से गेट बंद कर लिया। दम घुटने लगा तो व्यापारियों ने खिड़की का कांच तोड़ कर अपनी जान बचाई। व्यापारियों को खिड़की से बाहर निकाला गया। कुछ देर में सभी कमरे खाली करा लिए गए। होटल में बेंगलुरू, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, नेपाल, हाथरस के व्यापारी रुके हुए थे।

होटल में नहीं था सेंसर

होटल में रुके व्यापारियों का कहना था कि उन्हें पता नहीं चला कि आग कब लगी। यहां पर सेंसर नहीं था। बेंगलुरू के व्यापारी मुनीर 110 नम्बर कमरे में रुके हुए थे। उन्होने बताया कि खिड़की से निकलने के दौरान चोट लग गई। उनके दोस्त सिद्दीकी भी साथ थे। होटल के अन्य स्टाफ के भी कुछ चोटें आई।

आग बुझाने में छूटे पसीने

दूसरे जिलों से भी दमकल मौके पर पहुंच गई। टोरंट के कर्मचारी भी पहुंच गए। बिजली काट दी गई। धुएं के चलते कर्मचारियों को अंदर जाने का रास्ता नहीं दिख रहा था। दमकलकर्मियों ने हाइड्रोलिक मशीन से ऊपर जाकर आग बुझाने का प्रयास किया। ऊपर खिड़की के कांच को तोड़ कर पानी डाला। एक तरफ आग बुझती, तो दूसरी तरफ सुलग जाती।

व्यापारियों ने पकड़ा सिर

लपटों का दायरा बढ़ने के साथ ही व्यापरियों की दुकान में माल सुरक्षित बचने की उम्मीद कम होती जा रही थी। आंखों के सामने उनकी दुकान जल रही थी, लेकिन वह कुछ नहीं कर पा रहे थे। सिर पकड़कर बैठे व्यापारियों के मुंह से सिर्फ यही शब्द निकल रहे थे कि मेरा सब कुछ बर्बाद हो गया।