- जू लाए गए तेंदुए के पंजों में लगी है चोट

- गोसाईगंज के मल्लूखेड़ा क्षेत्र से गुजर रहे किसान पथ के नीचे जल निकासी के लिए लगाए गए पाइप में मौजूद था तेंदुआ

- 24 घंटे बाद चिडि़याघर की टीम रेस्क्यू कर लाई चिडि़याघर

- एक घंटे चला रेस्क्यू आपरेशन

LUCKNOW: गोसाईगंज क्षेत्र के मल्लूखेड़ा गांव में जू की टीम तेंदुए को ट्रंक्यूलाइज कर मंगलवार को जू ले आई। रेस्क्यू टीम के चीफ की मानें तो इलाके में किसी ने तेंदुए का शिकार करने के लिए जाल बिछाया था, इसकी वजह से ही तेंदुए के पंजों में चोट लगी है। जाल में फंसकर तेंदुआ घायल हुआ है और उसे ठीक होने में एक माह से अधिक का समय लग सकता है। चोट की वजह से उसे शिकार में प्रॉब्लम हो रही थी। ऐसे में शिकार ने मिलने की स्थिति में उसकी मौत हो सकती थी। रेस्क्यू करने वाली टीम ने तेंदुए की जिंदगी तो बचा ली, लेकिन जंगल की आजादी अब इसे कभी नसीब नहीं होगी। जू का बाड़ा ही उसका नया पता होगा।

सुबह चार बजे शुरू हुई पकड़ने की कवायद

बीते सोमवार को गोसाईगंज क्षेत्र के मल्लूखेड़ा के निकट तेंदुए के सामने आने की सूचना मिली थी। यहां पर किसान पथ के नीचे जल निकासी के लिए लगाए पाइप में तेंदुआ मौजूद था। यह पाइप 35-40 फिट गहरा था। तेंदुए को रेस्क्यू करने पहुंची जू की टीम को मौके पर जुटी भीड़ के चलते बीते सोमवार को तो सफलता नहीं मिल सकी, लेकिन मंगलवार की सुबह सूरज की पहली किरण निकलते से पहले ही जू की रेस्क्यू टीम हरकत में आ गई। जू की रेस्क्यू टीम के चीफ डॉ। उत्कर्ष शुक्ला ने सुबह साढ़े चार बजे ऑपरेशन शुरू किया।

ब्लो पाइप फाड़ दिया तेंदुए ने

तेंदुआ जिस पाइप में मौजूद था उसके एक छोर पर पिंजड़ा लगा था और दूसरा छोर मिट्टी से बंद था। जिस छोर पर मिट्टी जमी थी, वहां से थोड़ी मिट्टी हटाए जाने के बाद एक सुराख किया गया। इस सुराख से तेंदुआ डॉ। उत्कर्ष शुक्ला को स्पष्ट दिखाई पड़ने लगा। इसके बाद रेस्क्यू टीम ने ब्लो पाइप से उसे डॉट किए जाने के प्रयास शुरू किए, लेकिन जैसे ही ब्लो पाइप सुराख से अंदर डाला गया, उसे तेंदुए ने फाड़ कर नष्ट कर दिया। इस प्रयास के विफल होने के बाद डॉ। उत्कर्ष शुक्ला ने ट्रंक्यूलाइजिंग गन से उसे डॉट करना शुरू किया। पहला डॉट बेकार होने के बाद दूसरा डॉट किया जो निशाने पर लगा। उसके बाद जू की रेस्क्यू टीम के सदस्य उस पाइप में घुसे और तेंदुए को खींच कर पिंजड़े में डाला। इस दौरान टीम ने पाया कि तेंदुए के दाहिने पिछले पैर में कुड़का लगा हुआ है। इसके चलते उसके पैरों से खून बह रहा था। घाव को देखते हुए अनुमान लगाया गया कि यह लगभग एक हफ्ते पुराना है। आनन-फानन में उसके पैरों से कुड़का निकाला गया, लेकिन खून अधिक बहने के कारण तेंदुआ कमजोर हो गया है। चिडि़याघर लाकर इसे तुरंत ड्रिप लगाई गई। ड्रिप लगने के बाद से खाने में दो से तीन किलो मुलायम गोश्त दिया गया।

बाक्स

खुशी से झूमे गांववासी

जू की रेस्क्यू टीम ने तेंदुए को पिंजड़े में डाला, मौके पर मौजूद गांववासियों ने डॉ। उत्कर्ष शुक्ला और चिडि़याघर की टीम के सदस्यों को गोद में उठा लिया। तेंदुए की जिंदगी बचाने के साथ ही गांव को तेंदुए को खौफ से मुक्त कराने के लिए स्थानीय निवासियों ने चिडि़याघर की टीम के जयकारे लगाए।

कोट

सुबह तेंदुए को बाहर निकालने के प्रयास शुरू हुए। इस दौरान वह एक बार पिंजड़े के गेट तक आकर लौट गया। इसी तरह से एक बार फिर वह बाहर आया, लेकिन पिंजड़े में नहीं गया। ऐसे में पिंजड़े के दूसरी तरफ से ट्रंक्यूलाइजिंग गन से डॉट किया गया।

डॉ। उत्कर्ष शुक्ला

चीफ, चिडि़याघर रेस्क्यू टीम

वन्यजीव चिकित्सक

बाक्स

तेंदुए का नाम पड़ा किसान

जू में रेस्क्यू कर लाए जाने वाले जानवरों का नाम उस जगह के नाम पर रखा जाता है, जहां से उन्हें लाया जाता है, लेकिन गोसाई और मुल्ला के नाम जब जू की टीम को पसंद नहीं आए तो इस तेंदुए का नाम 'किसान' रखा गया। किसान पथ के नीचे बिछी पाइन लाइन में यह तेंदुआ पकड़ा गया।

हाईलाइटिस

- रेस्क्यू किए गए नर तेदुंए की अनुमानित उम्र 4 से 5 साल है

- इसका वजन 60 केजी से अधिक है

- बीते सोमवार को सुबह 8.30 बजे तेंदुआ आने की मिली सूचना

- सुबह 7.30 बजे उसे ट्रंक्यूलाइज किए जाने के प्रयास शुरू हुए

- एक घंटे के अंदर इस अभियान में सफलता मिली

- 9.00 बजे तेंदुए को लेकर रेस्क्यू टीम चिडि़याघर पहुंची