प्रधानमंत्री ने दिया मदद का भरोसा
उत्तरी कोकाता में सात सालों से निमार्णाधीन फ्लाईओवर का एक बड़ा हिस्सा गुरुवार को धाराशायी हो गया। शहर के सबसे बड़े होलसेल मार्केट बड़ाबाजार इलाके में हुए इस हादसे में कम से कम 23 लोगों की मौत हो गई। 60 से ज्यादा लोग घायल हैं। मलबे में कई छोटे-बड़े वाहन दबे पड़े हैं। स्कूली बच्चों सहित बड़ी संख्या में लोगों के फंसे होने की आशंका है। हादसे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए सीएम ममता बनर्जी को मदद का आश्वासन दिया। सेना और एनडीआरएफ की मौजूदगी में राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। विधान सभा चुनाव का सामना करने जा रही सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए यह हादसा मुश्किल का सबब बन सकता है। सरकार ने उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। शुक्रवार को सुबह एनडीआरएफ डीआइजी, एस एस गुलेरिया ने बताया कि कोलकाता में फ्लाई ओवर गिरने के मामले में अबतक 23 लोगों की मौत हो गई है। अब हम सिर्फ शवों को निकालने और मलबे को हटाने के लिए ऑपरेशन चला रहे हैं। बचाव अभियान आखिरी फेज में है, अभी तक हमें आठ शव मिले हैं।

दर्दनाक था हादसा
गौरतलब है कि गुरुवार दोपहर करीब 12.30 बजे गणेश टाकीज के निकट काली कृष्ण टैगोर स्ट्रीट-रवीन्द्र सरणी क्रासिंग के पास जब फ्लाईओवर का सौ मीटर से ज्यादा लंबा और करीब 30 फीट चौड़ा हिस्सा गिरा, वहां काफी भीड़भाड़ थी। सीसीटीवी फुटेज में पैदल, कार, आटोरिक्शा सवार, ठेलेवाले फ्लाईओवर के नीचे थे दबते देखे गए हैं। कुछ तो ऐसे भी थे जो भागते-भागते मलबे की चपेट में आ गए। मौके पर खून से लथपथ लोग इधर-उधर पड़े मिले। कुछ लोग कंकरीट और भारी गार्डर के नीचे दबे दिखे। बुधवार रात पुल के गार्डर पर कांक्रीट भरा गया था। आशंका जताई गई है कि पिलर वजन नहीं झेल सके और धराशायी हो गए।

Kolkata accident

सेना और एनडीआरएफ मदद में जुटीं
राहत और बचाव कार्य में सेना के 300 जवान, एनडीआरएफ, राज्य आपदा प्रबंधन दल, पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम आधुनिक उपकरणों के साथ जुटी हुई हैं। लोहे के गार्डरों को काटने और उठाने में बड़ी क्रेनों और कटर की मदद ली जा रही है। ऐसे हादसों में राहत और बचाव कार्य के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित सैन्य कर्मियों तैनात किया गया है। सेना के बंगाल एरिया के सैन्य कमांडर ले.जनरल राजीव तिवारी की देखरेख में राहत कार्य को अंजाम दे रही है। गृह मंत्रालय के मुताबिक एनडीआरएफ की सात टीमें (करीब 315 कर्मचारी) मौके पर मौजूद हैं। दो और टीमें शीघ्र पहुंचने वाली हैं।

बार बार बढ़ाई गई समय सीमा
गिरीश पार्क को हावड़ा से जोड़ने के लिए 2.2 किमी लंबे विवेकानंद फ्लाई ओवर का निर्माण 2009 में शुरू हुआ था और डेढ़ साल में बन जाना था। लेकिन सात साल में भी पूरा नहीं हुआ। इसपर शुरुआती प्रस्तावित लागत 164 करोड़ रुपये थी। नौ बार समय सीमा बढ़ाई जा चुकी थी। ममता सरकार इसे चुनाव के पूर्व चालू कर श्रेय लेना चाहती थी। लेकिन वह भी इसे समय पर पूरा करने में विफल रही।

निर्माण कंपनी ने कहा ये प्रभु की लीला है
फ्लाईओवर हादसे के लिए किसी कमी-खामी को जिम्मेदार मानने के बजाय निर्माण कंपनी आइवीआरसीएल ने विवादास्पद बयान दे दिया है। हादसे को प्रभु की लीला करार दिया है। कंपनी के अधिकारी केपी राव ने कहा है-"यह हादसा नहीं, प्रभु की लीला है।" राव ने कहा कि वे लोग इस हादसे से खुद भी आश्चर्य में हैं। राव ने मेटेरियल में कमी से साफ इन्कार कर दिया।

एक दूसरे पर लग रहे हैं आरोप
हादसे को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। मौके पर पहुंची मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि फ्लाईओवर के निर्माण का टेंडर वाम मोर्चे की सरकार में 2009 में फाइनल हुआ था। निर्माण कार्य हैदराबाद की कंपनी आइवीआरसीएल को सौंपा गया था। कई बार रिमाइंडर भेजने के बाद भी कंपनी ने सरकार को निर्माण परियोजना का विवरण नहीं उपलब्ध कराया। पश्चिमी मेदिनीपुर के चुनावी दौरे को बीच में छोड़कर मौके पर पहुंची ममता बनर्जी ने कहा-"निर्माण कंपनी के अधिकारियों और अन्य जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।" केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, राज्य सरकार को चाहिए कि वह खुद सीबीआइ जांच की सिफारिश कर दे। वजह यह कि मामला सीधे-सीधे भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है। माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य मोहम्मद सलीम और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर चौधरी ने हादसे की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

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