अपने घर का पता भी बता दिया
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RANCHI: राजधानी में ढाई दर्जन बच्चों को घर लौटने का इंतजार है। शेल्टर होम में एक-एक दिन काटना उनके लिए मुश्किल हो रहा है। बच्चों ने अपने घर का पता भी बता दिया है। वहीं सीडब्ल्यूसी के सामने उन्हें प्रोड्यूस भी किया जा चुका है। इसके बावजूद उन्हें घर भेजने को लेकर न तो चाइल्ड लाइन के अधिकारी गंभीर हैं और न ही सीडब्ल्यूसी। ऐसे में बच्चों के सामने वहां समय काटने के अलावा कोई चारा ही नहीं है।

रेलवे चाइल्डलाइन करता है रेस्क्यू
रांची रेलवे स्टेशन पर रेलवे चाइल्डलाइन की शुरुआत तीन साल पहले की गई थी, जिसका उद्देश्य स्टेशन व आसपास के इलाकों में भटके हुए बच्चों को रेस्क्यू कर उन्हें सही जगह पहुंचाना था। इसके अलावा बच्चों को उनके माता-पिता के हवाले करने की भी जिम्मेवारी है।

6 माह में सैकड़ों बच्चे रेस्क्यू
चाइल्डलाइन ने जनवरी से लेकर जून तक करीब 100 बच्चों को रेस्क्यू किया। इसमें से कई बच्चों को उनके परिवार के पास पहुंचा दिया गया। लेकिन अब घर भेजने के लिए स्काउट पार्टी नहीं मिल पा रही है। इस वजह से बच्चों को घर नहीं भेजा जा पा रहा है। ऐसे में बच्चे शेल्टर होम में घर जाने का इंतजार कर रहे हैं।

24 घंटे में लाया जाता है सीडब्ल्यूसी के सामने
कहीं से भी रेस्क्यू किए गए बच्चे को चाइल्डलाइन लाकर उनकी काउंसेलिंग करता है। इसके बाद 24 घंटे के अंदर ही बच्चों को सीडब्ल्यूसी के सामने प्रोड्यूस किया जाता है। वहीं कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद बच्चों को परिजनों को सौंप दिया जाता है। लेकिन प्रक्रिया सुस्त होने की वजह से बच्चे काफी परेशान है।

बच्चों को उनके घर पहुंचाया जा सके
हमलोगों का काम है बच्चों को रेस्क्यू करना। काउंसेलिंग के बाद जानकारी जुटाते हैं। फिर सीडब्ल्यूसी के सामने बच्चों को प्रोड्यूस किया जाता है। वहां से पैरेंट्स को बुलाकर वेरीफिकेशन के बाद बच्चों को सौंप दिया जाता है। या फिर स्काउट पार्टी के साथ बच्चों को उनके घर पहुंचा दिया जाता है। लेकिन हमें स्काउट पार्टी ही नहीं दी जा रही है, जिससे कि बच्चों को उनके घर पहुंचाया जा सके।
-राजीव रंजन, सेंटर को-आर्डिनेटर, रेलवे चाइल्ड लाइन