-बिथरी चैनपुर में इनवर्टिस तिराहा बड़ा बाईपास पर 4 जून की रात हुआ था दर्दनाक हादसा

-जिंदा जल गए थे 25 यात्री, 14 लोग हुए थे हादसे में घायल

BAREILLY: 4 जून 2017 की आधी रात इनवर्टिस तिराहा पर हुए बस अग्निकांड को आज एक वर्ष पूरा हो रहे हैं। यह तारीख बरबस ही बरेली वासियों को रूह कंपा देने वाले हादसे की याद दिला गई, जिसमें 25 यात्री जिंदा जल गए थे। जलकर राख हो गए शवों को अनुमान के आधार पर पहचानने के बाद परिजन अंतिम संस्कार कर गए थे, लेकिन आज भी उन्हें इंतजार है शवों की डीएनए रिपोर्ट आने का। ताकि, वह इस बात से तसल्ली कर अपने दिल की आग को ठंडा कर सकें कि उन्होंने अपने परिजन के शव का अंतिम संस्कार किया था। वहीं, अफसर भी डीएनए रिपोर्ट के लिए बस रिमाइंडर पर रिमाइंडर भेज रहे हैं। डीएनए रिपोर्ट कब तक आ पाएगी, इस बारे में वह भी कुछ बोल नहीं पा रहे हैं। क्या हुआ था उस रात और कैसे लोगों की दुनियां उजड़ गई थी, आइए चलते हैं अतीत की ओर---

सब यात्री सोते ही रह गए थे

गोंडा डिपो की यूपी 43 टी 5978 नंबर की बस दिल्ली से गोंडा जा रही थी। बस में 37 सवारियों समेत 41 लोग सवार थे। हादसे के वक्त ज्यादातर सवारियां सो रही थीं। बस रात करीब साढ़े 12 बजे जैसे ही इनवर्टिस तिराहा पर बड़ा बाईपास पर चढ़ रही थी तभी फरीदपुर की ओर से आ रहे तेज रफ्तार ट्रक ने बस को टक्कर मार दी। टक्कर बस के डीजल टैंक के पास हुई थी, जिससे टैंक फट गया और आग लग गई। यात्री जब तक कुछ समझ पाते पूरी बस आग की चपेट में आ गई थी। बस के ड्राइवर-कंडक्टर यात्रियों को मरने के लिए छोड़कर मौके से फरार हो गए थे। जैसे तैसे 15 सवारियों ने बस की खिड़कियों से कूदकर जान बचाई थी, लेकिन 24 यात्री की अंदर ही चिता बन गई थी। एक सवारी की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। मौके पर पहुंची पुलिस ने तीन घंटे में शवों के कंकाल निकाले थे, जिसके बाद सबकी पहचान के लिए डीएनए सैंपल कलेक्ट किए गए थे।

हर तरफ बिछी थी लाशें

बस के गेट, खिड़की, फर्श और गैलरी सभी जगह लाशें बिछी हुई थीं। गेट खुलते ही नीचे लाशें गिरनी लगी थीं। खिड़कियों पर भी लाशें लटकी हुई थीं, जिससे साफ था कि इन लोगों ने भागकर जान बचाने की कोशिश की थी लेकिन खुद को बचा नहीं पाए थे। दो बच्चों के शवों के बारे में मोर्चरी में पता चला क्योंकि वे अपनी मां से चिपके हुए थे। मौके से घड़ी, चाबी, व अन्य सामान बिखरा हुआ पड़ा था।

एक एक्स्ट्रा शव का हुअा था दावा

तीन दिन गोंडा का शफीक सामने आया था और उसने दावा किया था कि उसने अपने भतीजे जावेद को भी इसी बस में बैठाया था, जिसकी जलकर मौत हो गई थी लेकिन उसके बाद शवों को लेकर सवाल खड़े हो गए थे। हालांकि उसके बाद से शफीक कभी सामने नहीं आया। उसके दावे के चलते ही डीएनए रिपोर्ट का महत्व बढ़ गया था। पीएम और सीएम की ओर से दो-दो लाख रुपए और रोडवेज की ओर से 5 लाख रुपए के मुआवजे का ऐलान किया गया था। जिन मृतकों और घायलों की उनके डिस्ट्रिक्ट से पहचान हो गई थी, उनके परिजनों को पीएम और सीएम की ओर से जारी मुआवजा कुछ दिनों बाद भेज दिया गया था लेकिन उसके बाद रोडवेज की ओर से भी मुआवजा दे दिया गया था।

यह थे मौत के जिम्मेदार

बस में कंडक्टर अख्तर अजीज फारूखी और संविदा ड्राइवर सुंदरलाल यादव, ड्राइवर चंद्रशेखर शुक्ला और चंद्रशेखर का नाती भी मौजूद थे। रामपुर से बस को सुंदरलाल यादव चला रहे थे। ड्राइवर बस से कूदकर फरार हो गया था। ट्रक का ड्राइवर भी फरार हो गया था। वह दूसरे दिन पकड़ा गया था। बस ड्राइवर ने कोर्ट में सरेंडर किया था और उसे सस्पेंड किया गया था। उसकी जब आंखों की जांच हुई थी तो दृष्टि दोष पाया गया था। बावजूद इसके उसे बस चलाने के लिए दी गई थी।

इन मृतकों की हुई थी पहचान

-शिव कुमारी, जदवीर सिंह, सरिता सिंह, रणवीर सिंह, गुंजन, शकुंतला, प्रभात उर्फ लवकुश, छोटे लाल, अनिल, पशुराम जैसवाल, राघवेन्द्र सिंह, माया, हरीश, राकेश भंडारी, उमाशंकर, कलावती, दीपक, निशा, त्रिवेणी, राजन, अमित सिंह, श्रीकृष्ण, चंद्रभान उर्फ नंदन, तरुण, कमला देवी,

यह लोग हुए थे घायल

- चंद्रशेखर शुक्ला पुत्र दुखहरण नाथ शुक्ला, सिद्धार्थनगर, चालक प्रथम

- अख्तर अजीज फारूखी पुत्र जिलेउद्दीन फारूखी, मुहल्ला रजा, गोंडा, परिचालक

- श्रीकृष्ण पुत्र घसीटे, गांव दरियाबाद, बाराबंकी

- सोनू पुत्र रामसिंह, गांव चिकनवा कोतवाली देहात, गोंडा

- आकाश पुत्र अरुण सिंह, गांव नैपुर वजीरगंज, गोंडा

- सोनू पुत्र शिवनारायण, गांव दसियाखुर्द, गोंडा

- विनोद पुत्र रामदयाल, गांव हरदई विश्वेश्वरगंज, गोंडा

- श्रीराम पुत्र रामनरेश, गांव उमरी बेगम, गोंडा

- रामस्वरूप पुत्र बोदे, गांव शहजादे, बलरामपुर

- रोहित तिवारी पुत्र श्रवण तिवारी, गांव दुर्गापुर, बलरामपुर देहात

- शंकर पुत्र श्रीराम, गांव डोहरी जीत कुमारी बेगमगंज, गोंडा

- पूजा पत्नी शंकर, गांव डोहरी जीत कुमारी बेगम, गोंडा

- अमित शुक्ला पुत्र अरुण शुक्ला, खानतारा भवानीगंज, सिद्धार्थनगर

- जुम्मनशाह पुत्र गुलाम वारिस, गांव चेतराम, मोहगंज, रायबरेली

- मीनू पत्नी संग्राम सिंह, चारबाग, आलमबाग, लखनऊ

किसी का तो पूरा परिवार ही उजड़ गया था

दिल्ली निवासी मीनू पत्नी संग्राम सिंह 7 जून को बुआ की लड़की की शादी में शामिल होने के लिए लखनऊ जा रही थीं। इसके बाद उन्हें 8 जून को गोंडा में जेठानी की लड़की की शादी में शिरकत करनी थी, लेकिन मीनू की हादसे में मौत हो गई थी। सबसे दर्दनाक टैक्सी ड्राइवर शेरसिंह के साथ हुआ था। उसका तो पूरा परिवार ही हादसे में उजड़ गया था। हादसे में उसके पिता जयवीर, मां शिव कुमारी, पत्‍‌नी सरिता सिंह, 4 वर्षीय बेटा रणवीर सिंह और 6 माह की बेटी गुंजन की मौत हो गई थी। इसी तरह हादसे में किसी ने अपना पिता तो किसी ने भाई तो किसी कोई खास खो ि1दया था।

नहीं हटी खिड़कियाें से ग्रिल

इतने बड़े दर्दनाक हादसे के बाद परिवहन निगम ने आदेश जारी किया था कि सभी रोडवेज बसों की खिड़कियों और पिछले गेट के पास लगी ग्रिल हटाने के निर्देश दिए थे। इसके अलावा बस में हथौड़ी, फायर एक्सटिंग्यूशर रखने के निर्देश दिए थे लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हो सका। घटना स्थल पर हाइवे की डिजाइन भी हादसे का कारण बनी थी। तब फ्लाईओवर बनने तक की बात हुई थी लेकिन ब्रेकर और दिशा सूचक लगाकर एनएचआईए भी भूल गया।