एक्सक्लूसिव

23 अफसरों पर डेंगू का डंडा

-जिम्मेदारों पर कार्रवाई का आदेश, एक सस्पेंड

-शासन ने कोर्ट को दिया एक्शन का ब्यौरा

-लखनऊ सीएमओ पर विभागीय कार्रवाई

4 रिटायर्ड सीएमओ

4 पूर्व सीएमओ

14 सीएमओ

1 जेडी सस्पेंड

sunil.yadav@inext.co.in

LUCKNOW : हीलाहवाली और गैरजिम्मेदाराना रवैए से इस साल प्रदेश में सैंकड़ों लोगों को मौत के मुंह में धकेलने वाले हेल्थ डिपार्टमेंट के अफसरों पर कार्रवाई का डंडा आखिरकार चल ही गया। बुधवार को हाईकोर्ट में पेश अपनी रिपोर्ट में शासन ने 23 ऐसे अफसरों की लिस्ट सौंपी, जिनपर एक्शन हो रहा है। इसमें एडवर्स एंट्री, विभागीय कार्रवाई के साथ सस्पेंशन तक है। जद में आने वालों में वर्तमान सीएमओ व रिटायर्ड सीएमओ सहित अन्य अधिकारी भी हैं।

तत्कालीन संयुक्त निदेशक सस्पेंड

स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अरुण कुमार सिन्हा की ओर से हाईकोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में 23 जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात है। साथ ही तत्कालीन संयुक्त निदेशक एमके गुप्ता को सस्पेंड कर दिया गया है। जिनमें चार रिटायर्ड सीएमओ व चार पूर्व सीएमओ पर विभागीय कार्रवाई की गई है.14 सीएमओ को एडवर्स इंट्री दी गई है।

सीएमओ पर गिरी गाज

सीएमओ गोंडा डॉ। अमर सिंह कुशवाहा, सीएमओ रायबरेली डॉ। राकेश कुमार, सीएमओ बरेली डॉ। विजय कुमार यादव, सीएमओ औरैया एसबी मिश्र, सीएमओ एटा रमेश चंद्र पांडेय, सीएमओ झांसी डॉ। विनोद कुमार यादव, सीएमओ सीतापुर हरगोविंद सिंह शामिल हैं।

पूर्व सीएमओ को एडवर्स एंट्री

पूर्व सीएमओ कौशांबी डॉ। उदयभान सिंह, पूर्व सीएमओ श्रावस्ती डॉ। आशीष दसमीसा, पूर्व सीएमओ कासगंज डॉ। विपेंद्र कुमार सिंह, पूर्व सीएमओ बदायू डॉ। सूर्य प्रकाश अग्रवाल, पूर्व सीएमओ बागपत डॉ। रमेश चन्द्र, पूर्व सीएमओ आजमगढ़ डॉ। विक्रम बहादुर सिंह और पूर्व सीएमओ सीतापुर आरकेपोरवाल को भी एडवर्स इंट्री दी गई है। ये सभी इन जिलों में तैनात रहे और बचाव के लिए आए बजट को खर्च नहीं किया।

लखनऊ सीएमओ पर एक्शन

पूर्व संयुक्त निदेशक डॉ। एमके गुप्ता को सस्पेंड कर दिया गया है। पूर्व सीएमओ बागपत आर मिश्र, पूर्व सीएमओ हाथरस रामवीर सिंह, पूर्व सीएमओ कासगंज सत्या सिंह के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई के आदेश हैं। लखनऊ के सीएमओ डॉ। एसएनएस यादव, पूर्व सीएमओ चित्रकूट डॉ। वेद प्रकाश, पूर्व सीएमओ मुजफ्फरनगर रहे डॉ। एसके त्यागी, पूर्व सीएमओ नोएडा डॉ। आरके गर्ग के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।

कोर्ट की फटकार के बाद डंडा

हाई कोर्ट की फटकार के बाद शासन ने एनएचएम एमडी आलोक कुमार को 18 अक्टूबर को दोषी अफसरों का पता लगाने के लिए जांच सौंपी थी। जिलों को एनएचएम के तहत कितना पैसा दिया गया और कितना खर्च हुआ इसकी भी आख्या सौंपने को कहा था। उन्होंने दो दिन में 20 अक्टूबर को जिम्मेदारी तय करते हुए शासन को रिपोर्ट सौंप दी। जिसमें पता चला कि 2013-2014 में आवंटित 24 करोड़ में से 13 करोड़ ही खर्च किये गए। वहीं 2014-2015 में आये 36 करोड़ में से अधिकारियों ने 15 करोड़ की धनराशि ही बीमारियों के बचाव के लिए खर्च की। जबकि 2015-2016 में अधिकारियों ने 54 करोड़ में से 11 करोड़ ही मच्छरजनित बीमारियों की रोकथाम में खर्च किया। लापरवाही के लिए 2013-2014 के 15 अधिकारी, 2014-2015 के 15 अधिकारी व 2015-16 के 18 अधिकारियों पर कार्रवाई का खतरा मंडरा रहा है।