-चार साल से दिया जा रहा है पीएचक्यू को आश्वासन

-हाल ही में एक बार फिर से भेजा गया शासन को रिमाइंडर

-मुखानी रिपोर्टिग चौकी को भी बनाया जाना है पुलिस थाना

DEHRADUN : फर्ज अदायगी में शहादत को प्राप्त करने वाले पुलिस कर्मी सुरेंद्र सिंह की मौत शायद शासन के गृह विभाग की नींद तोड़ सके। इसकी उम्मीद राज्य पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी कर रहे हैं। मुखानी एक ऐसी ही पुलिस चौकी है जिसमें न तो मालखाना है और न ही हवालात। ऐसा सभी रिपोर्टिग पुलिस चौकियों में होता है। यही वजह थी कि प्रदेश पुलिस द्वारा राज्य में बढ़ रहे आपराधिक घटनाओं को देखते हुए कुल तीस नए थाने बनाए जाने की मांग की गई थी। इसमें कुछ रिपोर्टिग पुलिस चौकी भी शामिल हैं। पुलिस कर्मी सुरेंद्र सिंह की बड़ी बहन विमला गुंज्याल स्वयं महकमे में सीनियर ऑफिसर हैं।

गृह विभाग के आगे बेबश महकमा

दरअसल, करीब चार साल पहले ख्0क्0 में राज्य के सुदूरवर्ती इलाकों के साथ बढ़ रहे क्राइम ग्राफ को देखते हुए पुलिस मुख्यालय द्वारा शासन को एक पत्र लिखकर नए थाने खोलने की मांग की गई थी। तब से लेकर आज तक न जाने कितनी बार रिमाइंडर भी भेजा गया। प्रदेश पुलिस के मुखिया का पदभार ग्रहण करने के बाद डीजीपी बीएस सिद्धू ने भी इस दिशा में सार्थक प्रयास किए और मामले को मुख्यमंत्री के समक्ष भी उठाया। आलम यह है कि तमाम कवायदों के बावजूद शासन का गृह विभाग इस बाबत गंभीरता दिखाने को राजी नहीं है।

कहां रखें अपराधी

पहाड़ में दूर-दूर स्थित थाने-चौकी को देखते हुए ही रिपोर्टिग चौकी स्थापित की गई थी। दिक्कत इस बात की है कि इन चौकियों में केवल दो ही कमरे होते हैं। न तो इसमें हवालात होता है और न ही मालखाना। ऐसे में किसी आरोप में पकड़े गए शख्स को सुरक्षित रखना या पुलिस कर्मियों का खुद उसके साथ एक कमरे में रहना कितना सुरक्षित है अनुमान लगाया जा सकता है। मुखानी पुलिस चौकी में हुई घटना इसका ताजा उदाहरण माना जा रहा है। इसी तरह अगर पुलिस किसी बदमाश से माल बरामद करती है तो उसे भी रिपोर्टिग चौकियों में सुरक्षित नहीं रखा जा सकता।

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क्या अब टूटेगी नींद

एक पुलिस कर्मी की जान जाने के बाद क्या अब भी शासन के गृह विभाग की नींद टूटेगी या फिर कुछ ऐसी ही घटनाओं का इंतजार किया जाएगा। बड़ा सवाल है। बुधवार सुबह हुई इस सनसनीखेज घटना के बाद प्रदेश के पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू ने एक बार फिर से शासन स्तर पर बात करने जा रहे हैं। डीजीपी की मानें तो बीते दिनों भेजे गए रिमांइडर का परिणाम बेहतर आने की पूरी उम्मीद है। नए प्रमुख सचिव गृह एमएच खान से इस बाबत जल्द ही वार्ता की जाएगी। उधर, एक पुलिस कर्मी की हत्या को लेकर प्रदेश के तमाम कर्मियों में खासा दुख व्याप्त है और सभी सुरक्षा को लेकर आवश्यक कदम उठाए जाने की मांग कर रहे हैं।

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शहीद राहत कोष से दस लाख

हल्द्वानी के मुखानी चौकी में फर्ज निभाते समय शहीद पुलिस पुलिस कर्मी सुरेंद्र सिंह के परिजन को पुलिस के शहीद कोष से दस लाख रुपए की सहायता राशि दी जाएगी। उधर, मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी शहीद कर्मी के परिजन को पांच लाख रुपए देने की घोषणा की है। गौरतलब है कि, डीजीपी सिद्धू के प्रयास के बाद ही शहीद राशि को बढ़ाकर दस लाख किया गया था। पुलिस मुखिया मानते हैं कि शहादत की कोई कीमत नहीं होती, इस राशि के जरिए कम से कम शहीद पुलिस कर्मी के परिजन को आर्थिक राहत तो दी जा सकती है।

नए थानों के निर्माण की फाइल शासन में लंबित है। शासन से हुई बातचीच में उम्मीद जगी है कि जल्द ही इस पर मंजूरी मिल जाएगी।

-बीएस सिद्धू, डीजीपी उत्तराखंड