RANCHI: ख्भ् हजार पेड़ चल कर दूसरे घर जाएंगे। जी हां, विश्वास नहीं हो रहा न, लेकिन यही सच है। दरअसल, झारखंड में नेशनल व स्टेट हाइवे चौड़ीकरण के रास्ते में आने वाले पेड़ों को काटने की बजाय उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा। वन विभाग ने करीब ख्भ् हजार ऐसे पेड़ों को चिन्हित किया है, जिन्हें चौड़ीकरण के लिए हटाना जरूरी है। डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेस्ट इन्वॉयरमेंट एंड क्लाइमेट चेंज वैसे पेड़ों को रीप्लांट करने का प्रपोजल बनाया है, जो पौधों से पेड़ की शक्ल अख्तियार कर चुके हैं और सड़क चौड़ीकरण में उन्हें हटाना जरूरी है। इन पेड़ों को काटने के बजाय जड़ से उखाड़ा जाएगा और खाली स्थानों में फिर से प्लांट कर दिया जाएगा।

नहीं काटे जाएंगे जवान पेड़

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जवान पेड़ों को अब काटा नहीं जाएगा, बल्कि ट्री ट्रांसप्लांटिंग की जाएगी। इसके तहत ख्0-फ्0 साल के पुराने पेड़ों को जड़ से उखाड़कर उन्हें फिर से प्लांट किया जाएगा। बताया गया कि एक पौधे को तैयार होने में ख्0 साल से अधिक समय लग जाता है। अगर ऐसे में पेड़ों की कटाई होती है, तो उसकी भरपाई करने में काफी समय लग जाएगा। वहीं, यदि पेड़ को हटाकर दूसरी जगह शिफ्ट किया जाता है, तो समय भी बचेगा और हरे-भरे पेड़ को बचाया भी जा सकेगा।

क्0 मशीनों के लिए टेंडर

डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेस्ट इन्वॉयरमेंट एंड क्लाइमेट चेंज की ओर से ट्री ट्रांसप्लांटिंग मशीन के लिए टेंडर निकाला गया है। रेपुटेटेड एजेंसी से क्0 ट्री ट्रांसप्लांटिंगमशीनों के लिए टेंडर जारी किया गया है। राज्यभर में चिन्हित ख्भ् हजार पेड़ों को दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए हायर बेसिस पर क्0 मशीनें मांगी गई हैं।

क्या है ट्री ट्रांसप्लांटिंग

ट्री ट्रांसप्लांटिंग के तहत सबसे पहले पेड़ की टहनियों को काटा जाता है। इससे पेड़ का वजन हल्का हो जाता है। फिर पेड़ को जड़ से उखाड़ने के लिए तैयार किया जाता है। जड़ से उखाड़ने के बाद पहले से तैयार किए गए गड्ढे में पेड़ को प्लांट कर दिया जाता है। इसमें बड़े ट्रक और क्रेन की मदद ली जाती है, जिससे पेड़ को उखाड़ा जाता है और उसे गंतव्य तक पहुंचाया जाता है। गड्ढों को तैयार करने के लिए विशेष तौर के केमिकल डाले जाते हैं और इसकी तैयारी महीने भर पहले की जाती है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ट्री ट्रांसप्लांटिंग सफल हो, यह कहा नहीं जा सकता है। यह पेड़ की आयु और उसकी प्रकृति पर डिपेंड करता है। ज्यादा पुराने पेड़ों को ट्रांसप्लांट नहीं किया जा सकता है।

पीपल में आए नए कोपल

बरियातू स्थित रामेश्वरम अपार्टमेंट से पीपल के एक बड़े वृक्ष को ट्रांसप्लांट कर संकल्प वाटिका में रोपा गया था। ख्7 सितंबर, ख्0क्भ् को पूरी तैयारी के साथ पीपल पेड़ की ट््रांसप्लांटिंग की गई थी। इस पीपल के ठूंठ से अब नए-नए कोपल आने लगे हैं। बिल्डर हरिपरसुरामपुरिया और संजय परसुरामपुरिया ने इस पेड़ को काटने के लिए परमिशन ली थी। इसके लिए कोलकाता से ख्0 सदस्यीय विशेष टीम बुलाई गई थी। पीपल की ट्रासंप्लांटिंग में करीब आठ लाख रुपए खर्च हुए थे।