PATNA : मानसून की स्थिति को देखते हुए प्रदेश में सूखे के आसार बढ़ गए हैं। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव धान की फसल पर पड़ेगा। आषाढ़ का महीना खत्म होने में कुछ ही दिन बचे हैं लेकिन, धान की रोपाई अधिकांश जिलों में नहीं हुई है। स्थिति यह है कि राज्य के 26 जिलों में सामान्य से आधी बारिश भी नहीं हुई है। बारिश नहीं होने से किसान काफी परेशान हैं। सबसे बुरा हाल वैशाली, सारण, भोजपुर, पटना एवं सिवान जिले का है। यहां 20 फीसदी से भी कम बारिश हुई है। सूखे के हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की बैठक बुलाई है।

बारिश के लिए तरसे किसान

19 जुलाई तक प्रदेश में हुई बारिश के आंकड़े बताते हैं कि इस बार मानसून की नीयत ठीक नहीं है। पूरे प्रदेश में सामान्य औसत से भी 53 फीसद कम बारिश हुई है। डेढ़ दर्जन जिलों में तुलनात्मक रूप से पिछले साल से भी कम बारिश हुई है। मौसम विभाग की अच्छी बारिश की भविष्यवाणी के बावजूद अभी तक बादल किसानों को तरसा रहे हैं।

डीजल सब्सिडी की राशि बढ़ी

मानसून की बेरुखी को देखते हुए राज्य सरकार अलर्ट मोड में है। सभी जिलाधिकारियों को हालात पर नजर रखने और निपटने का निर्देश जारी किया जा चुका है। डीजल सब्सिडी की राशि प्रति लीटर पांच रुपए की दर से बढ़ा दी गई है। कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 19 जुलाई तक पूरे प्रदेश में मात्र 204 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य से लगभग आधी है। ऐसी ही स्थिति बनी रही तो बिहार सूखे की चपेट में आ सकता है। इस बार प्री मानसून बारिश ने भी दगा दिया है और मानसून तो आकर भी ठिठक गया है। इसके चलते खरीफ फसलों की तैयारी पर ग्रहण लगता दिख रहा है। भू-जलस्तर भी लगातार नीचे जा रहा है। पशुओं के चारे पर भी आफत है।

अब तक 19 फीसदी ही हुई रोपाई

मानसून की दगाबाजी के चलते धान की रोपाई भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है। अभी तक सिर्फ 19 फीसद ही रोपाई हो सकी है, जो पिछले साल की तुलना में आधे से भी कम है। पिछले वर्ष अबतक 14.79 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई हो चुकी थी। अबकी यह आंकड़ा 6.50 लाख हेक्टेयर पर ही अटका है। जिन जिलों में कम बारिश हो रही है, वहां के किसानों का इंतजार बढ़ रहा है। कम बारिश के चलते धान की बुआई भी 94 फीसद से ज्यादा नहीं हो पाई है, जो बिचड़ा खेतों में है, वह भी सूख रहा है।