alert

- शहर के 25 हजार लोगों ने आज तक नहीं जमा किया हाउस टैक्स, इनमें वीआईपी की संख्या अधिक

- 259 दुकानों के मालिक ने आवंटन के बाद कभी दिया ही नहीं किराया

- नगर निगम का एक साल का बजट है तीन अरब, 20 करोड़ रुपए दबाए बैठे हैं लोग

----------

नंबर गेम

- 1.29 लाख कुल टैक्सपेयी हैं शहर में।

- 25 हजार लोगों ने एक-दो बार के बाद कभी जमा नहीं किया हाउस टैक्स।

- 2200 दुकानें हैं नगर निगम के शहर में।

- 259 दुकानों के मालिक ने आवंटन के बाद कभी किराया दिया ही नहीं।

- तीन अरब है निगम का एक साल का कुल बजट।

- 20 करोड़ रुपए टैक्स व किराया दबाए बैठे हैं लोग।

- 43 करोड़ रुपए सालाना वसूली का टॉरगेट है निगम का।

- 24 लाख रुपए ही हर साल वसूल कर पाता है निगम

--------------

GORAKHPUR: नगर निगम से विकास के लिए सवाल करना, अपनी समस्या कहना और कार्य नहीं होने पर उसे कठघरे में घेरने शहर में रहने वालों का अधिकार है। लेकिन नगर निगम हो या फिर कोई अन्य संस्था, बिना बजट के कोई काम नहीं करा सकती। केन्द्र, राज्य सरकारों के साथ शहरवासियों से मिलने वाले टैक्स के रुपयों से ही निगम तमाम कार्य कराता है लेकिन तीन अरब सालाना बजट वाले निगम के 20 करोड़ रुपए पब्लिक पर बकाया है। इनमें 25 हजार हाउसेज के मालिक तो ऐसे हैं जो एक-दो बार के बाद कभी हाउस टैक्स दिया ही नहीं। वहीं 259 दुकानों के मालिक ने आवंटन के बाद से कभी अपना किराया नहीं दिया है। सबसे बड़ी बात यह है कि सबसे अधिक टैक्स शहर के वीआईपी दबाए बैठे हैं।

ये खुद को वीआईपी कहते हैं

शहर के जिन हिस्सों में नगर निगम का सबसे अधिक हाउस टैक्स बकाया है, उनमें अधिकतर एरियाज वीआईपी हैं। यानी वीआईपी एरियाज में ही अपनी जिम्मेदारी को लेकर अधिक उदासीनता है। शहर में रहने वाले कुछ नेता, अधिकारी, उद्योगपति, डॉक्टर्स ही बड़े बकाएदार हैं, जबकि इनके पास पैसे की कोई कमी नहीं। यह भी दिलचस्प है कि शहर में जो एरियाज अभी डेवलप हो रहे हैं, उस हिस्से के बाशिंदे अधिक जागरूक हैं और अपना टैक्स समय से दे रहे हैं लेकिन जो लोग वर्षो से शहर में रह रहे हैं, वे अपनी सुविधाओं को लेकर निगम से सवाल तो करते हैं लेकिन अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाना चाहते। ऐसे लोगों पर निगम का सबसे अधिक टैक्स बकाया है।

बॉक्स

जिम्मेदार भी हैं लापरवाह

नगर निगम को उसकी दुकानों का रेंट व मकानों का टैक्स नहीं मिलने की पीछे पब्लिक की उदासीनता तो है ही, रेंट-टैक्स वसूली में लगे जिम्मेदारों की लापरवाही भी इसका बड़ा कारण है। निगम हर साल हाउस टैक्स वसूली के लिए 43 करोड़ रुपए का टॉरगेट तो तय कर लेता है लेकिन इस वसूली के लिए कोई योजना नहीं बनाता। लोगों से टैक्स लेने के लिए निगम के कर्मचारी शहर में घूमते रहते हैं और बिना टैक्स चुकाए रहने की आदत डाल चुके लोग उन्हें लौटाते रहते हैं। कड़ी मशक्कत के बाद भी 22 से लेकर 24 करोड़ रुपए की वसूली ही हो पाती है और हर साल करीब 20 करोड़ रुपए बकाया रह जाता है।

वीआईपी पर कार्रवाई से लगता है डर?

नगर निगम के हाउस टैक्स बकाए में सबसे दिलचस्प बात यह है कि सिटी में उन लोगों पर सबसे अधिक बकाया है, जो वीआईपी की श्रेणी में आते हैं। यानी, इनके पास पैसे की कोई कमी तो नहीं है लेकिन अपनी जिम्मेदारी का अहसास नहीं होने के कारण ये कभी टैक्स नहीं जमा करते। वहीं नगर निगम भी इनके सामने खुद को असहाय पाता है। ऐसे लोगों पर कभी कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण इनका उदाहरण देकर अन्य लोग भी टैक्स नहीं चुकाने का आदी बनते जा रहे हैं। वसूली में लगे कर्मचारियों का कहना है कि कुछ लोग तो रुपए होने के बाद भी आदतन टैक्स जमा नहीं करते। ऐसे लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन निगम कभी बकाएदारों पर कोई कार्रवाई नहीं करता।

बॉक्स

इतने रुपयों से तो सूरत बदल जाती

नगर निगम को यदि 20 करोड़ रुपए बकाए मिल जाएं तो शहर में विकास के कई कार्य हो सकते हैं। शहर की सूरत बदली जा सकती है। इतने पैसे में तो शहर के एक दर्जन से अधिक पार्क, सड़क और जल नालों का निर्माण हो जाएगा।

एरिया बकाएदार

बेतियाहाता 2300

गोलघर 3000

धर्मशाला बाजार 4000

बक्शीपुर 4500

अली नगर 2000

मोहद्दीपुर 1000

शाहपुर 2000

बशारतपुर 700

हुमायूंपुर 1500

गीता प्रेस और रेती एरिया 1500

शहर के बाहरी एरिया में खाली प्लॉट- 2500

बॉक्स

वसूली के लिए टैक्स कलेक्टर को भेजा जाता है। इस बार टैक्स नहीं जमा करने वालों की सूची तैयार की जा रही है। नोटिस देकर कार्रवाई की जाएगी। दुकानों को सील करने का कार्य शुरू कर दिया गया है।

- रबीस चंद, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी, नगर निगम