ह्मड्डठ्ठष्द्धद्ब : निकाय चुनाव में महिला दावेदारों का दबदबा साफ नजर आने लगा है। चुनाव में 50 प्रतिशत महिला आरक्षित पदों के साथ साथ कमोबेश 53 (सभी) वार्ड में महिला प्रत्याशियों ने ताल ठोंक दी है। उनका कहना है कि इलाके की जनता का उनपर विश्वास है और वह लोग इसपर खरा उतरेंगी। चुनाव प्रचार में भी महिलाओं के एजेंडे दूसरे प्रत्याशियों से काफी अलग देखने मिल रहे हैं। क्षेत्र की समस्याओं के साथ साथ आम जनजीवन को प्रभावित करने वाले मुद्दों को उठा रही हैं महिला प्रत्याशी।

संभालने की ज्यादा क्षमता

वोटर्स का मानना है कि महिलाओं को नजदीकी तौर पर परिवार से जुड़ी जरुरतों और समस्याओं का अहसास होता है। उन्हें घर, बार, बाल बच्चों के भविष्य, शिक्षा दीक्षा, शराब बंदी से लेकर क्षेत्र की सड़कों और नालियों की ज्यादा जानकारी होती है। महिलाओं पर वोटर्स का यह विश्वास उनके दबदबे को और भी प्रबल कर रहा है।

महिला मेयर, महिला पार्षद का नारा

सीटिंग मेयर आशा लकड़ा भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। बीजेपी कार्यकत्र्ताओं का स्पष्ट नारा है कि महिला मेयर के साथ महिला पार्षदों का बेहतरीन तालमेल बैठ सकता है। वहीं दूसरी पार्टियां भी यह समझ रही हैं कि निकाय चुनाव में व्यक्तिगत पहचान ज्यादा महत्वपूर्ण है जिसमें महिलाओं को हर घर से सहयोग हासिल होता है.कई प्रबल महिला दावेदारों पर पार्टियों की नजर है।

दो बार से महिला मेयर पर जताया विश्वास

रांची नगर निगम चुनाव में विगत दो बार से मेयर पद पर महिलाओं ने काम किया। पहली बार महिला रिजर्व सीट पर रमा खलखो ने जीत हासिल की लेकिन दूसरी बार नवीन लकड़ा और झामुमो के अंतु तिर्की जैसे कद्दावर नेता को पछाड़कर आशा लकड़ा ने झंडे गाड़ दिए.क्षेत्र की जनता महिला प्रत्याशियों पर ज्यादा विश्वास कर रही है और माना जा रहा है कि पार्षदों के मामले में भी यह तालमेल देखने को मिल सकता है।

रिजर्व सीट के अलावा सभी सीटों पर धावा

महिलाओं के लिये चुनाव में 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है जिसमें 26 सीटें निर्विरोध महिलाओं के पाले में आ चुकी हैं। लेकिन महिलाओं ने इन 26 सीटों के अलावा तकरीबन सभी 53 वार्ड में धावा बोल दिया है। सभी के सभी सीटों कमोबेश महिला प्रत्याशियों ने भाग्य आजमाने का फैसला लिया है और चुनाव लड़ रही हैं।